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29.12.07

नशा ब्लोग़ का

जब से हिन्दी ब्लोग़ के बारे मे जानकारी मिली हें रात की नीद उड़ गयी हें कभी लिखा तो नही हें लकिन पड़ने का बहुत शोक हें रोज़ाना सोते वक्त ब्लोग़ पर लिखने के लिय कुछ सोचता हू सुबह जरुर लिखुगा लेकिन काम मे इतना व्यस्त हो जाता हू समय ही नही मिलता अगर समय निकाल ही लिया तो मेरे बच्चे इतने शरारती हे कि उसी वक्त कम्पयूटर पर गेम खेलना शुरु कर देते हे अपने दिल की भडास फ़िर दिल मे रह जाती हे चलो कल लिखे गे
जय भदास
गुलशन

1 comment:

विनोद पाराशर said...

वाकई ब्लागिंग का भी एक नशा हॆ.रात को 10 बजे के बाद ही कुछ-पढने-लिखने का मॊका मिलता हॆ.जब लिखने का मूड बनता हॆ,तो पत्नी धमकी दे देती हॆ-12बज गए,अब सोना नहीं हॆ क्या ?