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3.8.09

अरे तुम तो कुत्ते हो ?

-दिनेश शाक्य-
गरीब और अमीर के बीच भले ही कोई फर्क नजर ना आ रहा हो लेकिन देश भर के तमाम राज्यों में संचालित सरकारें हमेशा ही कुछ ना कुछ ऐसा करती रहती है जिसे हम सरकार की हकतलफी कह सकते है,आजादी के बाद जितने अमीर देश में बने उससे कही अधिक देश में गरीब सामने आये है,लेकिन जो कुछ मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह की सरकार ने गरीबों के लिए किया है, उसे हम क्या कह सकते है,गरीबों को उनकी पहचान देने के नाम पर एक ऐसी सजा दी है जिसकी किसी भी गरीब ने कभी कल्पना तक नहीं की होगी पता नही शिवराज सरकार को क्या हो गया है,अभी कुछ दिन पहले की बात है.शादी के नाम पर कौमार्य परीक्षण करवाया गया लड़कियों का,और अब गरीबों को उनकी पहचान के नाम पर गरीब की मोहर उसके घर के बाहर लगायी जा रही है,यह तो वही बात हुयी कि कुत्ते को कुत्ता कह कर पुकारा जाये,इसी तरह पागल को पागल, अंधे को अँधा और अब गरीब को उसके नाम के वजाए गरीब जी कह कर पुकारा जायेगा,अभी तक तो लगता यही है कि अमीर को अमीर और गरीब को कह कर पुकारा जायेगा,बात करते है उस वाक्ये कि जो इस समय मध्य प्रदेश में गरीबों को उनकी पहचान दिलाने के नाम अपमान किया जा रहा है। गरीबी का मजाक उड़ाया जा रहा है। कौमार्य परीक्षण के बाद शिवराज के राज में गरीबों का एक बार फिर मज़ाक उड़ाया गया है। मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के घरों के आगे लिखा जा रहा है 'मैं गरीब हूं'। उन्हें दिया जा रहा है गरीबी का नंबर। ऐसा लगता है जैसे उन्हें एहसास दिलाया जा रहा हो कि गरीब होना कोई अपराध है।भले ही सरकार कि और से यह कहा जाये कि दीवार पर गरीब परिवार लिखने से बीपीएल कार्डों का गलत इस्तेमाल पर रोक लग सकेगी। लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर लोग इसे अपनी बेइज्ज़ती मान रहे हैं। इज्जत की रोटी के लिए खून पसीना एक करने वाले चंदू के घर की दीवार पर लिख दिया गया 'गरीब आदमी'। मेहनत मजदूरी से परिवार का पेट पालने वाले मीना के मकान पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है 'गरीब परिवार'।आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को उनके घर के बाहर लिखा ये शब्द हर रोज याद दिलाएगा कि वो गरीब हैं। उन्हें हर रोज यही याद दिलाना चाहते हैं शिवराज के सरकारी नुमाइंदे। अगर ऐसा नहीं होता तो नरसिंहपुर के सीहोरा गांव में 250 घरों के सामने गरीब न लिखा जाता। उनकी गरीबी का इस तरह से सरेआम नुमाइश न की जाती।सरकार की ओर से दलील दी जा रही है कि घर के बाहर लिखने से गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोग आसानी से चिंहित किए जा सकेंगे। राशनकार्ड में गड़बड़ी रोकी जा सकेगी।मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में शादी कराने के लिए गरीब लड़कियों को कौमार्य परीक्षण होता है। क्या मध्य प्रदेश का सरकारी अमला गरीब जनता को सच का सामना कराने के लिए कोई बेहतर तरीके नहीं अपना सकता।अब हालात ऐसे बन गए है कि गाँव के रामलाल के बजाये रामलाल गरीब के नाम से पुकारा जायेगा,जिस सरकार के जिम्मे अमीर और गरीब के बीच कि खाई के दायरे को ख़त्म करने का काम है वही सरकार अगर अमीर और गरीब को पहचान देने काम का करे तो क्या कहा जायेगा,इस वयवस्था से अब लगता है कि इससे कही ना कही जातीय असर कम होगा लेकिन एक नई मुसीबत अमीर और गरीब के रूप में सामने आएगी.
दिनेश शाक्य, सहारा समय, रिपोर्टर, इटावा

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