नारे ले लो ,आरोप खरीद लो
भर दोपहर में एक आवाज ने नींद ख़राब कर दी। बाहर कोई फेरिया चिल्ला रहा था -
"नारे ले लो ,नारे नए पुराने ,आरोप एकदम ताजे ,चमत्कारी भाषण ले लो। "
मेने बाहर ताकझाँक की ,देखा एक युवा फेरिया गली में घूम रहा है। घर से बाहर
निकल कर मैं उसके पास गया और बोला -क्या क्या माल है तेरे पास ?
वो बोला -आप किस पार्टी से हैं ?चाबुक चलाने वाली पार्टी से हो या चलाने कि मंशा
रखने वाली पार्टी से ,इन दोनों में नहीं हो तो मौका देख रँग बदलने वाले हो ?
मेने कहा -मैं तो चाबुक खाने वाले में से हूँ ,सोचता हूँ कुछ सस्ता तुझ से मिल जाए
तो नयी पैकिंग में आगे सरका दूँ।
फेरिया को लगा मैं उसके काम का हथियार हूँ इसलिए उसने जाजम बिछा कर
अपनी दुकान दिखानी शुरू कर दी - देखिये जनाब ,ये कुछ नारे हैं ,पानी पर ,बिजली
पर ,सड़क पर ,रोजगार पर ,महँगाई पर.............इस तरफ जो मसाला है उसमे
आरोप हैं ,कुछ सच्चे ,कुछ बिलकुल झूठे ,कुछ अधूरे ,आपको भ्रष्टाचार पर ,चरित्र
हनन पर,साहेबगिरी पर ,रंग रास पर ,विकास पर ,सीनाजोरी पर जिस पर भी
चाहो नए नवेले करारे ताजा आरोप मिल जायेंगे ……… इस कोने में जो पड़े हैं
वो सब भाषण हैं जिन्हे सुनकर लोग हँसते हैं ,तालियां पीटते हैं ,चिल्लाते हैं
गुस्सा करते हैं और बफारा निकालने इ वी एम पर बटन दबाने पहुँच जाते हैं।
मैं बोला -कुछ सदाबहार कुछ नए नारे बता …
फेरिया बोला -सदाबहार नारो में गरीबी हटाओ ,मीठा पानी ,खेतों में चौबीस घंटे
बिजली ,पक्की सड़क वाले नारे ही चल रहे हैं और रेट भी सबसे कम हैं …
मेने पूछा -इनके रेट कम क्यों हैं ?
फेरिया बोला -जनता जानती है इनका कोई मूल्य नहीं है ,इन बातों पर विश्वास
नहीं करना है!
मैं बोला -अभी आरोप का बाजार कैसा है ?
फेरिया बोला -सा'ब , यह हाथो हाथ बिकने वाला माल है और दाम भी नेता के ग्रेड
पर निर्भर है। बड़े नेता पर आरोप लगाना है तो रेट ज्यादा और छोटे पर कम।
अभी चरित्र हनन के आरोपो का दौर है ,जनता भी मजे से सुनती है और तालियां
भी बजती है … !!!
मेने पूछा -खरीदने वाले को वोट भी मिल जाते हैं या नहीं …!
फेरिया बोला - वोट तो देना ही है ,वोट मुद्दे से नहीं पर्ची के अंकों से पड़ते हैं !!!
मेने कहा -भैया ,मेरे को तो भाषण बता दे दे !
फेरिया बोला -भाषण कौनसे वाले चाहिए -चटाकेदार ,चुट्कुलेवाले ,आरोपवाले
तथ्यहीन ,मिया मिठ्ठू वाले …… !
मेने कहा -जो मुनाफे से बिक जाए !!
वो बोला - चटाकेदार ,सफेद झूठ वाले,रंगीन आरोप वाले अभी सुपर डुपर है,तथ्यहीन
का बाजार भी गर्म है !
मैं बोला -देश को इनसे कुछ मिलेगा ?
फेरिया बोला -मुझे लगता है आपको खरीदना नहीं है ,अपना रास्ता नापो और
मुझे जाने दो।
फेरिया दूकान समेत कर आगे बढ़ा और टेर लगायी -चकाचक नारे ले लो ,रंगीन
आरोप ले लो ,तथ्यहीन भाषण ले लो ………………………।
भर दोपहर में एक आवाज ने नींद ख़राब कर दी। बाहर कोई फेरिया चिल्ला रहा था -
"नारे ले लो ,नारे नए पुराने ,आरोप एकदम ताजे ,चमत्कारी भाषण ले लो। "
मेने बाहर ताकझाँक की ,देखा एक युवा फेरिया गली में घूम रहा है। घर से बाहर
निकल कर मैं उसके पास गया और बोला -क्या क्या माल है तेरे पास ?
वो बोला -आप किस पार्टी से हैं ?चाबुक चलाने वाली पार्टी से हो या चलाने कि मंशा
रखने वाली पार्टी से ,इन दोनों में नहीं हो तो मौका देख रँग बदलने वाले हो ?
मेने कहा -मैं तो चाबुक खाने वाले में से हूँ ,सोचता हूँ कुछ सस्ता तुझ से मिल जाए
तो नयी पैकिंग में आगे सरका दूँ।
फेरिया को लगा मैं उसके काम का हथियार हूँ इसलिए उसने जाजम बिछा कर
अपनी दुकान दिखानी शुरू कर दी - देखिये जनाब ,ये कुछ नारे हैं ,पानी पर ,बिजली
पर ,सड़क पर ,रोजगार पर ,महँगाई पर.............इस तरफ जो मसाला है उसमे
आरोप हैं ,कुछ सच्चे ,कुछ बिलकुल झूठे ,कुछ अधूरे ,आपको भ्रष्टाचार पर ,चरित्र
हनन पर,साहेबगिरी पर ,रंग रास पर ,विकास पर ,सीनाजोरी पर जिस पर भी
चाहो नए नवेले करारे ताजा आरोप मिल जायेंगे ……… इस कोने में जो पड़े हैं
वो सब भाषण हैं जिन्हे सुनकर लोग हँसते हैं ,तालियां पीटते हैं ,चिल्लाते हैं
गुस्सा करते हैं और बफारा निकालने इ वी एम पर बटन दबाने पहुँच जाते हैं।
मैं बोला -कुछ सदाबहार कुछ नए नारे बता …
फेरिया बोला -सदाबहार नारो में गरीबी हटाओ ,मीठा पानी ,खेतों में चौबीस घंटे
बिजली ,पक्की सड़क वाले नारे ही चल रहे हैं और रेट भी सबसे कम हैं …
मेने पूछा -इनके रेट कम क्यों हैं ?
फेरिया बोला -जनता जानती है इनका कोई मूल्य नहीं है ,इन बातों पर विश्वास
नहीं करना है!
मैं बोला -अभी आरोप का बाजार कैसा है ?
फेरिया बोला -सा'ब , यह हाथो हाथ बिकने वाला माल है और दाम भी नेता के ग्रेड
पर निर्भर है। बड़े नेता पर आरोप लगाना है तो रेट ज्यादा और छोटे पर कम।
अभी चरित्र हनन के आरोपो का दौर है ,जनता भी मजे से सुनती है और तालियां
भी बजती है … !!!
मेने पूछा -खरीदने वाले को वोट भी मिल जाते हैं या नहीं …!
फेरिया बोला - वोट तो देना ही है ,वोट मुद्दे से नहीं पर्ची के अंकों से पड़ते हैं !!!
मेने कहा -भैया ,मेरे को तो भाषण बता दे दे !
फेरिया बोला -भाषण कौनसे वाले चाहिए -चटाकेदार ,चुट्कुलेवाले ,आरोपवाले
तथ्यहीन ,मिया मिठ्ठू वाले …… !
मेने कहा -जो मुनाफे से बिक जाए !!
वो बोला - चटाकेदार ,सफेद झूठ वाले,रंगीन आरोप वाले अभी सुपर डुपर है,तथ्यहीन
का बाजार भी गर्म है !
मैं बोला -देश को इनसे कुछ मिलेगा ?
फेरिया बोला -मुझे लगता है आपको खरीदना नहीं है ,अपना रास्ता नापो और
मुझे जाने दो।
फेरिया दूकान समेत कर आगे बढ़ा और टेर लगायी -चकाचक नारे ले लो ,रंगीन
आरोप ले लो ,तथ्यहीन भाषण ले लो ………………………।
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