दिल्ली : इस बार लोकसभा चुनाव में कोई कामयाब हुआ या नाकाम लेकिन निजी तौर पर अगर किसी बड़े नेता की सबसे ज्यादा फज़ीहत हुई तो वो थे मिस्टर पप्पू। जी हां आप ठीक ही समझे हैं। जो आदमी देश की सबसे पुरानी और बड़ी सियासी जमात का सीधा सीध उत्तराधिकारी कहा जा सकता हो, उसको लोग पप्पू मानने लगे। इससे बड़ा भला क्या राजनीतिक मज़ाक़ हो सकता है। लेकिन थोड़ा पीछे जाएं तो ये भी समझ मे आ जाता है कि ये महाशय पप्पू बने कैसे या इनको इस हालत में पहुंचाने वाले कौन लोग थे।
हाल के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने एक राजनीतिक प्रमोशन करने वाली यानि सियासी विज्ञापन कंपनी को अपने चुनावी प्रचार का ठेका दिया था। इसी को बिहार चुनाव में नितीश कुमार ने हायर किया था। आप ठीक ही समझे, उसी कंपनी ने मुद्दों और जनता की ज़रूरतों के बजाए स्टंट और जनभावनाओं से खिलवाड़ के साथ साथ कांग्रेस की क़ब्र खोदने के लिए जिस प्रोपैगंडा का एक्पैरिमेंट किया था, ये मिस्टर पप्पू उसी की देन हैं।
हालांकि मिस्टर पप्पू पहले भी कोई बड़ा कारनामा अंजाम नहीं दे पाए थे। चाहे वर्तमान या इससे पिछले बिहार चुनाव हों या उत्तर प्रदेश के पिछले दोनों चुनाव हों या फिर राजस्थान, महाराष्ट्र और हरियाणा में सत्ता के बावजूद राजनीतिक रूप से शून्य साबित होना हो या फिर लोकसभा में टांय टांय फिस्स। लेकिन चूंकि महाभारत में भी धृतराष्ट्र का ज़िक्र है तो ठीक इसी तरह से मॉड्रन पॉलिटिक्स भी भला कैसे इससे अछूती रहती। माना जा रहा है कि मैडम को अपने पप्पू का हर हाल में पास कराने की मानों ज़िद हो गई है।
अब रास्ता ये बचा कि जिसने मर्ज़ दिया इलाज भी उसी से कराया जाए। जी हां कितनी बड़ी विडम्बना है कि सबसे पुरानी सियासी पार्टी भी बेहद मजबूर हो गई। चर्चा ये है कि उसी कंपनी को 400 करोड़ में अपनी सियासी नय्या पार लगाने का ठेका दे दिया गया जिसने नय्या डुबोई थी। अब इसे जनता से साथ धोखा कहो या फिर डैमोक्रेटिक सिस्टम से मज़ाक़ कि अब देश की राजनीति मुद्दों पर नहीं बल्कि विज्ञापन कंपनियों के छलावे से सत्ता हासिल की जाने का प्लान तैयार किया जा रहा है।
और पप्पू की सियासी बैसाखी के लिए 400 करोड़ रुपए कहां से आए ये सवाल भी जनता को बेचैन करने के लिए छोड़ दिया गया।
नोट- पप्पू एक ख्याली कैरेक्टर है, इसका किसी भी सियासी हस्ती से कोई लेना देना नहीं है। ज्यादा जानकारी के लिए गूगल पर सिर्फ पप्पू टाइप करके आगे का आनंद लिया जा सकता है।
लेखक आज़ाद ख़ालिद टीवी पत्रकार हैं, सहारा समय, डीडी आंखों देखी,इंडिया टीवी. इंडिया न्यूज़, वॉयस ऑफ इंडिया समेत कई राष्ट्रीय चैनलों में महत्पूर्ण पदों पर कार्य कर चुकें हैं।
1.8.16
जिसने तोड़ी टांग उसी को 400 करोड़ में बैसाखी बनाने का ठेका!
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