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23.11.16

यूपी के पुलिस अफसरों से सवाल, एचएमवीएल के लोगों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं ?

मैंने यूपी पुलिस के सभी जिम्मेवार अफसरों से सवाल किया है कि एचएमवीएल कंपनी के लोगों के आपराधिक कारनामे पर कार्यवाही क्यों नहीं हुई ? इस क्यों का जवाब मेरे पास भी है, लेकिन जवाब उनसे सुनना ज्यादा अच्छा लगेगा। इस कंपनी के प्रभाव का आंकलन करने के लिये अफसरों को ट्विट की गई और आपसे साझा की जा रही एक प्रेस क्लिप ही काफी है। इस क्लिप में कंपनी के अखबार के नाच-गाने के कार्यक्रम का लुत्फ उठाने के बाद सम्मानित अफसरों ने खुले कंठ से आयोजन की तारीफ की है। साबित है कि पुलिस, कंपनी के रसूख के सामने सरेंडर कर चुकी है। और जिनके लोगों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिये, पुलिस उनके साथ बैठ कर रंगारंग कार्यक्रम का आनंद ले रही है।


साथी सुरेंद्र और आशीष के साथ कंपनी के लोगों ने 07 अक्टूबर 2016 को गोरखपुर के चिलुआताल थानाक्षेत्र में आपराधिक कारनामा किया। 08 अक्टूबर 2016 को मैं स्वयं दोनों लोगों के साथ चिलुआताल थाने पहुंचा था। दीवान ने तहरीर रिसीव करने से मना किया तो हम एसओ के पास पहुंचे। एसओ ने भी तहरीर नहीं ली। हम उसी शाम सीओ गोरखनाथ के पास पहुंचे, उन्होंने भी तहरीर नहीं ली। शाम को ही दोनों तहरीरें यूपी पुलिस ट्विटर सेवा के जरिये भेज दी गईं। 09 अक्टूबर 2016 को स्पीड पोस्ट से एसएसपी गोरखपुर को भी तहरीरें भेज दी गईं। उसी दिन ट्विटर पर जवाब आया कि मामले की जांच सीओ गोरखनाथ को दी गई है।

मैंने ट्विटर पेज पर पुलिस को अवगत कराया कि धारा 506 Cognizable अपराध है। ऐसे मामलों में जांच नहीं, फौरन मुकदमा होना चाहिये। 13 अक्टूबर 2016 को ट्विटर पर पुलिस का जवाब आया कि जानकारी है, नियमानुसार कार्यवाही हो रही है। वैसे माननीय सुप्रिम कोर्ट के ललिता कुमारी बनाम यूपी स्टेट्स के मामले में 2013 में दिये गये आदेश के मुताबिक पुलिस स्टेशन डायरी मेंटेन करते हुये अधिकतम सात दिन तक जांच कर सकती है। लेकिन यहां अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं है।

पर्व और त्योहारों में खलल डालने के लिये पुलिस अक्सर जिस माननीय सुप्रिम कोर्ट के आदेश की दुहाई देती है, उसी कोर्ट का पुलिस ने इस प्रकरण में खुला माखौल उड़ाया। पूरे 13 दिन बाद सिर्फ आशीष बिंदलकर को चिलुआताल थाने बुलाया गया और एक सिपाही आशुतोष ने उनसे घटना का ब्यौरा लिया। आशीष के निवेदन के बावजूद उनका लिखित बयान नहीं लिया गया। सुरेंद्र की तहरीर पर तो कोई कार्यवाही ही नहीं हुई जबकि उनके उत्पीड़न की पूर्व में की गई शिकायत पर पहले ही सीओ गोरखनाथ को एक जांच मिल चुकी है।

यानी यह तय है कि एचएमवीएल जैसी कंपनियों के लोग कोई भी अपराध करेंगे, पुलिस उन्हें बचाएगी। शायद एक वजह यह भी है कि पुलिस के आला अफसर कंपनी के उत्सवों में शामिल होते हैं और कंपनी को इसी बात का अहंकार है। यह पोस्ट पुलिस और कंपनी को नागवार लगेगी। मेरे खिलाफ उत्पीड़न की कार्यवाही का प्रयास होगा। फिर भी इस सच से आपको वाकिफ करा रहा हूं। इसलिये क्योंकि आज जो हमारे साथ हो रहा है, कल ये कंपनिया आपके साथ भी कर सकती हैं। अगर आप हमारी मदद करना चाहते हैं तो इस पोस्ट को शेयर करें। लोगों को सच बताएं। बस इतनी अपील है।

"मजीठिया क्रांति की जय"

आपका साथी
वेद प्रकाश पाठक "मजीठिया क्रांतिकारी"
स्वतंत्र पत्रकार, कवि, सोशल मीडिया एक्टिविस्ट
संयोजक-हेलमेट सम्मान अभियान गोरखपुर 2016
आवास-ग्राम रिठिया, टोला पटखौली, पोस्ट पिपराईच
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