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23.8.22

आबकारी नीति से हुआ था 24 हजार करोड़ का नुकसान, ठंडे बस्ते में रिपोर्ट

Gagan mishra-


लखनऊ: दिल्ली में नई आबकारी नीति में हुए कथित भ्र्ष्टाचार को लेकर हंगामा बरपा हुआ है. सीबीआई ने तेजी दिखाते हुए इस मामलें में एफआईआर दर्ज करने से लेकर छापेमारी तक की है. लेकिन यूपी में आबकारी नीति में जानबूझ कर अनदेखी करने के चलते 24 हजार करोड़ से ज्यादा के नुकसान पर आई कैग की रिपोर्ट के 3 साल बाद भी मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है. जबकि रिपोर्ट में साफ कहा गया था कि सरकार इस नुकसान की जांच करा कर उनकी जिम्मेदारी तय करें जिन्होंने शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाया था. 3 साल से रिपोर्ट के ठंडे बस्ते में पड़े होने पर विपक्ष सवाल उठा रहा है.


अप्रैल, 2019 में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने एक रिपोर्ट तैयार की थी. इस रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2008-09 में आबकारी नीति लागू की गई थी, जो साल 2018 तक जारी रही. इस आबकारी नीति के चलते सरकार को 24,805.96 करोड़ रूपये का नुकसान होने का अनुमान था.

फायदा देने के लिए दो जिलों को स्पेशल जोन से रखा था बाहर: रिपोर्ट

रिपोर्ट में कहा गया था कि साल 2009-10 की आबकारी नीति के अनुसार उत्तर प्रदेश में पड़ोसी राज्यों से शराब तस्करी को रोकने के लिए मेरठ जोन को स्पेशल जोन बनाया गया था. इस जोन में पड़ोसी राज्यों के सीमावर्ती सिर्फ 11 जिले रखे गए बल्कि अलीगढ़ व मेरठ दोनों जिलों को इस जोन में नही रखा गया था. जबकि ये दोनों ही जिले राजस्थान व हरियाणा से जुड़े हुए थे, जहां से सबसे अधिक शराब कक तस्करी होती थी.

आबकारी नीति से कुछ शराब कारोबारियों को पहुंचाया गया था फायदा

रिपोर्ट में कहा गया था कि इसी नीति के तहत राज्य की कुल शराब की दुकानों की 22 प्रतिशत दुकाने सिर्फ स्पेशल जोन मेरठ में थी और उन्हें एक ही फर्म को आवंटित की गई थी. जबकि अन्य जोन वाराणसी, लखनऊ, गोरखपुर व आगरा में लॉटरी के माध्यम से दुकाने विभिन्न लोगों को आवंटित की गई थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि स्पेशल ज़ोन में देशी मदिरा की बिक्री अन्य जोन से बिल्कुल विपरीत नियमों के तहत हो रही थी, नियमों के विरूद्ध था.

कैग रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि साल 2009 में बनाई गई आबकारी नीति में खामियों की जानकारी होते हुए भी उस तत्कलीन प्रमुख सचिव आबकारी व कमिश्नर आबकारी ने जानबूझ कर अगले नौ साल यानिकि 2018 तक ये नीति जारी रखी थी. जिससे कुछ खास अनुज्ञापियो (लाइसेंसी) की दुकान नवीनीकरण होती गयी और उन्हें लाभ मिलता गया. जबकि सरकार को 24,805.96 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.

कैग ने की थी जिम्मेदारों की जांच करवाने की सिफारिश

राज्य सरकार ने भारत में बनी विदेशी शराब (IMFL) की बिक्री में गिरावट को रोकने और राज्य के राजस्व हितों की रक्षा के लिए किसी भी प्रकार का प्रयास नही किया. साथ ही बिक्री की गिरावट के मूल कारण की जांच तक नही करवाई. कैग ने रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि मामले की गहन जांच और डिस्टिलरी/ब्रुअरीज, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं को अनुचित लाभ देने के लिए जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय करने की जरूरत है.


विस्तृत खबर

https://www.etvbharat.com/hindi/uttar-pradesh/state/agra/due-to-excise-policy-up-had-lost-24-thousand-crores-delhi-liquor-scam-manish-sisodia/up20220822161518770770722


गगन मिश्रा

9919388897

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