जे.पी.सिंह
न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। यादव सिंह को सोमवार को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी नोएडा प्राधिकरण में 116.39 करोड़ रुपये के टेंडर घोटाला मामले में हुई है। आरोप है कि यादव के कार्यकाल में निजी कंपनियों को गलत तरीके से यह टेंडर दिया गया था। दो साल पहले इस मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था।यादव सिंह के खिलाफ आपराधिक साजिश और सरकारी पद के दुरुपयोग के साथ ठेकेदारों और फर्मों से नियमित रूप से रिश्वत लेने का मुकदमा दर्ज किया गया है।
यादव सिंह साल 2007 से 2012 तक नोएडा प्राधिकरण में चीफ इंजीनियर रहे। आरोप है कि इस दौरा उन्होंने 29 निजी फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपये के टेंडर पास किए। साथ ही इन फर्म में से कई उनके परिवार के सदस्यों और करीबी दोस्तों के नाम पर रजिस्टर्ड थे। इस मामले में यादव सिंह समेत 11 लोगों और 3 कंपिनयों को आरोपी बनाया गया है। इसके बाद ईडी ने यादव सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
यादव सिंह को 2016 में गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था, जिसके बाद उन्हें पिछले साल दिसंबर में जमानत मिली थी। सीबीआई कोर्ट ने 5-5 लाख रुपये के बॉन्ड भरने और 2-2 जमानती पेश करने पर यादव सिंह को रिहा किया था। अब एक बार फिर से सीबीआई ने यादव सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। बताया जा रहा है कि कोर्ट में पेश करने के बाद सीबीआई पूछताछ के लिए यादव सिंह की रिमांड मांगेगी।
नोएडा प्राधिकरण के पूर्व मुख्य अभियंता सोमवार दोपहर को सीबीआइ की दिल्ली ब्रांच की टीम सीबीआइ कोर्ट पहुंची, जिन्होंने करीब 76 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार से जुड़े एक अन्य केस में यादव सिंह को फिर गिरफ्तार किया है। इससे पहले भी सीबीआइ यादव हिंह को गिरफ्तार कर चुकी है, जिसके बाद तीन मामलों में उसे उच्चतम न्यायालय कोर्ट से जमानत मिल गई थी।इसके कारण इन दिनों वह जेल से बाहर चल रहा है। ऐसे में अब सीबीआइ की टीम यादव सिंह से पूछताछ कर उसे जल्द ही कोर्ट में पेश कर सकती है।
सीबीआइ की विशेष न्यायाधीश अमित वीर सिंह की अदालत में सोमवार को नोएडा टेंडर घोटाले से जुड़े एक केस में सुनवाई होनी नियत थी, जिसके चलते यादव सिंह पत्नी कुसुमलता के साथ कोर्ट में पेशी पर आया था। वहीं, वकीलों की हड़ताल होने के चलते केस की सुनवाई नहीं हो सकी। इसके बाद वह घर लौटने लगा, तभी नीचे खड़ी दिल्ली ब्रांच की सीबीआइ टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया और पत्नी को बताया कि सीबीआइ को एक अन्य मामले में पूछताछ करनी है। इसके बाद सीबीआइ की टीम उसे लेकर चली गई है, जोकि जल्द ही पूछताछ के बाद उसे अदालत में पेश करेगी।
आरोप है कि वर्ष 2007 से 2012 के बीच यादव सिंह नोएडा प्राधिकरण में मुख्य अभियंता के तौर पर तैनात था। इस बीच उसने 29 निजी फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपये के टेंडर स्वीकृत किए। इनमें कई फर्म ऐसी थी, जोकि उसके परिवार के सदस्यों और दोस्त संजय कुमार के नाम रजिस्टर्ड थी। आरोप है कि यादव सिंह ने फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए उन्हें गलत तरीके से टेंडर जारी किए थे। इस मामले में सीबीआइ की दिल्ली ब्रांच ने हाईकोर्ट के आदेश पर 17 जनवरी 2018 को यादव सिंह, संजय कुमार समेत सात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
नवंबर 2014 को सीबीआइ ने पहली बार यादव सिंह के घर छापेमारी की थी। इसके बाद फरवरी 2015 को यूपी सरकार ने उन्हें निलंबित कर मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए थे। जुलाई 2015 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपी थी। सीबीआई ने 954.38 करोड़ रुपये के घोटाले के संबंध में अगस्त 2015 को उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था। वहीं, इन मामलों में यादव सिंह व उसके परिवार के सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट से अक्टूबर 2019 में जमानत मिल चुकी है।
नवंबर 2014 को सीबीआईऱ् ने पहली बार यादव सिंह के घर छापेमारी की थी। इसके बाद फरवरी 2015 को यूपी सरकार ने उन्हें निलंबित कर मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए थे। जुलाई 2015 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपी थी। सीबीआई ने 954.38 करोड़ रुपये के घोटाले के संबंध में अगस्त 2015 को यादव सिंह के खिलाफ एफआईआर दायर की थी।
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