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4.8.13

jindagee ke udaas lamhon mein

जिन्दगी के उदास लम्हों में
तेरा याराना याद करता हूँ।
तू मुझे फिर से मिल सके न सके
मैं तेरे दम से आह भरता हूँ।

 मेरी गजलों से गिला
तो नहीं किसी को कोई ,
सोचता हूँ तो
बहुत डरता हूँ।


कौन कहता है कि
घायल है निगाहों से तेरे ,
मैं तो बस
देखते ही मरता हूँ।


ठीक उस वक्त ही
दरिया को सूझता है शबाब ,
जब गमे  इश्क
में उतरता हूँ।  

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