दारु जोषित = लकड़ी की नारी = कठपुतली ,
हम सब कठपुतलियां हैं , भगवान् के हाथों मे,
कठपुतली की कोई इच्छा नहीं, कर्तव्या नहीं ,
कठपुतली ही तो होना हैं मुझ्कॊ .
फिर कोई दुःख नहीं तकलीफ नहीं
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क्या रुकावट हैं कठपुतली होने में !
हम सब कठपुतलियां हैं , भगवान् के हाथों मे,
कठपुतली की कोई इच्छा नहीं, कर्तव्या नहीं ,
कठपुतली ही तो होना हैं मुझ्कॊ .
फिर कोई दुःख नहीं तकलीफ नहीं
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क्या रुकावट हैं कठपुतली होने में !
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