प्रतियोगिताओं में सभी हों फस्ट
कोई राखी सावंत न रोए कभी
चाहे पहन कर आए हार का हार
जीतने वालों पर करे नहीं प्रहार
31.12.07
नए साल में फेल हो रोनाकारी
Labels: कविता, नया साल, रोना चिल्लाना
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अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
प्रतियोगिताओं में सभी हों फस्ट
कोई राखी सावंत न रोए कभी
चाहे पहन कर आए हार का हार
जीतने वालों पर करे नहीं प्रहार
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1 comment:
बिल्कुल सही कहा ।
घुघूती बासूती
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