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2.8.08

Shukriyaa

भाई रजनीशजी,
आपने मेरी हास्य ग़ज़ल पढ़कर पंडितजी को याद किया,यह इस बात का प्रमाण है की हमारे और उनके सम्बन्ध कितने घनिष्ट हैं.और जहाँ तक सवाल पंडितजी का है तो निराशा की कोई बात नही है, वो किसी भी छन प्रगट हो सकते हैं.इंतज़ार कीजिये.पीने-पिलाने के मामले में मैं भी khaalis भडासी हूँ। ग़ज़ल पसंद करने के लिए शुक्रिया।
Maqbool

1 comment:

Anonymous said...

अरे बड़े भैया
ये सब देकर मुझे शर्मिन्दा ना करें, बस अपने कलम से भडासी में ऊर्जा लाते हैं.
जय जय भड़ास