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14.3.20

देश आर्थिक तौर से खोखला, समाजिक तौर से बिखरा और दुनिया में अलग थलग पड़ गया है

उबैद उल्लाह नासिर
obaidnasir@yahoo.com


देश इस समय एक चक्रव्यूह में फंस गया है। आर्थिक तौर से देश खोखला हो चुका है। समाजिक तौर से ऐसा बिखराव कभी देखा नहीं गया। आर्थिक स्थिति का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है  कि अपने सभी पडोसी देशों यहां तक कि पाकिस्तान से भी निचले पायदान पर हमारी जीडीपी  4.5% है। जबकि खुद बीजेपी के सांसद डॉ सुब्रामण्यम स्वामी का कहना है कि मोदी सरकार फ़र्ज़ी आंकड़े दे रही, जीडीपी किसी भी तरह 1.5% से ज़्यादा नहीं है।

पी एम सी  के बाद यस बैंक डूब गया और उसके लाखों ग्राहक अपने पैसे के लिए परेशान घूम रहे हैं। 2014 से पहले किसी ने बैंकों के डूबे की बात भी नहीं सुनी थी। सेंसेक्स ने वह डुबकी लगाई की महज़ ७२ घंटों में निवेशकों का १८ लाख करोड़ रुपया डूब गया। सेंसेक्स के डूबने का क्रम जारी है। बेरोज़गारी 50  वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ चुकी है मगर मोदी सरकार को अपने सांप्रदायिक विभाजनकारी एजेंडे को लागू करने के अलावा और कोई चिंता नहीं है। रोम जल रहा है नीरो बांसुरी बजा रहा है।

दुनिया को सर्वधर्मं समभाव और वसुधैव कुटुंबकम का पैगाम देने वाला देश आज दुनिया भर में निंदा का पात्र बन गया है। मोदी सारकार ने अपना दूसरा कार्यकाल दरअसल देश की समस्याओं को सुलझाने और अवाम को एक बेहतर जीवन प्रदान करने के प्रयत्नों के बजाय अपनी पूरी ताक़त देश के संघीकरण और गोलवलकर के सपनो का भारत बनाने पर लगा दी।

सरकार अपने इस मिशन में काफी हद तक सफल तो रही। कश्मीर से धारा 370 हटा दिया। कश्मीर को तीन हिस्सों में बाँट भी दिया। सुप्रीम कोर्ट से राम मंदिर के निर्माण का रास्ता भी साफ़ करा लिया। मुसलमानों को उस स्थिति पर क़रीब क़रीब पहुंचा दिया गया जहाँ हिटलर के नाज़ी जर्मनी में यहूदियों को पहुंचा दिया गया था। CAA  NPR & NCR का शोशा छोड़ कर उनकी नागरिकता का मसला उलझाया गया जिससे पूरे देश में केवल मुस्लिम ही नहीं अन्य लोग भी उद्वेलित हो गये। 

CAA दरअसल भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की जानिब पहला ठोस क़दम है जिसके द्वारा धर्म को राष्ट्रीयता की बुनियाद बनाया जा रहा है जो हमारे संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। यह तो भारत को इसराइल के तर्ज़ पर एक धार्मिक राष्ट्र बनाने का प्रयत्न है क्योंकि इसराइल दुनिया भर के यहूदियों को अपना नेचुरल शहरी मानता है।

सम्प्रदायिक नफरत और हिंसा का ऐसा माहौल देश में बन गया है कि घर घर में दीवार खड़ी हो रही है। ज़िंदगी भर साथ रहने वाले हर दुःख सुख के शरीक लोग अब हिन्दू मुसलमान हो गए हैं। छोटे छोटे बच्चों तक के ज़हनों में ज़हर भर दिया गया है। प्रवृत जगा दी गयी जहां मानव  जीवन की कोई अहमियत ही नहीं बची है।

समझ में नहीं आता कि देश के 25 करोड़ मुसलमानों को लेकर हिन्दुत्ववादियों की सोच क्या है और वह क्या चाहते हैं। क्या वह इतने लोगों को हिन्द महासागर में डुबो देंगे या उन्हें डिटेंशन कैम्पों में रखेंगे या फिर उन्हें रोहंगियाओं की तरह स्टेटलेस शहरी बना देंगे। ज़ाहिर है यह सब कुछ नहीं कर पाएंगे लेकिन देश को गृह युद्ध में ज़रूर धकेल देंगे। ऐसा लगता है वह भारत को श्रीलंका सीरिया म्यांमार बनाना चाहते हैं?

लेकिन इस पूरी कवायद में भारत विश्व में अलग थलग पड़  गया है। दुनिया के लगभग सभी देशों में CAA  को ले कर विरोध किया जा रहा है। यहां तक कि UNHRC ने इस सिलसिले में भारतीय सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मुक़दमे में पक्षकार बनने की अर्ज़ी लगा दी है। भारत चूँकि मानवाधिकार के चार्टर पर हस्ताक्षर कर चुका है इसलिए मानवाधिकार के सिलसिले में उसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों को मानना पड़ेगा।

इस क़ानून और इसके बाद एन पी आर और ऍन आर सी को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव ने चिंता जताते हुए कहा कि इससे भारत के ४० लाख लोग बेवतन (stateless ) हो सकते हैं और हम यह  स्थिति नहीं होने देंगे। CAA के कारण देश भर में  फैले दर्जनों शाहीन बागों के बावजूद मोदी सरकार ने उनका नोटिस न लेकर अपनी निष्ठुरता का ही परिचय नहीं दिया बल्कि यह भी साबित कर दिया की सत्ता के अहंकार में वह किसी प्रकार का विरोध बर्दाश्त नहीं करेगी।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और देहली पुलिस ने जिस बर्बबरता और अमानवीय तरीके से विरोध की आवाज़ को कुचला है उससे देश की बहुत बदनामी हुई है। कितने शर्म की बात है कि दिल्ली के दंगों पर ब्रिटिश पार्लियामेंट में तो तुरंत चर्चा हो गयी लेकिन भारतीय पार्लियामेंट में एक हफ्ते बाद इसकी नौबत आयी। इन दंगों को लेकर यूरोप अमरीका और दूसरे देशों के साथ ही साथ इस्लामिक देशों में भी प्रतिक्रिया हुई। भारत के सब से विश्वसनीय पडोसी बांग्लादेश में मोदी का इतना विरोध हुआ कि उन्हें अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी। इससे पहले बांग्लादेश के विदेश मंत्री समेत वहां के कई मंत्रियों ने प्रोटेस्ट में भारत का दौरा रद्द कर दिया था।

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