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5.1.21

गांवों की हवा भी जहरीली हो गई!

 PRADEEP SHUKLA-

मानक से 5 गुना उपर पहुंचा इंडेक्स ,सांस लेना दूभर ,एक सप्ताह में पीएम 2.5  हुआ खतरनाक की स्थिति में        





प्रदेश के अति प्रदूषित महानगर वाराणसी एवं औद्योगिक परिक्षेत्र सिंगरौली में वायु प्रदूषण के बढ़ते तेवर के बीच  मिर्जापुर जिला भी कदम ताल मिला रहा है। बीते 24 घंटे में  चुनार क्षेत्र के  बरेवा गांव का एयर क्वालिटी इंडेक्स  सबसे ज्यादा 250  से 350 के  मध्य दर्ज किया गया। नगरों महानगरों में प्रदूषण के स्तर पर हाय तोबा मचती है किंतु इस गांव के हालात पर  मंत्री विधायक अधिकारियों से लेकर लोकतंत्रर की आवाज  मीडिया की भी आवाज नहीं निकल रही है। लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण एवं धुंध में ग्रामीणों का सांस लेना दूभर होता जा रहा है।  सबसे शर्मनाक बात तो यह है कि इस गांव की निर्मलता का आकलन करा कर महामहिम राष्ट्रपतिि जी इस गांव को राष्ट्रीय निर्मल गांव का भी खिताब दे चुके हैं।।    

सप्ताह से इस गांव की एयर क्वालिटी इंडेक्स के आंकड़ों पर नजर डालें तो पीएम 2.5 की स्थिति काफी खतरनाक स्थिति पर पहुंच गई है। जनवरी के प्रथम सप्ताह से ही इस क्षेत्र का एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 पीपीएम से 300 के बीच बना हुआ है । बीते  मंगलवार को आंकड़ा ढाई सौ से 300 के मध्य बना रहा है, जो वायु प्रदूषण के सामान्य मानक 60 पीपीएम से लगभग 4 गुना से भी ज्यादा रहा। गूगल की सेटेलाइट के अनुसार भी एयर क्वालिटी इंडेक्स इसी के आसपास पाया जा रहा है ।  दिन के अलग-अलग समय के अनुसार एयर क्वालिटी इंडेक्स पर नजर डालें तो सुबह  9:00 बजे तक  एयर क्वालिटी इंडेक्स  अपनी  उच्चतम स्थिति में होता है।  जैसे जैसे दिन बढ़ता है , इंटेक्स नीचे आना शुरू हो जाता है ।  शाम होते ही  इंडेक्स ऊपर चढ़ने लगता है जो पूरी रातअपने उच्चतम स्थिति में बनी रहती है। आज सुबह 7:30 पर मिर्जापुर का एयर क्वालिटी इंडेक्स जहां 318 रहा वही बरेवा में  चार नंबर आगे 322 पीपीएम देखा गया।  

वातावरण की आपातकालीन  दशा के  कारणों पर नजर डालें तो  साफ दिख रहा है कि जिम्मेदार अधिकारियों की शिथिलता के चलते एनजीटी सहित उच्च न्यायालय तक के कई आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ रही है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तो प्रदूषण नियंत्रण  तो नियम निर्देशों के पालन कराने का महज कागजी घोड़ा दौड़ाने में जुटा है। उनके स्तर से किसी भी नियम कायदे के अनुपालन की ठोस सबूत जमीन पर नहीं  दिखाई पड़ रही हैं।                                             

लगातार गिरते तापमान के बीच क्षेत्र में संचालित अनियमित सैकड़ों की संख्या में ईट भट्टों का संचालन प्रारंभ हो जाने से प्रदूषण की स्थिति बद से बदतर हो गई है। सबसे आश्चर्यचकित और चौंकाने वाली बात यह है कि  जिले में कई दर्जन ईट भट्ठा को बंद कराने के लिए नियमानुसार बंदी आदेश तक निर्गत है  बावजूद इसके  शासन प्रशासन के आंखों के सामने बेखौफ  ईट भट्ठा कारोबारी अपने भठ्ठो का प्रचलन कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी नियमों के उल्लंघन का स्वयं संज्ञान तो लेते नहीं हैं जब प्रभावित क्षेत्र की कोई शिकायत उनके पास पहुंचती है तो सिर्फ नोटिस जांच बंदी आदेश तक की कार्रवाई कार्यों पर कर दी जाती है । जमीन पर किसी भी नियम कायदे का कोई असर नहीं दिखता है। नतीजा बंदी आदेश के बावजूद भी नियम कायदे से बेखबर कारोबारी धड़ल्ले से इन होठों का संचालन प्रारंभ करना शुरू कर  दिए हैं ,जिनकी संख्या दर्जनों में है।

वातावरण में प्रदूषण की इस खतरनाक स्थिति के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग 7 के चौड़ीकरण के कार्यों में कार्यदाई संस्था के द्वारा नियम कायदों का समुचित पालन नहीं  करता दिख रहा है निर्माणाधीन क्षेत्रों में  दिन में दो एक बार पानी  स्वीकार  हो रहा है  जो  नाकाफी है। नतीजा  जिले में कई स्थानों पर  दिन में भी वाहनों के आवागमन के बीच अंधेरे का साम्राज्य कायम  हो जाता है । कुछेक जगहों पर तो स्थिति इस कदर बिगड़ जाती है कि आगे का वाहन भी स्पष्ट नहीं दिखाई पड़ता है।

प्रदीप शुक्ला
आरटीआई / पर्यावरण कार्यकर्ता
मिर्जापुर        
मोबाइल नंबर 73 7680 3658

PRADEEP SHUKLA : राष्ट्रीय निर्मल गांव पुरस्कार से राष्ट्रपति जी के हाथों सम्मानित


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