अजय कुमार, लखनऊ
संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट आयुर्विज्ञान संस्थान(एसजीपीजीआई),लखनऊ ने
चीन से तानातनी के बीच चिकित्सीय उपकरणों को लेकर महत्वपूर्ण फैसला लिया
है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लोकल के लिए वोकल’ के आहवान को आगे
बढ़ाते हुए एसजीपीजीआई अब चीन पर अपनी निर्भरता को कम करेगा और स्वयं ही
स्टार्टअप के जरिए मेडिकल इक्यूपमेंट को तैयार करके अपनी जरूरतों को पूरा
करेगा।
इसी क्रम में संस्थान ने वेंटिलेटर और मॉनिटर चीन की जगह अपने यहां
तैयार कराने के लिए मेडी-इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड हेल्थ अप इंफर्मेटिक्स सेंटर
ऑफ एक्सिलेंस की स्थापना है। इसके तहत यहां ऐसे स्टार्टअप शुरू किए जाएंगे,
जिससे चीन या दूसरे देशों से मंगवाए जाने वाले उपकरण यहां ही तैयार किए जा
सकें। इससे एक तरफ चीन को सबक मिलेगा तो दूसरी तरफ उपकरणों की लागत भी कम
आएगी। इससे भी खास बात यह होगी कि युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
इस
सेंटर के लिए भारत सरकार के सॉफ्टवेयर टेक्नॉलजी पार्क्स ऑफ इंडिया
(एसटीपीआई)और यूपी के डिपार्टमेंट ऑफ आईटी ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स के बीच लिखित
एग्रीमेंट किया गया है। इसके तहत कमिटी का गठन कर पीजीआई सेंटर के लिए
एसटीपीआई को जगह भी उपलब्ध कराएगा। वर्तमान में मॉनिटर, ऑक्सिमीटर,
वेंटिलेटर समेत कई उपकरण चीन समेत दूसरे देशों से आयात किए जाते हैं,जो
अक्सर तय मानकों से काफी भी पाए जाते हैं। एसजीपीजीआई का यह बिल्कुल नया
प्रयोग होगा। अगर यह प्रयोग सफल रहा तो अन्य पीजीआई और मेडिकल कालेज भी इसी
राह पर चल सकते हैं।
गौरतलब हो अभी तक एसजीपीजीआई को विदेश
से इस लिए उपकरण खरीदने पड़ते हैं क्योंकि इनमें से कई उपकरणों का भारत
में निर्माण ही नहीं होता है। कुछ बनते भी हैं तो कंपनियां सीमित संसाधनों
के कारण अस्पतालों की मांग पूरी नहीं कर पातीं हैं। हाल में भारत सरकार
ने चीन से पीपीई किट और एंटीबॉडी किट मंगवाई थी, जो जांच में फेल हो
गई,जिसको बाद में चीन वापस कर दिए गए थे। ऐसे में एसजीपीजीआई का अपने यहां
सेंटर बनाने का प्रयोग पूरे देश की उम्मीद बढ़ा सकता है। बतातें चलें
एसजीपीजीआई की उक्त कोशिशों को लॉकडाउन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी के
आत्मनिर्भर भारत अभियान से जोड़कर देखा जा रहा है। एसजीपीजीआई के निदेशक आर
के धीमन कहते हैं हमारा उद्देश्य है कि हम दूसरे देश पर किसी भी चीज के
लिए निर्भर न रहे और देश में ही हर उपकरण तैयार हो।
खैर, एसजीपीजीआई, लखनऊ लोकल के लिए वोकल हो रहा है तो इसमें लाॅकडाउन
के दौरान कुछ उद्यमियों द्वारा किए गए नये-नये प्रयोग भी महत्वपूर्ण भूमिका
निभा रहे हैं। ऐसे ही एक उद्यमी चंदौली के ओमप्रकाश जायसवाल नजीर बन गए
हैं। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने पाइल स्लॉटर मशीन के निर्माण किया। लॉकडाउन
के दौरान ओमप्रकाश ने अपनी फैक्ट्री के कर्मचारियों की ना तो छटनी की और
ना ही किसी को घर भेजा। खाने-पीने के साथ कोरोना से बचने के सरकार के बताए
उपाय का पालन करते हुए काम जारी रखा। मजदूरों को सुरक्षा के उपायों के साथ
सोशल डिस्टेसिंग का पालन करवाया गया।
ओम प्रकाश
जायसवाल की काबलियत का विदेश तक में डंका बज रहा है। ओम प्रकाश द्वारा
तैयार कि गई पाइल स्लॉटर मशीन साउथ अफ्रीका के लिए निर्यात हो रही है। सबसे
बड़ी बात है जिस मशीन को निर्यात के लिए रवाना किया गया, उसका निर्माण
लॉकडाउन पीरियड में ही हुआ है। उन्हाअभी तक इस फैक्ट्री में बनी 18 मशीनें
यूरोपीय देशों के साथ यूएसए भेजी जा चुकी हैं।
भारत को आत्मनिर्भर बनाने की
दिशा में ओमप्रकाश का प्रयास पिछले कुछ दिनों से नहीं बल्कि दो दशक से चल
रहा है। दरअसल, मेडिकल उपकरण प्रयोग तो डॉक्टर करते हैं, लेकिन उन्हें
बनाते हैं इंजिनियर है। ऐसे में कई बार डॉक्टर की जरूरत उपकरण पूरा नहीं कर
पाते। इस समस्या को दूर करने के लिए यह सेंटर इस क्षेत्र में शोध भी करेगा
और चिकित्सा और प्रौद्योगिकी को एक प्लैटफॉर्म देगा, ताकि चिकित्सा
क्षेत्र की जरूरतों के मुताबिक उपकरण तैयार किए जा सकें। स्टार्टअप को
बढ़ावा देने से लेकर उनकी फंडिंग और मार्केटिंग तक का काम यह सेंटर करेगा।
इसमें कोई भी आकर अपने आइडिया का प्रोटोटाइप मॉडल जमा कर सकेगा। योजना के
तहत निर्माण में उसकी सहायता की जाएगी।
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