ऑफिस के लिए बस स्टॉप पर खड़ा था.....काफी इंतजार के बाद बस आई...तो तेज कदमों से उसमें सवार हो गया....ये सोचकर कि मैं तेज चलूंगा तो शायद ऑफिस जल्दी पहुंच जाऊं...ये जानते हुए भी कि बस अपनी रफ्तार से चलती है...अपने हिसाब से स्टॉप पर रुकती है....और चलती है....वैशाली बस स्टॉप पर ढेर सारे छात्रों को देखकर कंडक्टर ने ड्राइवर को इसारा किया...तेज बढ़ते चलो....मत रोकना....लेकिन अचानक सिग्नल रेड हो गया और बस रुक गई....एक...दो ...तीन.....चार.....देखते ही देखते दस बारह बच्चे बस में चढ़ गए....खिसियाते हुए कंडक्टर ने कहा....गेट छोड़कर बीच में बढ़ते चलो.....मैंने देखा छात्रों में अधिकतर चौथी से सातवीं आठवीं कक्षा के छात्र थे.....दो बच्चे ...जो दिखने में चौथी या पाचवीं के छात्र लगते हैं....एक सीट से अड़कर खड़े हो गए....उस सीट पर एक जोड़ा बैठा हुआ था.....दिखने में नवविवाहित सा था....एक दूसरे से हल्की फुल्की बातचीत करते हुए सफर काट रहे थे...अचानक लड़के ने मोबाइल फोन निकाला.....और फिर कैमरे से लिए फोटोज लड़की को दिखाने लगा.....ये देखो...मेरे साथ कॉलेज में पढ़ती थी....ये तो मुझे लाइन भी देती थी....और इसने तो कई बार मेरे पास आने की कोशिश भी की थी.....एक के बाद ....फोटो दिखाते हुए उसका परिचय अपने अंदाज में करा रहा था.....लड़कियां भी ठीक ठाक लग रही थीं....सभी देख रहे थे...क्योंकि लड़के का दिखाने का अंदाज ही कुछ ऐसा था.....अचानक छोटे बच्चों में से एक की आवाज आई.....क्या माल है बे......सबकी नजरें उसकी ओर मुड़ गईं...मेरी भी....तुरंत खोड़ा पहला पुश्ता आ गया...बस रुकी...और वो छोटा बच्चा उतरकर चला गया....
4.8.09
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