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20.5.20

कोरोना पर मीडिया को लेकर दोहरे मापदंड से कठघरे में योगी सरकार


- जागरण और जी न्यूज प्रबंधन पर आपदा अधिनियम लागू नहीं होता?
- द वायर के सिद्धार्थ वरदराजन और द हिन्दू के पीरजादा ही हैं गुनाहगार?


मीडिया जगत से जुड़ी दो अलग-अलग घटनाओं को लेकर देश में एक नई बहस को जन्म दिया है। यह बहस राष्ट्रीय आपदा अधिनियम 2005 के तहत निहित शक्तियों की है। पहली घटना द वायर के वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन से जुड़ी है। यूपी के फैजाबाद की पुलिस ने एक अप्रैल 2020 को उनके खिलाफ योगी आदित्यनाथ पर टिप्पणी करने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज की। सिद्धार्थ ने योगी पर आपदा के बावजूद अयोध्या में धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने पर ट्वीट किया था। इसी तरह से जम्मू-कश्मीर में द हिन्दू के पत्रकार पीरजादा आशिक द्वारा सोशल मीडिया पर भी आपदा अधिनियम के तहत पोस्ट लिखने पर केस दर्ज किया गया है।

बहस का दूसरा मुद्दा है कि दैनिक जागरण और जी न्यूज प्रबंधन पर यह अधिनियम लागू होता है या नहीं? दैनिक जागरण आगरा में कोरोना संक्रमण से एक पत्रकार पंकज कुलश्रेष्ठ की मौत हो गई और कई अन्य संक्रमण के दायरे में आ गए, लेकिन इस ऑफिस को सील नहीं किया गया, बल्कि छह मीडियाकर्मियों को वहीं क्वारंटीन कर दिया गया। अब जागरण नोएडा का ऑफिस भी खतरे में है तो वहां महज सेनेटाइज्ड किया जा रहा है।

दूसरी ओर जी न्यूज का नोएडा ऑफिस है। यहां 15 मई को लक्ष्मीनगर दिल्ली निवासी एक मीडियाकर्मी की कोरोना पाजिटिव रिपोर्ट आई। होना यह चाहिए था कि उसी दिन ऑफिस को सील कर दिया जाता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जी न्यूज के सीईओ पुरुषोत्तम वैष्णव कर्मचारियों को ऑफिस आने के लिए धमकाते रहे। नतीजा, अब 28 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव निकले हैं। अब इस ऑफिस को सील किया गया है। क्या जी न्यूज के मालिक, संपादक और सीईओ के खिलाफ यह अधिनियम लागू नहीं होता।

मैं आपको बता दूं कि राष्ट्रीय आपदा अधिनियम की धारा 2005 के तहत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण आदेशों का पालन ना करने पर किसी भी राज्य के अधिकारी के साथ-साथ प्राइवेट कंपनियों के अधिकारी पर भी कार्रवाई कर सकती है। ये कानून किसी प्राकृतिक आपदा और मानव-जनित आपदा की परिस्थिति पैदा होने पर इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि ये अधिकार सरकार के पास हैं तो क्यों नहीं योगी सरकार ने दैनिक जागरण और जी न्यूज के मालिकों, संपादकों और प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज किया। क्योंकि जागरण और जी न्यूज प्रबंधन को इस कानून की जानकारी थी और जानबूझकर और निजी स्वार्थ के तहत यहां कार्यरत कर्मचारियों की जान को खतरे में डाला। कोरोना के प्रसार में इन दोनों संस्थानों के प्रबंधन की भूमिका संदिग्ध है। तो क्या यह मान लिया जाए कि आपदा अधिनियम में भेदभाव हो रहा है।

[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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