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7.3.10

महिला आरक्षण विधेयक पारित होने की बढ़ी उम्मीद-ब्रज की दुनिया

सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पेश होने जा रहा है.अभी कुछ दिन पहले तक इसके संसद में पारित होने की कोई उम्मीद नहीं थी लेकिन विगत दो दिनों में विधेयक के प्रति जिस तरह समर्थन बढा है उसने नई उम्मीदें जगा दी हैं.इस १३ साल से लंबित विधेयक को पारित करने के लिए कम-से-कम दो तिहाई उपस्थित या मतदान करनेवाले सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी.पिछले दो दिनों में विधेयक के समर्थन में तेलुगु देशम, एआईडीएमके, बीजू जनता दल और जनता दल (यू) भी सामने आ गए हैं.यहाँ तक कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अपने पार्टी अध्यक्ष शरद यादव से अलग राय रखते हुए विधेयक को अपना समर्थन दे दिया है.हालांकि अभी भी पार्टी अध्यक्ष शरद यादव कह रहे हैं कि पार्टी अपनी लाईन पर कायम है और नीतीश ने जो भी कहा है वो उनकी निजी राय है. अब देखना है कि आधी आबादी को न्याय देने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जानेवाला यह विधेयक कानून का रूप ले पाता है कि नहीं.वैसे इसकी राह में बाधा बनकर खड़े लोग इसे ज्यादा समय तक पारित होने से रोक पाएंगे ऐसा संभव नहीं लगता.                                                                 हम आधी आबादी को बिना पर्याप्त मौका दिए भारत को विकसित देश बनाने की उम्मीद नहीं कर सकते.शुरुआत में महिलाओं को परेशानी हो सकती है लेकिन यह परेशान सिर्फ एक-दो टर्म के लिए ही आने वाली है.प्रशिक्षित होने के लिए १०-१५ साल बहुत होगा.तब तक हमें मुखिया पति की तरह एमपी पति भी सुनने को मिल सकता है.इतिहास गवाह है कि जिस देश में भी महिलाओं का विधायिका में अच्छा प्रतिनितिनिधित्व है वहां पहले उन्हें आरक्षण की बैशाखी देनी पड़ी थी.लेकिन बैशाखी चाहे सोने की ही क्यों न हो बैशाखी ही होती है.अतः जब महिलाएं पुरुषों से कदमताल करने को पूरी तरह से तैयार हो जाएँ तब आरक्षण को समाप्त कर देना होगा अन्यथा यह न्याय की जगह अन्याय बन जायेगा.

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