नया साल आने में बस अब चंद रोज बचे हैं। हर साल कुछ ना कुछ सोचते हैं और उसे पूरा करने की कोशिश करते हैं। नए साल में मैं क्या नया रिजोल्यूशन ले रहा हूं, इस पर पिछले कई दिन से सोच रहा हूं। लगता है कि तीन काम तो मुझे नए साल में करने ही चाहिए।
पहला- तेजी से निकलते तोंद को नियंत्रित करने के लिए जो संभव है किया जाना चाहिए। सवाल है इसके लिए क्या क्या किया जा सकता है। उसमें पहला आता है कि जो जीभ को लगाम देना पड़ेगा। नानवेज के प्रति जबरदस्त रुचि को नियंत्रित करना होगा। बकरा, मुर्गा और मछली लगातार खाते रहने की जो आदत है उसे अब नियम में बांधना होगा। मतलब हफ्ते या पंद्रह दिन में एक बार। अब जब ये सब तामसिक भोजन पकता है तो इसके साथ पाचक मदिरा की भी जरूरत महसूस होती है। वैसे मदिरा को तो मैं मैंने काफी नियंत्रित कर दिया है लेकिन नए साल में इसे केवल वीकेंड तक सीमित रखने की कोशिश करूंगा। इन दोनों उपायों पर अगर अमल कर लिया तो मुझे लगता है कि तोंद को ठीक किया जा सकता है। इसके साथ ही फैट जलाने के लिए थोड़ी उछलकूद और कसरत भी करना होगा। ये सब इसलिए जरूरी है क्योंकि उम्र 34 की हो गई और चालीस की होने में देर नहीं लगेगी और अभी नहीं जगे तो चालीस के होते ही डायबटीज समेत कई रोग शरीर में घुस जायेंगे।
दूसरा- समय बचाना होगा। पिछले कई वर्षों से दोस्तों और मित्रों के साथ खूब यारबाजी की। इससे समय किस तरह गुजरा, पता ही नहीं चला। अब जबकि एक नए तरह के काम में हूं और जिम्मेदारियां काफी ज्यादा हो चुकी हैं और सपने काफी बड़े पाल लिए हैं तो उसे पूरा करने के लिए एक एक मिनट अनुशासित रखना होगा। इसलिए अगर नए साल में दोस्तों को कम वक्त दे पाऊं तो कृपया वो बुरा न मानें। हां, उनके लिए तन मन और धन से हाजिर रहूंगा लेकिन समय देने में थोड़ा कंजूसी बरतूंगा।
तीसरा- बच्चों को नए जमाने के हिसाब से ट्रेंड करने के लिए उनकी पढ़ाई लिखाई और उनकी परविरश पर ध्यान दूंगा। अब तक मेरे बच्चे कैसे बड़े हुए, मुझे कुछ नहीं पता। इस बीत रहे वर्ष में कानपुर और दिल्ली में कई कई महीने तो ऐसे गुजरे कि पता ही नहीं चला कि बच्चे कब स्कूल आ रहे हैं और कब जा रहे हैं। मैंने उन्हें केवल देर रात सोते हुए देखा और सुबह मेरे आंख खुलने पे देखता तो पाता कि वे स्कूल चले गए। ऐसे में वे अपनी जिंदगी खुद ही जी रहे हैं। अगर उन्हें थोड़ा गाइड करा जाए तो जाहिर सी बात है कि वे और बेहतर बन सकते हैं।
फिलहाल तो ये तीन बातें ही मैं तय कर रहा हूं। ज्यादा कसमें वादे खाने से वे पूरे नहीं होते सो उतना ही तय करा जाय जितना वश में हो।
इस मौके पर मैं सभी भड़ासियों से अपेक्षा करूंगा कि वे नए साल में खुद के करियर, सेहत और फेमिली के लिए जरूर कुछ न कुछ नया सोचें और उसे न्यू इयर रिजोल्यूशन के रूप में चुनौती के तौर पर स्वीकार कर उस पर अमल करें।
भड़ासियों को अगर बेहतर लगे तो वे बाकी भड़ासियों को भी बताएं कि वो नए साल पर क्या करने वाले हैं।
सभी दोस्तों और भड़ासियों को नए साल की बधाई आज ही दे दे रहा हूं क्योंकि संडे शाम से मैं फिर एक जगह टूर पर जा रहा हूं और संभवतः नया साल ट्रेन में ही सेलीब्रेट करना पड़े।
यशवंत
29.12.07
नए साल पर तीन वादे, आपने भी कुछ सोचा है क्या?
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2 comments:
जरूरी हैं ये तीनों काम। खासकर पहले और तीसरे तो बेहद जरूरी। पहला वाला तो अभी मेरे लिए भी काम का है। दूसरे के मामले में पहले से ही सावधान हूं। तीसरे वादे को भविष्य के लिए संभाल कर रख लेता हूं।
आपको भी नव वर्ष की शुभकामनाएँ ।
घुघूती बासूती
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