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11.9.20

दिनबदिन गिरता नजर आ रहा है पत्रकारिता का स्तर

 
पत्रकार सत्येंद्र सिंह राजपुरोहित

पत्रकारिता का अपने आप में काफी महत्व है.। इसलिए पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ भी कहा जाता है। वहीं  पत्रकारिता के कारण ही सामाजिक और राजनीतिक ढांचा मूल रुप से काम कर रहा है। पत्रकारिता के जरिए ही लोगों तक समाचार पहुंचाने का काम किया जाता है। घटना कही होती है तो उस घटना को लोगों तक जानकारी इसी पत्रकारिता के बदौलत ही मिलती है। जनता भी पत्रकारिता के माध्यम से एक जगह के समाचार को पूरे विवरण के साथ देख सकते है ,वहीं आम जन को  इसी पत्रकारिता के कारण सच्ची घटनाओं की जानकारी होती है। सच्ची बात और सच्ची घटनाओं को लोगों तक पहुंचाने का कार्य पत्रकारिता द्वारा किया जाता है। पत्रकारिता के जरिए ही लोग भ्रष्टाचार,राजनीतिक उठापटक, घोटालों, घटनाओं के बारे में जानकारी ले पाते है। 

लेकिन वर्तमान समाय की बात करे तो अब पत्रकारिता का स्तर गिरता हुआ जा रहा है। लोगों ने इस पत्रकारिता को अपना व्यापार बना लिया है जिसके कारण सच्ची बाते लोगों तक पहुंच नही पाती है। क्यों कि लोगो को दिखाया जाता है वही जनता सही मानती है। इसलिए जनता पत्रकारिता पर ज्यादा भरोसा करती है। लेकिन वर्तमान समय में पत्रकारिता का दुरुपयोग जमकर किया जाने लगा है। पत्रकारिता को एक व्यापार  के रुप में पेश किया जा रहा है। पत्रकारिता जहां सच्ची बाते और भ्रष्टाचार के जरिए लोगों में अलग पहचान रखती थी वह बाते वर्तमान समय में गौण साबित हो रही है। लोग इसका गलत तरीके से उपयोग करने में जुटे हुए है। वहीं पत्रकारिता को किस तरह व्यापार का रुप दिया जा रहा है इसका आंकलन आप भी सही सटीक तरीके से लगा सकते है।

ऐसा नहीं है कि वर्तमान में समय में सच्ची पत्रकारिता ने दम तोड़ दिया है आज भी सच्ची पत्रकारिता के जीवंत कई उदाहरण मिल जाएंगे। लेकिन सच्ची पत्रकारिता करने वालों को बहुत कठिनाओं का सामना करना पड़ता है और सच्ची पत्रकारिता करने वालों को लोग भी कम ही आंक रहे है। वर्तमान परिवेश में लोगों ने पत्रकारिता के जरिए अपने खजाने भरने शुरु कर दिए है। खबर क्या दिखानी है क्या प्रकाशित करनी है और किसको सही दिखाना है तो किसको गलत दिखाना है यह सब बंद दफ्तर के कमरे में तय हो जाते है। सच्ची बातों को भी नकारात्मक तरीके से पेश किया जाता है। वहीं ऐसी नकारात्मक चीजे जब लोगों के बीच जाती है तो वहीं सच्ची घटना को भी मनगंढ़त मानने लग जाते है। जिसके कारण सच्ची बाते लोगों तक पहुंच नहीं पाती है और जो पत्रकारिता से जुड़े लोग जो गलत मायने में दिखाना चाहते है वो ही लोग अपने जहन में उतारने के लिए मजबूर हो जाते है।

कई खबरों को लेकर लोगों को जिज्ञासा होती है कि इस खबर में क्या हुआ या इस खबर में क्या निकलकर सामने आ रहा है। अगर किसी घटना की बात करे और वो पूरी तरह से किसी की गरिमा को नीचे गिरा सकती है और उसके किए कारनामों को उजागर कर सकती है लेकिन उस खबर को के तरीके को बदल दिया जाए तो यह खबर उस व्यक्ति के लिए वरदान साबित हो जाएगी जो गलत है। वहीं गलत कारनामे करने वाले और गलत कार्य करने वाले को भी आज की पत्रकारिता के समय सकारात्मक दिखाने की होड सी लग गई है। जिसके कारण सही खबर लोगों तक नहीं पहुंच पाती है। ऐसे ही खबरों को जल्दी पेश करने के चक्कर में उस खबर के बारे मे पूरी जानकारी नही लेकर टूटी फूटी खबरे लोगों के सामने परोस दिया जाता है। जिसके कारण गलत तथ्य लोगों तक पहुंच जाते है।

लोग आकलन नहीं लगा पाते कि यह समाचार सही है या गलत। लेकिन जो दिखाया जाता है वो ही लोग मानने को मजबूर हो जाते है। लेकिन जब असली घटना का पता चलता है जब तक लोगों के बीच आधी अधूरी खबर पहुंच जाती है। जिसके कारण लोग उस खबर के जरिए संबंधित व्यक्ति के लिए नकारात्मक और सकारात्मक सोच को पक्की कर लेते है। ऐसे में खबर जल्द दिखाने के चक्कर में जो पत्रकारिता का जो हर्ष हो रहा है वह आगे आने वाले समय के लिए हानिकारिक कहा जा सकता है। वर्तमान समय में पत्रकारिता का स्तर निम्न हो गया है। किस समाचार को लोगों तक पहुंचाना जाना चाहिए या फिर लोग क्या देखना चाहते है इसके बारे में कोई नहीं सोचता है। लेकिन बस जनता के दिमाग में जबरन उस समाचार को डालने की कोशिश की जा रही है। अगर इस तरह की पत्रकारिता की गई तो आने वाले समय में निष्ठावान पत्रकारों के लिए बड़ी मुसीबत साबित होगी।

Satyendra Singh Rajpurohit
satyendra.tinwari@gmail.com

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