12.2.09
कुलदीप शर्मा की दास्तां
Posted by यशवंत सिंह yashwant singh
Labels: आभार, कुलदीप, दस्तावेज, पत्र, भड़ास4मीडिया
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अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
Posted by यशवंत सिंह yashwant singh
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1 comment:
यशवंत भाई
कुलदीप शर्मा की दास्तान हम सबके लिए बहुत बड़ा संकेत है। अब नई अर्थव्यवस्था में यही होगा। आदमी एक सामान की तरह हो गया है। सचमुच पूंजी ब्रह्म है और मुनाफा मोक्ष। आम आदमी तो दो कौड़ी का है। कहां है वह आम आदमी जिसके सुख का सपना स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा था, कालकोठरी में दुख सहा था और जान गंवाई थी। सब कुछ बाजार के हवाले है। हम आप बाजार में सामान की तरह तौले जा रहे हैं। मनुष्यता, संवेदना और दुख बांटने की परंपरा फिर से वापस कैसे आएगी, इसी पर तो हम सबको मिल बैठ कर सोचना है। जिस देश में आजादी के ६० साल बाद भी पीने का शुद्ध पानी न मिले और जिसकी औकात है उसके लिए बोतल में बंद कर बिकने लगे, उस व्यवस्था को आप क्या कहेंगे। मेरी सक्षम और योग्य अधिकारियों से गुजारिश है कि वे कुलदीप की मदद करें। यशवंत भाई आपका फिर से आभार। आपने कुलदीप की घटना को रेखांकित किया। हां, यह सच है, ऐसे कुलदीप कई हैं। पर उन्हें देख कर चुप लगा जाना भी तो ठीक नहीं। उनके लिए कौन आवाज उठाएगा? यह आवाज हम सबकी मिली- जुली है। और भाई कुलदीप। तुम मरने की मत सोचो। जीने की राहें कई हैं। उन पर आस्था और उम्मीद से आगे बढ़ो। ़
-vinay bihari singh
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