19.3.16
सहरसा में जिस भू माफिया ने पत्रकार मनोज ठाकुर को पीटा, उसी के होटल में दावत उड़ाते मिले पुलिस वाले
सहरसा : पुलिस और अपराध के बीच छतीस का आकड़ा रहा है लेकिन पुलिस-अपराधी गठजोर का इतिहास पुराना रहा है| इसी की बानगी देखने को मिला। जिस थाने के पदाधिकारी और जवान को आरोपियों की गिरफ़्तारी करना चाहिए था वह पुलिस आरोपी के साथ मिलकर शराब शबाब का आनंद ले रहे थे | अब बात करते है ताजा टीवी के पत्रकार मनोज ठाकुर के साथ मारपीट करने वाले की| पुलिस के साथ मिलकर जमीन माफिया अब पत्रकार को भी नही छोड रहे है।
हम बात कर रहे है सहरसा शहर के स्वर्ण व्यवसायी सह भूमाफिया संजय स्वर्णकार कि जिसने पत्रकार मनोज ठाकुर को जमीन हथियाने की नियत से घर में घुस कर मारपीट कर बुरी तरह घायल कर दिया जिसमे घायल पत्रकार श्री ठाकुर का सदर अस्पताल से ईलाज भी जारी है | इस घटना के बाद पत्रकार श्री ठाकुर द्दारा मंगलवार को सदर थाना में तहरीर(आवेदन) दिया गया था लेकिन बुधवार की शाम तक प्राथमिकी दर्ज नही किया गया और ना ही घटना स्थल पर जाँच के लिए कोई चौकीदार तक गया | है इतना जरुर हुआ की इस बीच के समय में स्वर्ण व्यवसायी की तरफ से भी एक आवेदन सदर थाना में देने का मौका पुलिस की और से दिया गया तब जाकर दोनों पक्षों का मामला सदर थाना में दर्ज होने की बात सामने आयी |
पीड़ित पत्रकार मनोज ठाकुर द्दारा जानकारी दी गई है की संजय स्वर्णकार पर पुर्व से ही सदर थाने में कांड सं 221/04 आईपीएस की धारा 302,कांड सं-468/10,कांड सं-147/11 धारा 420 एवं कांड सं-575/15 में मुख्य आरोपी भी रहे है | सूत्रों की माने तो स्वर्ण व्यवसाई की दबंगता कहे या फिर पैसे की खनक कि जिसने एक पत्रकार के साथ मंगलवार को मारपीट करता है और जिसके विरुद्ध थाने में तहरीर दी गई हो वह व्यवसायी दिन भर थाने सहित वरीय पदाधिकारी के कार्यालय का चक्कर लगाते नज़र आ रहे थे | पुलिस और उक्त भूमाफिया गठजोर का जीता जागता सबूत सिर्फ फोटो देखने से ही बया करता है |
ये भी सच है कि सब पुलिस वाले एक जैसे नहीं होते लेकिन जब तक पुलिस को बदनाम करने वालों को निकाल कर बाहर नहीं फेंक दिया जाता पुलिस को जनता इस तरह ही देखती रहेगी. क्योंकि जनता के दिए हुए टेक्स के पैसे से ही पुलिस का सिस्टम भी चलता है इस लिए उन की धर्म केवल पैसे वाले दबंगों को सत्कार करना या उनका सत्कार स्वीकार करना बस मात्र हो गया है | सदर एसडीपीओ सुबोध विशवास के चालक, अंगरक्षक और एक सिपाही को होटल अलंकार में अय्याशी करना मंहगा पड़ गया। तीनों को एसपी अश्वनी कुमार ने कर्तव्य में लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया।
दरअसल हुआ ये की एसडीपीओ के तीनों स्टाफ बुधवार की देर रात एक आरोपी के साथ उसी के होटल में शराब और कबाब का मजा ले रहे थे और यही से एक वीडियो वायरल हो गया। वीडियो देखने के बाद एसडीपीओ भी आग बबूला हो गए और उन्होंने सारी जानकारी एसपी को दे दी। बताया जाता है की तीनों स्टाफ खाना खाने के नाम पर यह कहते हुए गया कि कुछ ही देर में लौट रहे है। मगर जब काफी देर हुआ तो एसडीपीओ अपने मातहत पर गरमा गए और गुरुवार को सबक सिखाने की हिदायत दी। दरअसल जिस होटल में खाना पीना चल रहा था उस होटल के मालिक संजय स्वर्णकार पर एक निजी चैनल के रिपोर्टर मनोज ठाकुर से मारपीट करने का आरोप है।
इस बाबत मनोज ने सदर थाना में लिखित आवेदन भी दिया है। फिलहाल मनोज सदर अस्पताल में भर्ती है। इसी बीच संजय ने एक सोची समझी रणनीति के तहत पोलिसकर्मियोन को अपने होटल पर दावत में ले जाकर दूसरा मैसेज देने की कोशिश की। मगर शायद उसे यह नहीं पता था की इस रंगीन दावत का क्या अंजाम हो सकता है। एसपी ने कहा की एक न्यूज चैनल पर वर्दी और हथियार लेकर आम लोगों के साथ शराब पीने की घटना को गंभीरता से लेते हुए तीनों को गुरुवार को निलंबित कर दिया गया। निलंबित होने वालों में चालक संजीव झ, अंगरक्षक सौरभ कुमार और सिपाही अरुण कुमार शामिल है। हालांकि वीडियो के वायरल होने से सुशासन में पुलिसकर्मियों का घिनौना चेहरा फिर से उजागर होने से इंकार नहीं किया जा सकता है और विपक्ष को बैठे बिठाये एक बड़ा मुद्दा भी इसी बहाने हाथ लग गया ।
सहरसा से एक पत्रकार द्वारा भेजी गई रिपोर्ट.
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