**पत्रकारिता में कितने मोके आते है जब हम कुछ ख़बरों पर ये भी सोचते है कि काश ये किसी के साथ दोबारा न हो. अब जरा इस फोटो को देखीये . ये एक अजन्मी संतान है. बड़ी ही बेरहमी से इसका सिर और हाथ धड़ से काटकर जुदा कर देये गए. यकीं करता हू ये तस्वीर आपके लिये दुर्लभ होगी. ये नंगी हकीकत है संवेदनहीन हो चुके लोगों कि. काश मुर्दा हो चुकी सम्वेदनावों मे किसी तरह जान आ जाये. देश के हर शहर मे अजन्मी संतानों की वातानाकूलित कत्तलगाह बनी है. कत्ल करने वाले भी डिग्रीधारी है. जिन्हें कथित भागवान भी कहा जाता है. मगर अफ़सोस उन पर लगाम नहीं लग पा रही. लगे भी कैसे जब क्रूर इंसान खुद ही जाकर कह रहा है कि मेरे अंश को कत्ल करो. वेसे किसी के लिये इसे शुभ संकेत नहीं कहा जा सकता. मासूमों का कत्ल रोकने के नाम पर दर्जनों सरकारी अभियान फाइलों मे चल रहे है. कुछ सामजिक संघठन बेटी बचावो अभियान के नाम पर सरकारी धन डकार रहे है. चंद सिक्कों कि खनक पर होने वाली मोतों का खेल क्या कभी रुक पायेगा? ये कहना बहुत मुश्किल है. अफ़सोस और हेरानी है इस कोढ़ग्रस्त इंसानयत पर. *--नितिन सबरंगी
30.11.09
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1 comment:
betiya maro ge to bahu kha se laoge
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