जय भड़ास,
भड़ास की कृपा से मुझे आनंद भारती और आलोक रंजन का फोन नंबर एक ही दिन में मिल गया..मेरा संदेश पढ़ने के बाद चंडीगढ़ के पत्रकार गुलशन जी ने मेरी मदद की....
जय डा. रुपेश जी, जय यशवंत जी.....जल्दी ही हम लोग 300 की संख्या भी पार करने वाले हैं.....बस हिंदी पत्रकारों को यूनिकोड पर लिखने का प्रशिक्षण देने की जरूरत है....सभी लोग अपने अपने शहर मे अपने अपने स्तर पर काम करें....
अपने कंप्यूटर में हिंदी भाषा सक्रिय करें...बस काम आसान है.....
-विद्युत प्रकाश
12.4.08
धन्यवाद
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4 comments:
ISE HI KAHTE HAIN ''BHADAS'' KI ASLI TAAKAT JI.
वाह विद्युत भाया...सच्ची कहले बाड़ा। तोहरे मुंह में गुड़ घी। हिंदी और हिंदी वालों का जमाना अब आ गया है, ताल ठोंक के। बस जरूरत है आये हुए वक्त, बदले हुए मौसम को पहचानने की और उसी अनुरूप अपने दिल दिमाग में आशा का संचार कर चल पड़ने कर दिखाने की। है ना....।
विद्युत भाई, देखा आपने कितना इलैक्ट्रीफ़ाइड सिस्टम है हमरा,बस एक्कै गोहार लगाये और दोस्त लोग मिल गये। LOST & FOUND विभाग कितना तत्पर है काम में......
भइया तो जोर से बोलिए
जय भडास जय जय भडास
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