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30.6.23

किसके इशारों पर फ़िल्म निर्माता हमारे प्रभु श्री राम और भगवान हनुमान की छवि को बिगाड़ने में लगे हैं ?

~ अभिषेक कुमार सिंह ~

हर तरफ आजकल रामायण पर आधारित फ़िल्म आदिपुरुष की ही चर्चा है । लोगों के बीच इस फ़िल्म को लेकर बहुत नाराज़गी है । लोग इस फ़िल्म के संवाद, किरदार को लेकर काफ़ी गुस्से में है । फ़िल्म के निर्माता ओम राउत और संवाद लेखक मनोज मुंतशिर  को लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है । हालांकि मनोज मुंतशिर ने सफाई देते हुए कहा है कि यह हमने रामायण  नहीं बनाई है, बल्कि हम रामायण से प्रेरित है । लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि फ़िल्म निर्माता क्यों इतिहास और धार्मिक ग्रंथों के कहानियों पर आधारित फिल्म बना कर लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं ।



अगर धार्मिक ग्रंथों की कहानियों पर आधारित किसी फ़िल्म या धारावाहिक की बात की जाएगी तो उसमें रामानंद सागर कृत रामायण सबसे पहले आएगा । रामानंद सागर ने गोस्वामी तुलसी दास द्वारा रचित रामायण पर उन्होंने इस धारावाहिक को बनाया था । रामायण धर्म ग्रंथ के रूप एक नैतिक शास्त्र है, और भगवान श्री राम उसके हीरो । यह ग्रंथ इंसानों को सीखने के लिए प्रेरित करता है कि एक पुत्र का अपने माँ बाप के प्रति आचरण कैसे रहना चाहिए । एक पति का अपने पत्नी के प्रति, एक भाई का अपने भाई के प्रति , एक व्यक्ति का उसके दुश्मन के प्रति व्यवहार कैसा रहना चाहिए । राम का उत्तम चरित उनको मर्यादा पुरुषोत्तम राम बनाता है ।रामायण ग्रंथ के एक-एक भाव को रामानंद सागर जी ने बहुत ही खूबसूरती के साथ पर्दे पर उतारा था । उस वक्त उस धारावाहिक को भारत के अलावा कई देशों में भी उसी लोकप्रियता के साथ देखा जाता था । रामायण के संवाद को खुद रामानंद सागर जी ने लिखा था । कितनी खूबसूरती थी उनकी लेखनी में , राम और रावण के संवाद में भी वही शालीनता दिख रही थी । रामायण का एक-एक किरदार समाज को ज्ञान दे रहा है । फ़िल्म आदिपुरूष भले ही रामायण से प्रेरित होकर बनाई गई हो लेकिन इसके संवाद में जो हल्कापन है वो इस महान ग्रंथ का अपमान करने का काम कर रहा है । फ़िल्म निर्माताओं ने इस फ़िल्म के जरिए हमारे ग्रंथ को हल्का करने का काम किया है । 

प्रभु श्रीराम को मैं सबसे बड़ा समाजवादी मानता हूँ । उनके एक-एक भाव से समाज को सिख लेने की जरूरत है । समाज के हर वर्ग के लिए उन्होंने न्याय किया है । पूरे रामायण में उनको गुस्सा सिर्फ दो बार आता है ।  एक तो समुद्र द्वारा मार्ग ना देने पर एवं दूसरा जयंत द्वारा माता सीता के अपमान पर। लेकिन आजकल श्री राम के चरित्र को आक्रामकता के साथ प्रस्तुत किया जा रहा है । सबसे पहले अगर हिन्दू धर्म में देवी देवताओं के चित्रों को कागज पर उकेरने का श्रेय राजा रवि वर्मा को जाता है । उन्होंने ने ही कागज़ पर देवी देवताओं के स्वरूप को धर्म ग्रंथो में उल्लेखित उनके स्वभाव के आधार पर चित्रों के रूप में प्रस्तुत किया था । लेकिन आज के दौर में  कुछ लोगों के द्वारा भगवान के भाव को बदला जा रहा है । भगवान श्रीराम को एंग्री राम के भूमिका में दिखाया जा रहा है । वहीं हनुमान को एंग्री हनुमान के भूमिका में । एंग्री हनुमान की तस्वीर सबसे पहले 2016 में केरल के रहने वाले करण आचार्य ने बनाई थी । उसके बाद श्रीराम की तस्वीर को भी बदला गया । रामनवमी के जुलूस में भगवा पताखो के बीच राम और हनुमान की तस्वीर आप लोगों ने 2016 के बाद जरूर देखा होगा । डीजे के तेज आवाज़ पर जय श्री राम के आक्रामक नारों के बीच भगवा में छपे श्री राम और हनुमान जी की एंग्री तस्वीर आज की पीढ़ी को दिखाने की कोशिश है ।

शायद फ़िल्म आदिपुरुष के बहाने फ़िल्म निर्माताओं ने श्री राम और हनुमान जी के इसी आक्रामकता वाले चरित को दिखाने की कोशिश की है । इसीलिए तो हनुमान जी को कहते हुए दिखाया गया है कपड़ा तेरे बाप का, आग तेरे बाप की, तेल तेरे बाप का, जलेगी भी तेरे बाप की.. फ़िल्म का समाज पर बहुत बड़ा असर होता है । आख़िर किसके इशारे पर यह फ़िल्म निर्माता हमारे आने वाले पीढ़ियों को धर्म का गलत ज्ञान दे कर भरमा रहे हैं । यह सबसे बड़ा सवाल है ? मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की मर्यादा वाली छवि ही हम भारतीय को भाती है भाती रहेगी ।

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