Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

23.5.20

ज़ी न्यूज़ के लिए अलविदा की नमाज में हुईं दुआएं

नोएडा स्थित जी न्यूज कार्यालय/स्टूडियो के कोरोना संक्रमित कर्मचारियों के सेहतयाब होने की दुआएं अलविदा की नमाज़ के बाद की गईं। अपने-आपने घरों में पढ़ी गई नमाजों से पहले कुछ पेशे इमामों ने ऑनलाइन खुतबा भी दिया। घरों में रहने की ताकीद की गई। लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की हिदायत दी गयीं। उलमा ने अपने खुतबे रूपी ऑनलाइन संदेशों में कोरोना वबा से बचाव के लिए हुकुमत की गाइड लाइन पर चलने की ग़ुज़ारिश भी की।

रहमतों और बरकतों के माह-ए-रमज़ान की इबादतों के इनाम के तौर पर अल्लाह पाक भारत से कोरोना का खात्मा करे। रमज़ान की इबादतों के इनाम और अलविदा की नमाज की दुआओं का ये असर हो कि कोरोना अलविदा कह दे। दुनिया-जहान को इससे निजात मिले। हमारा देश समेत पूरी दुनियां खुशहाली और तरक्की की तरफ बढ़े। रोजदारों ने अपनी दुआओं में कहा कि रहमतों-बरकतों और दुआओं के असर से हर कोई सेहतयाब हो।

 रमजान के आखिरी जुमे अलविदा की नमाज के बाद  कोरोना के खात्में की इस तरह की खूब दुआएं हुयीं। ज़ी न्यूज़ के कर्मचारियों में फैले कोरोना संक्रमण का खात्मा होने की दुआ के साथ रोज़दारों ने तमाम कोरोना योद्धाओं के सेहतयाब होने की खासकर के दुआ की। मीडियाकर्मी, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मी, जरुरी सामान मोहय्या कराने वाले लोग और खासकर डाक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ आपनी जिन्दगी को दांव पर लगाकर हमारी जिन्दगियों की हिफाजत कर रहे हैं। अल्लाह इन्हें हर आफत और नागहानी से बचाये। इस वबा(महामारी) से निजात की नेक ख्वाहिशात की दुआओं के सिलसिले में हिंदुस्तान को कोरोना और हर मुसीबत से बचाने की दुआओं मांगी गयीं।

मुस्लिम विद्वानों ने कहा कि ईद के  रमज़ान और ईद के मौके पर ज्यादा से ज्यादा दान कीजिए। जरूरतमंदों की मदद करें। फिजूरखर्ची ना करें। मुल्क की बेहतरी के बारे में सोचें। कोरोना महामारी की वैश्विक महामारी की मुश्किलों से अपने मुल्क को बचाना है। गरीबों की मदद और भूखों की फिक्र का जज्बा पैदा करने के लिए बेदार(जागरुक) होने की जरुरत पर बल दिया गया।

अलविदा पर जारी मुस्लिम धार्मिक विद्वानों के आडियो और वीडियो पैग़ामों में कहा गया कि इस सख्त वक्त में दुर्भावना रखने वालों के साथ अच्छा बर्ताव करें। उनका दिल जीतें। खुदा उन्हें नेक तौफीक़ दे ये दुआएं करें। कोरोना से जंग के लिए हमें अपने दिलों से नफरतों और बुग़्ज (द्वेष भावना) को निकाल के मोहब्बे बांटनी होंगी।

कोविड 19 (कोरोना वायरस) एक बीमारी है। इस वायरस से संक्रमित बीमारों को कोरोना बम कहना बेहद गलत है। बीमारों से नफरत ना करे। इनपर झूठे अल्ज़ाम ना लगाये। ये बीमारी कभी भी किसी को भी हो सकती है। कोरोना को किसी धर्म-समुदाय, नस्ल, तब्के को ना जोड़े।

 कोरोना जांच से बचना, मेडिकल टीम/पुलिस का सहयोग ना करना, एहतियात ना बरतना.. बेहद गलत है। ऐसी गल्तियां संवैधानिक और कानूनी तौर पर अपराध हैं। शरियत के नजरिए से भी ये गुनाह है। इस तरह की गलतियां अज्ञानता से पैदा होने वाली बड़ी मानवीय चूक हैं। समाज के तमाम तब्कों और बड़े बड़े संस्थानों ने इस तरह की गलतियां की हैं। ताजुब ये है कि पढ़े लिखे तब्के और बुद्धिजीवी वर्ग सै भी कोरोना वायरस को लेकर अहतियात ना बरतने की गलतियां की हैं। जिसकी वजह से तमाम पढ़े लिखे लोगों के संस्थानों में भी सौ-पचास की तादाद में कोरोना संक्रमित लोग चिंहित हो रहे हैं। अल्लाह ताला ऐसे लोगों को नेक तौफीक़ दे और जल्द से जल्द शिफा अता करे।

भारत के जिन इलाकों में कोरोना वायरस तेजी से बढ़ रहा है वहां के बाशिंदो की  फिक्र करते हुए तमाम रोजेदारों ने मुंबई, गुजरात और दिल्ली के लिए खासकर के दुआएं कीं। सोशल मीडिया में भी ऐसी नेक खाहिशात का ट्रेंड चला। दानिशवरों ने मुस्लिम समाज से इल्तिजा करते हुए सोशल मीडिया के ज़रिए कहा कि ईद पर नये कपड़ों इत्यादि नहीं खर्च ना करें। ईद मिलने, गले लगने और एक दूसरे के घरों में ईद मिलने ना जायें। त्योहार पर फिजूल खर्ची से बचें। त्योहार के बजट की रकम आइंदा के लिए बचायें। या गरीबों को दान करें। उनके खाने का इंतजाम करें। ईद खुशियों और मोहब्बत की मिठास बांटने का त्योहार है। इबादतों का इनाम है। इसलिए अपने नेक कामों से सहयोग और सौहार्द की भावना को रफ्तार दें।

- नवेद शिकोह
पत्रकार
लखनऊ
8090180256

No comments: