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1.10.09

फिर मिलेंगे : एक प्रयास

मित्रो,
आज बहुत दिनों बाद आप से मुखातिब हूँ, वैसे पढता तो हमेशा रहता हूँ लेकिन लिखने के मामले में थोडा आलसी हूँ...लेकिन जब भी मुझे किसी संदर्भ के जरुरत महसूस होती है मैं भड़ास की शरण में आ ही जाता हूँ मेरे ढेर सारे भडासी बंधुओ के माध्यम से हर जरुरत पूरी हो जाती है...आज का मसला यह है की मैं पिछले कई वर्षो से परामनोविज्ञान के क्षेत्र में अनुसन्धानरत हूँ ( पी.एच. डी. वाला अनुसन्धान नहीं ) मेरी खोज का विषय है अत्तिन्द्रय अनुभव, तंत्र का वैज्ञानिक स्वरूप, टेलीपैथी, परकाया प्रवेश तथा आत्माओ से संवाद, योग एवं रहस्यवाद आदि-आदि इन विषयों लो लेकर मैं बहुत भटका हूँ यहाँ तक कई बार हिमालय में सिद्धो की खोज करने के लिए यात्राए भी की है कुछ सिद्धजनों का सत्संग भी हुआ है लेकिन इस क्षेत्र में ज्यादातर लोग पाखंडी और अन्धविश्वास में लिपटे हुए मिले, सो मैं अब इसी तलाश को लेकर भड़ास पर आ गया हूँ मैं अब उपर वर्णित विषयो पर केन्द्रित एक त्रैमासिक पत्रिका निकालने जा रहा हूँ जिसका नाम है ' फिर मिलेंगे ' अत: आप सभी पत्रकार और रचनाधर्मी भडासी बंधुओ से मेरा करबद्ध हो कर निवेदन है की कृपया यदि आपके कुछ अलौकिक अनुभव रहे हो अथवा आप किसी ऐसी व्यक्ति के बारे में जानते हो जो इन विषयों पर अधिकार रखता हो, तंत्र का मर्म जानता हो तो कृपा करके मुझे अवगत कराने का कष्ट करें अखबारी दुनिया यह संभव है कि ऐसे लोगो से आपका साबका पड़ा हो, आप अपने संस्मरण मुझे मेल कर सकते है जिनको फिर मिलेंगे के प्रवेशांक में प्रकाशित किया जायेगाआपका सहयोग मेरे शोध के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा ऐसा मेरा विश्वास है मेरा प्रयास ज्ञान के उस पक्ष पर प्रकाश डालने का है जो अभी तक निषिद्ध समझा जाता रहा है वो भी विशुद्ध वैज्ञानिक ढंग से
आपका
डॉ. अजीत
moron82@gmail.com

1 comment:

निर्मला कपिला said...

बहुत खुशी हुई इसेआपके बारे मे ये सब जान कर । क्या इस पत्रिका का का पता दे सकते हैं इसका शुक्ल क्या है आदि मैं इसे पढना चाहती हूँऔर अपने अनुभव भी लिखना चाहती हूँ। शुभकामनायें आभार