क्या आप जानते हैं की सरकार ने अपनी मुख्य जिम्मेदारियों को व्यवसाय बना दिया है और व्यवसाय को अपनी जिम्मेदारी बना लिया है। चूँकि सरकार यह काम बरसो से कर रही है, इसलिए अधिकांश लोगों का दिमाग ब्रेन वाश हो चुका है। वह इस सच्चाई को कबूल ही नहीं कर पाएंगे कि बिजली-सड़क बनाना सरकार की मूल जिम्मेदारी नहीं है, यह सशुल्क सेवा है। इसके लिए सरकार अलग से रोड टैक्स, टोल टैक्स, व्हीकल एक्ट के तहत वसूली करवाई व बिजली बिल लेती है। इसलिए कहना बेईमानी होगी कि आपके प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कर का पैसा इन कामों में लाया जाता है।
वास्तव में सरकार की मूल जिम्मेदारी मौलिक अधिकारों की रक्षा करना है। बस इसी के लिए सरकार टैक्स लेती है। और इसमें सबसे बड़ा है प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार जो आपातकाल में भी खत्म नहीं होता।
सबसे बड़ा व्यवसाय बन गया
अर्थात एक शब्दों में कहें तो सरकार का मूल काम जीवन की रक्षा करना है। और इसके लिए बेरोजगारों को रोजगार देना, रोजगार न मिलने तक बेरोजगारी भत्ता देना शामिल है। संविधान में इसे आजीविका का अधिकार कहते हैं। बुजुर्गों को पेंशन देना, गरीबों को भोजन उपलब्ध कराना, निशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना, शिक्षा उपलब्ध कराना यह मूल जिम्मेदारी। लेकिन यही सबसे बड़ा व्यवसाय है।
आपको अच्छी शिक्षा चाहिए तो निजी स्कूलों में जाओ, उसके बाद रोजगार चाहिए तो प्रतियोगी परीक्षा दो, सरकार को परीक्षा शुल्क दो। ऊँची फीस देकर कोचिंग करो। सरकार से एजुकेशन लोन लो, कुछ रोजगार करना है तो स्टार्ट अप इंडिया के तहत लोन लो। इसी तरह यदि आप बीमार है तो सरकारी स्वास्थ्य पर ज्यादा भरोसा ना करें। अच्छा इलाज चाहिए तो प्राइवेट चिकित्सालय में जाए। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है। कुछ ऐसा ही गेम गरीबों के साथ होता है।
भारत बनाम अन्य देश
सरल शब्दों में समझे तो अन्य देशों को देखना होगा। अमेरिका, न्यूजीलैंड ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, डेनमार्क, कनाडा, रूस आदि देशों की बात करें तो यहां बच्चे के जन्म लेते ही वह सरकारी संपत्ति मानी जाती है। बच्चों के पालन के लिए सरकार अभिभावकों को हर माह एक निश्चित राशि देती है। उसके बाद स्कूल में शिक्षा निशुल्क दी जाती है। 18 साल बाद बेरोजगारी भत्ता देना शुरू कर दिया जाता है। इस दौरान सरकार बेरोजगार युवक को उसकी योग्यता के अनुसार रोजगार खोज कर देती है। रोजगार न मिलने तक उसका बिजली बिल, पानी का बिल, रूम किराया माफ होता है। चिकित्सा सुविधाएं फ्री होती है। बुढ़ापे में पेंशन दिया जाता है।
अब भारत सरकार शिक्षा को पूरी तरह से व्यवसाय बनाने में तुली हुई है। शिक्षा के बजट में कमी कर इसे निजीकरण करने की तैयारी है। चिकित्सा सुविधाएं भी अनिवार्य बीमा के साथ खत्म की जा सकती हैं। ऐसे में जिन बड़े लोगों का धंधा इन व्यवसायो से चलता हो तो यही कहेंगे की सरकार आपके लिए क्या-क्या करें?
वास्तव में भारत में बेरोजगारी भत्ता देना और यूनिवर्सल बेसिक स्कीम लागू करने की सख्त जरूरत है।
महेश्वरी प्रसाद मिश्र, पत्रकार
16.9.17
निकम्मी सरकार का ब्रेनवाश गेम
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