लखनऊ : क्या होगा अगर हममें से कुछ लोग खबर करते हुए कोरोना पीड़ित हो जाएं तो? एक सच जिसका न तो जवाब होगा और न ही सुनने में अच्छा लगेगा -- हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिकित्सकों, अस्पतालकर्मियों, पुलिस और सरकारी अधिकारियों की तर्ज पर दो बार मीडिया का ज़िक्र अनिवार्य सेवाओं के रूप में किया जो कानों में घुलकर पूरे शरीर को आनंदित करता है - लेकिन ज़मीनी हकीकत से हम मुँह नहीं मोड़ सकते, चिकित्सकों, अस्पतालकर्मियों, पुलिस और सरकारी अधिकारियों की तर्ज पर न तो हमें कोई पेंशन मिलती है और न ही हमारी मौत के बाद हमारे किसी भी आश्रित को कही भी नौकरी मिलने की आस दिखती है -- इस सबके बावजूद हम कलम के सिपाही एकदम विपरीत परिस्थितयों में अपना काम इस यकीन के साथ कर रहें है की हम महत्वपूर्ण हैं और एक अनिवार्य सेवा देते हैं।
शासन प्रशासन भी गाहे बगाहे हम पर ही नए नए प्रयोग करता रहता है, एक तरफ मीडिया कंपनी के मालिक और सम्पादक कोरोना वायरस से संबंधित ख़बरों को कवर करने के लिए रिपोर्टरों को भेजेंगे कि ग्राउंड जीरो से स्टोरी दिखाओं तो दूसरी तरफ पुलिस कर्मियों का रोज़ रोज़ नया फरमान, कब कौन सा पास होगा, कब कहा से जाना होगा, न तो इसके लिए कोई कण्ट्रोल रूम बनाया गया और न ही पत्रकारों की चयनित समिति द्वारा कोई जानकारी दी जाती है.. पत्रकार रिपोर्टिंग करें या इन समस्याऐं से जूझता रहे, घर परिवार की चिंता करें या ख़बरों के लिए इधर उधर मारा मारा फिरता रहे, कभी हॉस्पिटल, कभी जनता की समस्याओं के लिए जनता से मिलना भी ज़रूरी होता है, कई तरह के स्थानों में जाते हुए पत्रकार साथियों के संक्रमण के चपेट में आने की आशंका बनी रहती है ---
पत्रकारों के लिए निरंतर कार्यरत सूचना एवं जन संपर्क विभाग के अधिकारी/कर्मचारी भी रात दिन अपनी ड्यूटी में लगे है -- कभी प्रेस विज्ञप्ति या कभी पास जारी करने में उनके आस पास पत्रकारों का जमावड़ा रहता है ऐसे में न तो उनके लिए और न ही पत्रकारों के लिए कोई रूटीन मेडिकल चेकअप की व्यवस्था की गयी है और न ही कोई कण्ट्रोल रूम स्थापित किया गया हैं जो उनको हर संभव सहायता उपलब्ध करा सके।
मीडिया कर्मियों के लॉक डाउन पीरियड में जारी पास में भी सही जानकारी समस्त मीडियकर्मियों को नहीं उपलब्ध हो पा रही है, मीडियकर्मियों के लिए कौन कौन सी एडवाइजरी जारी की गयी है, रिपोर्टरों को ऐसे वक्त में फील्ड में उतरने से पहले क्या तैयारियां और ऐहतियात बरतना चाहिए और मीडियकर्मियों को पुलिस द्वारा रोके जाने पर कैसे मदद मिलेगी या घर के लिए आवश्यक आवश्यक वस्तुएं कैसे और किस साथी के सहयोग से आसानी से प्राप्त की जा सकती है, इन सबका जवाब और पत्रकार साथियों की सहूलियत के लिए वरिष्ठ पत्रकार साथी भाई मनोज मिश्रा ने एक अनूठी पहल की शुरुआत की है और अपने मीडिया संन्स्थान विकासदीप काम्प्लेक्स, स्टेशन रोड पर एक मीडिया सहायता कण्ट्रोल रूम की स्थापना की गयी, जो स्वयं उनकी देख रेख में पत्रकारों, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के अधिकारीयों/कर्मचारियों की सहायता हेतु 24x7 कार्यरत रहेगा।
आप अपनी समस्याओं के निराकरण/सहायता हेतु भाई मनोज मिश्रा से संपर्क कर सकते है ---9389511666, 9044434347
अफवाहों से बचें, अपनी सुरक्षा खुद करें ।
डॉ मोहम्मद कामरान
9335907080
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