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8.8.08

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब इस देश को भगवान भी नहीं बचा सकते

दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब इस देश को भगवान भी नहीं बचा सकते। यह जान कर मुझ जैसे संविधान पर आस्था रखने वाले लोगों को धक्का लगा होगा क्योंकि लाखों वीरों की शहादतों के बाद अगर हमें आजाद देश में कुछ हासिल हुआ है तो वह है हमारा अपना निजी संविधान जिसको आधार बना कर देश को लोकतांत्रिक तरीके से चला कर सभी के अधिकारों की रक्षा करी जा सकती है। जो लोग कहते हैं कि कानून में खामियां है सत्यतः वे कानून को समझते ही नहीं और बस बकवास कर देते हैं ऐसे लोगों ने कभी संविधान को समझने की चेष्टा ही नहीं करी होती क्योंकि संविधान बनाने वाले लोग मूर्ख नहीं बल्कि देश की आत्मा और उसके घटकों जैसे सभ्यता,धर्म,नैतिकता,भाषा व क्षेत्र की विविधताएं आदि के गहरे जानकार थे लेकिन आज जो स्वरूप अमें दिखाई दे रहा है वह संविधान का सही चेहरा नहीं बल्कि उस पर कब्जा जमा चुके जुडीशियल माफ़िया का है जिसके कारण हमें और हमारे जैसे लोगों को कानून की बात से ही खीझ होने लगती है। अबकी बार यह बयान सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया है नेताओं द्वारा सरकारी आवासों पर किये गए गैरकानूनी कब्जे को लेकर करी जाने वाली कार्यवाही मे सुधार लाकर कठोरता लाने के विषय में है। कार्यपालिका और विधायिका ने मिल कर एक बार फिर माफ़िया का रूप धर लिया है और न्यायपालिका ऐसे लाचार और पंगु सा होकर यह बयानबाजी कर रही है। कुल मिला कर बात यह है कि कानून की बंदिशें सिर्फ़ कमजोर और गरीब लोगों के लिये हैं जो ताकतवर हैं उन्हें कुछ भी अपराध करने पर दोष नहीं लगता। जिन्हें रामचरितमानस की जानकारी है तो वे जानते हैं कि ये सत्य तो गोस्वामी तुलसीदास जी तभी कह गये थे .. समरथ को नहिं दोस गोसाईं....। अब राज ठाकरे हो या सिमी जैसे संगठन ये सब रामचरितमानस के इस सत्य को समझ गये हैं तभी तो पेले पड़े हैं।

2 comments:

Yashwant Singh Shekhawat said...

Jab kanun ki sawocch pith purnn nyaay nahi kar sakne me vivash hai. To is se prmanit ho jata hai, ki "sanvidhan" me nyayochit purnnta nahi hai or itnahi nahi dusre jitne bhi kaanun bane huy hai un sabhi kanuno apurn hai. Jisse desh ki janta ko shooshan ho rha hai.

Anonymous said...

डॉक्टर साहब,
यह कानून की बेबसी नही अपितु कानूनविदों का छाद्म्चरित्र है, सत्ता और सत्ताधीशों के लिए ये बयां जारी करते हैं मगर आम आदमी के लिए ये बड़े कद्दावर हो जाते हैं, इनके दोहरे चरित्र की हद तो हम सबने देखि ही है जब जस्टिस आनंद सिंह के समः इन्होने कोई दुहाई नही दी बल्की इन्हीं सत्ता के दलाल के हाथों की कठपुतली बन गए.
देश का कानून आम जानो को सच में आम ही समझ्तः है की जब तक रस है चूस लो रस ख़तम गुठली फेंक दो.
जय जय भड़ास