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24.12.07

न बनते पत्रकार तो

खामोश जुबां से कैसे अल्फाज निकलते
न निकलते अल्फाज तो कैसे जज्बात निकलते
न निकलते जज्बात तो कैसे हालात बदलते
न बदलते हालात तो कैसे अहसास बदलते
न बदलते अहसास तो कैसे मुलाकात करते
न करते मुलाकात तो कैसे करीब होते
न होते करीब तो कैसे दीदार करते
न करते दीदार तो कैसे प्यार करते
न करते प्यार तो वो कैसे इंकार करते
और वो न करते इंकार तो कैसे लिखने का वक्त मिलता
न मिलता लिखने का वक्त तो कैसे पत्रकार बनते
न बनते पत्रकार तो

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