राजनीतिक गलियारों
में हेलिकॉप्टर डील के हल्ले और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरूण जेटली की जासूसी
की खबरों के बीच प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चैयरमैन मार्कंडेय काटजू और अरूण
जेटली की तीखी तकरार की गूंज भी खूब सुनाई दे रही है। झगड़े की वजह है वर्तमान में
भारतीय राजनीति के सबसे चर्चित चेहरे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी। दरअसल काटजू
ने एक लेख में न सिर्फ नरेन्द्र मोदी की जमकर आलोचना की थी बल्कि गुजरात में हुए
दंगों के लिए भी मोदी को ही जिम्मेदार ठहराया था।
बस फिर क्या था मोदी
के नाम के सहारे 2014 में अपनी नैया पार लगाने की जुगत में लगी भाजपा को मोदी की ये
आलोचना बर्दाश्त नहीं हुई और भाजपा ने काटजू पर कांग्रेसी होने का आरोप लगाते हुए
जमकर हमला बोला और काटजू से प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन की कुर्सी से
इस्तीफा देने की मांग कर डाली। काटजू भी कहां चुप रहने वाले थे उन्होंने उनके
इस्तीफे की मांग करने वाले भाजपा नेता जेटली को राजनीति के लिए अनफिट करार देते
हुए संन्यास लेने की सलाह दे डाली।
सुप्रीम कोर्ट के
सेवानिवृत न्यायाधीश काटजू पहली बार किसी विवाद में नहीं घिरे हैं इससे पहले भी
कभी 90 प्रतिशत भारतीयों को बेवकूफ कहने पर तो कभी मीडिया की खुली आलोचना तो कभी
फूलन देवी के नाम पर टिप्पणी को लेकर काटजू सुर्खियों में रहे हैं।
दरअसल इस बार काटजू
ने अपने लेख में भाजपा की दुखती रग पर हाथ रख दिया। काटजू ने मोदी के नकारात्मक
पक्ष गुजरात के गोधरा में 2002 में हुए दंगों के लिए मोदी को जिम्मेदार ठहराकर भाजपा
में खलबली मचा दी। दरअसल भाजपा 2014 में नरेन्द्र मोदी को पीएम प्रोजेक्ट करने की
लगभग पूरी तैयारी कर चुकी है...ऐसे वक्त में गुजरात दंगों को लेकर मोदी की आलोचना
भाजपा कैसे बर्दाश्त करती..! काटजू के लेख पर भाजपा का रिएक्शन सबके सामने है।
भाजपा ने काटजू को
कांग्रेसी साबित करने के लिए तमाम तरह के आरोपों की बौछार काटजू पर कर दी लेकिन
काटजू कहते हैं कि उन्होंने ये लेख एक आम आदमी होने के नाते लिखा है न कि प्रेस काउंसिल
ऑफ इंडिया का चेयरमैन होने के नाते।
मोदी के नाम पर
काटजू और अरुण जेटली की तीखी तकरार अपने आप में कई सवाल भी खड़े करती है। मोदी की
तारीफ के बीच जब गुजरात दंगों को लेकर समय समय पर मोदी पर तमाम राजनीतिक दल सवाल
उठाते हैं तो भाजपा का कोई नेता इतना आक्रामक नहीं होता है जितना कि काटजू की
टिप्पणी पर दिखाई दे रहा है आखिर इसके पीछे की क्या वजह हो सकती है..?
क्या भाजपा को
काटजू की टिप्पणी से ये डर सता रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रहे एक
व्यक्ति की आलोचना कहीं लोगों के एक बड़े वर्ग को मोदी और भाजपा के खिलाफ सोचने पर
मजबूर कर सकती है जिसका नुकसान भाजपा को 2014 में न उठाना पड़े..?
क्या भाजपा को ये
डर सता रहा है कि गोधरा के दाग को लोगों के जेहन से मिटाने की कोशिश में लगे मोदी
और भाजपा की इस मुहिम पर काटजू का ये बयान पानी फेर सकता है और इसलिए ही भाजपा
काटजू के मोदी के आलोचना भरे लेख से उन्हें कांग्रेसी साबित करने पर तुली है ताकि
लोग इस बयान को ज्यादा गंभीरता से न लें..?
मोदी की आलोचना से
शुरू हुई ये तकरार सवाल सिर्फ भाजपा पर ही नहीं उठाती बल्कि इस तकरार को जन्म देने
वाले काटजू पर भी सवाल खड़ा होता है कि क्या प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन
की कुर्सी पर रहते हुए काटजू को इस तरह की राजनीतिक टिप्पणी करनी चाहिए वो भी ऐसे
वक्त में जब 2014 का चुनाव अब बहुत ज्यादा दूर नहीं है..?
बहरहाल वर्तमान समय
में राजनीति के सबसे चर्चित चेहरे मोदी के नाम पर काटजू और जेटली में तकरार जारी
है...जेटली के साथ पूरी भाजपा ने काटजू के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है तो काटजू को
भी जाने माने न्यायविद फली एस नरीमन के साथ ही कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का भी
साथ मिल गया है...ऐसे में ये देखना रोचक होगा कि ये तकरार आगे आखिर कहां जाकर थमती
है।
deepaktiwari555@gmail.com
No comments:
Post a Comment