30 दिन पहले की बात
है जब 19 जनवरी को देश के गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने जयपुर में हिंदू आतंकवाद
शब्द को जन्म देकर विवाद खड़ा कर दिया था। शिंदे यहीं नहीं रुके थे उन्होंने भाजपा
और आरएसएस के कैंपों में हिंद आतंकवाद की ट्रेनिंग दिए जाने की भी बात भी कही थी।
शिंदे ने इसके पीछे बकायदा इंटेलिजेंस की रिपोर्टों का हवाला देकर बड़े ही विश्वास
के साथ ये बातें कही थी। आतंकवाद को धर्म औऱ जाति से जोड़ने पर गृहमंत्री शिंदे की
जमकर आलोचना हुई। भाजपा ने सड़क से लेकर संसद तक शिंदे का बहिष्कार करने का एलान
कर दिया। बयान पर आलोचना के बीच 30 दिन बाद शिंदे अपना बयान वापस लेते हुए माफी
मांग लेते हैं।
गौर कीजिए देश के
गृहमंत्री इंटेलिजेंस की रिपोर्टों का हवाला देते हुए 19 जनवरी को ये बात कहते है...इंटेलिजेंस
की रिपोर्टों का हवाला देता है लेकिन 30 दिन बाद अपना बयान वापस लेते हुए खेद
प्रकट करते हैं और कहते हैं कि जयपुर में दिए मेरे बयान का कोई आधार ही नहीं था। इसका
सीधा मतलब तो ये निकलता है कि या तो शिंदे 19 जनवरी को झूठ बोल रहे थे या फिर
शिंदे 20 फरवरी को झूठ बोल रहे हैं।
जाहिर है 20 फरवरी
को वे अपने बयान पर माफी मांग रहे हैं तो फिर वे 19 जनवरी को झूठ बोल रहे थे...जो
शिंदे के माफी मांगने के बाद पुष्ट भी हो गया है।
एक ऐसा व्यक्ति जो
गृहमंत्री की कुर्सी पर बैठकर आतंकवाद को धर्म और जाति से जोड़ता है...वो भी झूठ
बोलकर (नहीं
चाहते दलित गृहमंत्री..!) क्या गृहमंत्री की कुर्सी पर बैठने के
लायक है...?
देश का गृहमंत्री
जिस पर देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी है वो हिंदू आतंकवाद शब्द को जन्म देकर सीमा
पार बैठे आतंकियों का हौसला बढ़ाता है(आतंकवादी
राष्ट्र है भारत !) क्या वो गृहमंत्री की कुर्सी पर बैठने के लायक है..?
देश का गृहमंत्री जिसे
अपने पद और गरिमा की ख्याल नहीं है और वो अपने सियासी फायदे के लिए झूठ बोलता
है...इंटेलिजेंस की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है क्या उसे गृहमंत्री की
कुर्सी पर बैठने का कोई अधिकार है..?
गृहमंत्री जैसे पद
पर रहते हुए कोई इतना गैर जिम्मेदार और स्वार्थी कैसे हो सकता है कि वो अपने
सियासी फायदे के लिए कहीं भी कुछ भी बोले..?
19 जनवरी 2013 से
20 फरवरी 2013 के बीच इन 30 दिनों में गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने न सिर्फ अपनी
साख गंवाई है बल्कि गृहमंत्री जैसे महत्वपूर्ण और जिम्मेदार पद की गरिमा को भी तार
तार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी..! इसके साथ ही शिंदे ने न सिर्फ करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं से खिलवाड़
किया बल्कि सीमा पार बैठे आतंकियों की भी हौसला अफजाई की..!
कुर्सी मिलने के
बाद शिंदे जैसे नेता जब सियासी फायदे के लिए अपने पद और गरिमा का ही ख्याल न रखते हुए
किसी भी हद तक जा सकते हैं वो देश का और देश की जनता का क्या भला करेंगे..? शायद यही इस देश
का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है..!
deepaktiwari555@gmail.com
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