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15.10.16

आजादी के 70 वर्ष बाद भी नही मिल पाया विंध्य प्रदेश को सड़क का स्वराज

शिवभानु सिंह बघेल ‘‘त्योंधरी’’

सतना !   बडे दुर्भाग्य की बात है कि देश के प्रधानमंत्री तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री बार बार विकास की बात करते है इन दोनो जबावदारो का कहना है कि यह 21 वीं सदी है और यह सदी भारत की है। उनका यह भी दावा है कि भारत दुनिया में सुपर पावर बनने की ओर अग्रसर है। लेकिन उनका यह दावा जमीन पर आकर खोखला साबित हो जाता है। विंध्य प्रदेश क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्गो की हालत इतनी दयनीय है कि इन्हे अब मौत के राजमार्गो के नाम से जाने जाना लगा है। सच तो यह कि आजादी के 70 वर्ष बाद भी इस क्षेत्र को सड़को का स्वराज नही मिल पाया है।



मामला राष्ट्रीय राजमार्ग 75 का

आजादी के बाद से ही विंध्य के प्रवेश द्वार से गुजरने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 75 अपनी बदहाली पर आसूॅ बहाता रहा है। लगभग 10 पीढियॉ इस जर्जर राजमार्ग से प्रताडित व प्रभावित रही है इस पर हजारो जाने दुर्घटनाओ के चलते जा चुकी है लेकिन आज तक यह राजमार्ग चलने लायक नही हुआ। सतना से बमीठा, पन्ना जिसकी रोड फोरलेन बनाने हेतु अनुबंध 09 मई 2012 शासन मध्यप्रदेश से हुआ था जिसकी फाईनेन्सियल 10 जूलाई 2013 की थी तथा कार्य आरम्भ करने की तिथि 13/08/2013 से 12/08/2015 तक कार्य पूर्ण करने की तारीख नियत की गई थी। जिसमें सड़क बनाने में जो धनराशि खर्च करने की योजना निर्मित की गई है उसके तहत पब्लिक प्राईवेट लोगो से टोल टेक्स के माध्यम से धनराशि वसूली की कार्यवाही नियत की गई। जिसमें टोल टेक्स की अवधि 324 माह निर्धारित है जिसकी लागत 320 करोड़ 48 लाख रूपये नियत किया गया था तत्पश्चात पुनः प्रोजेक्ट कास्ट बढाई गई तथा 367 करोड़ 85 लाख रूपये यानी 47 करोड़ रूपये और अधिक राशि जनता से वसूलने के लिए प्रोजेक्ट कास्ट बढाई गयी। तथा यह कार्य एमपीआरडीसी के माध्यम से कराने के लिए निर्धारित किया गया। लेकिन आजतक सड़क निर्माण नही हो पाया। जिससे आये दिन असमय ही नागरिक दुर्घटनाओं में अपनी जान गॅवा रहे है।
बाकी है 733 किसानो का मुआवजा

सतना से बेला के बीच अभी तक 733 किसानो को मुआवजा नही दिया गया है जबकि उनकी जमीनो को खोद दिया गया है। सवाल यह उठता है कि जब किसानो को मुआवजा ही अभी तक नही दिया गया है तब इस राजमार्ग का निर्माण कैसे हो सकता है। बेला-44, खेरा-04, बगहा-51, बहेलियाभाट-20, रिमार-10, लामीकरही-85, सिंधौली-17, गणेशा-27, डिलौरा-06, मतहा-02, नरसिंहपुर-07, रामपुर बाघेलान-24, सगौनी-17, करही-64, महुरछ-15, सरिसताल-30, इटौरा-12, गिदुरी-55, नेमुआ-11, शुक्ला-07, बमुरहा-23, घूरडांग(बेला भठिया)-49, अमौधा-46, बदखर-91, मुरार-02 एवं मटेहना-14 में मुआवजा बकाया है।

दो राजमार्गो पर काटे गये 7000 वृक्ष
विंध्य प्रदेश के रीवा सम्भांग में गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग एन.एच.-7, एन.एच-27 तथा एन.एच.-75 में 7000 पेड़ो का सफाया कर दिया गया। हरा भरा यह क्षेत्र आज रेगिस्तान मंे बदल गया है। एन.एच-7 पर रीवा हुनमना के बीच कार्य पूरा होने के बाद दो साल से जेएमजी टोल टेक्स भी वसूल रहा है वही एमपीआरडीसी की शर्तो के तहत पर्याप्त मात्रा मंे आजतक हरे वृक्ष नही लगाये गये है इस मार्ग के 89 कि.मी. मार्ग पर 2528 वृक्ष काटे गये है और इस एवज में 35280 पौधे लगाए जाने थे इसी तरह एन.एच-75 पर सतना बेला की बीच 48.04 कि.मी. पर 1160 पेड़ काटे जाने के चलते इसमें 11600 पौधे लगाने का लक्ष्य था जबकि एन.एच-7 पर मझगॅवा चाकघाट के बीच 52.7 कि.मी. पर 320 वृक्ष नष्ट किये जाने पर 30200 पौधे सड़क निर्माण एजेन्सियों का लगाना था। टापबर्थ इन्फ्रा को सतना बेला, मनगॅवा चाकघाट को निर्माण के काम 2013 में मिला था जिसमें मार्च 2015 को सड़क निर्माण पूरा करना था लेकिन आजतक इन मार्गाे का काम बन्द है। ऐसे में पौधारोपण का सवाल ही नही उठता।

सोहावल से बेला तक शहर के बीच से गुजरने वाले राजमार्ग का क्या होगा
राष्ट्रीय राजमार्ग 75 सोहावल, जिला मुख्यालय सतना, माधवगढ़, रामपुर बाघेलान नगरो के बीच से गुजर कर बेला राष्ट्रीय राजमार्ग 7 से जुडता है। नगरो के बीच से गुजरने वाले राजमार्ग को कौन बनायेगा यह स्पष्ट नही है। इस पर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण चुप्पी साधे हुए है और इस पर एमपीआरडीसी के अधिकारियों के पास भी कोई जबाव नही है।
पर्यावरण संरक्षण का हो रहा उंलघन

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 एवं राष्ट्रीय राजमार्ग नियंत्रण (भूमि और यातायात) अधिनियम 202 में वर्णित प्रावधानो का सरेआम उंलघन हो रहा है इन मार्गाे पर यहॉ हजारो वृक्ष काट दिये गये है वही धूल और धुंआ से व्यापक प्रदूषण हो रहा है प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सूत्रो का कहना है कि इन मार्गो पर सामान्यतः प्रदूषण पीएम 10 तथा अधिकतम 100 होना चाहिए लेकिन यहॉ 20 गुना अधिक यानि 2000 पीएम प्रदूषण हो गया इससे स्थिति की गम्भीरता को समझा जा सकता है। राजमार्ग के किनारे बसे ग्रामवासियों को सांस, दमा, हृदय रोग जैसी घातक बीमारियॉ लग चुकी है लेकिन आजतक सरकार ने स्वास्थ्य शिविर लगाना उचित नही समझा।


किसानो से काटा गया 20 फीसदी आयकर
विंध्य क्षेत्र में बन रहे राजमार्गो में राष्ट्रीय राजमार्ग दिल्ली के चेयरमैन राघवचन्द्रा की भूमिका लगातार संदिग्ध बनी हुई है। उल्लेखनीया है कि कटनी जमीन घोटाले में उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा एफआईआर के दायरे में आये तत्कालीन कलेक्टर राघवचन्द्रा जेल जाने की कगार पर है लेकिन वे भ्रष्टाचार का कोई भी मौका अब भी छोडने को तैयार नही है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजमार्ग हेतु जबलपुर के एक दैनिक अखबार में चुपचाप राजपत्र निविदा प्रकाशित कर ली गई और वह भी 39 की जगह 16 कालम में इसका प्रकाशन हुआ जबकि नियम यह कहता है कि स्थानीय स्तर पर इस निविदा का प्रकाशन होना चाहिए। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि विंध्य प्रदेश में रहने वाले किसानो को कुछ मालूम ही नही पडा और निर्माण एजेन्सी अपने हिसाब से सब कुछ कर लिया। वही इन तीनो राजमार्गो में मुआवजा की राशि अलग अलग निर्धारित की गई है जिससे किसानो में रोष है। राष्ट्रीय राजमार्ग 7 बेला से झुकेही तक बनने वाली फोरलेन सडक के किनारे रहने वाले को उचित मुआवजा न मिलने जिन्हे मुआवजा मिला उस राशि में से 20 प्रतिशत आयकर के नाम से कटौती किये जाने एंव सर्वे में छुटे लोगो का नये सिरे से नाम जोडने एवं अन्य मुद्दो को लेकर भी सवाल उठ रहे है।

बताया जाता है कि 28 अक्टुबर 2014 को आदेश क्रमांक डब्ल्यू पी.एन 16103/2014 माननीय हाईकोर्ट जबलपुर ने कमिश्नर न्यायालय रीवा को दिशा निर्देश देते हुए ग्राम मौहारी कटरा के नागरिको की एन-एच 7 से सम्बधित शिकायतो को सुनने हेतु कहा था इस पर कमिश्नर रीवा ने अपने आदेश क्रमांक 7759/बी-121/2015-16 दिनांक 23.12.2015 को पीडितो के हक में आदेश जारी किया था लेकिन अभी तक कमिश्नर न्यायालय रीवा के आदेश का पालन नही हुआ।  कमिश्नर ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि आम जनता मौहारी कटरा तहसील अमरपाटन द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्र पर आपसे प्राप्त टीप का कार्यालीन छानबीन समिति द्वारा परीक्षण किया गया जिसमें पाया गया कि आप द्वारा प्रतिकर प्रपत्र 16 कालम में तैयार किया गया है परिणामतः अधिग्रहित भूमि का पूर्ण विवरण एवं उस पर स्थित परिसम्पतियों तथा मकान, कुऑ, हैण्डपम्प, नलकूप, ट्युबबेल, वृक्ष आदि का विधिवत मूल्याकन प्रदर्शित नही होता। ऐसा प्रतीत होता है कि जो सर्वे प्रपत्र बनाया गया उसे ही एवार्ड पत्रक के रूप में उपयोग में लाया गया जबकि एवार्ड 01 से लेकर 39 कालम में तैयार किया जाना चाहिए यह स्थिति अत्यंत गम्भीर है। अतः आप को निर्देशित किया जाता है कि मौके से स्थल की जॉच कर निर्धारित प्रपत्र में एवार्ड पत्रक तैयार कर मय अभिलेख एक सप्ताह के अन्दर मेरे अवलोकनार्थ व्यक्तिगत रूप से प्रस्तुत करें। समय सीमा में विधि संगत एवं संतोषजनक कार्यवाही पूर्ण न होने पर आपके विरूद्व अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी। लेकिन आज तक कमिश्नर के आदेश का पालन नही हुआ।
संघर्ष समिति के माध्यम से प्रारम्भ हुआ आंदोलन

आये दिन सड़क दुर्घटनाओं से हो रही मौतो को चलते आम जनता विचलित हो गई। सत्तारूढ़ भाजपा, कांग्रेस, बसपा ने इस समस्या पर कोई ध्यान नही दिया। जनता के भारी मॉग और दबाव के बीच विंध्य क्षेत्र के सजग समाजसेवी कमलेन्द्र सिंह ‘‘कमलू’’ ने रामपुर बाघेलाना जन संघर्ष समिति का गठन कर आंदोलन की शुरूआत की। जनहित के इस मुद्दे पर उन्हे भारी जन समर्थन मिला यहॉ तक की उन्हे भाजपा से जुडे संघठनो का भी सहयोग मिला। इस राजमार्ग को बनाने के लिए विंध्य चेम्बर ऑफ कामर्स, जिला अधिवक्ता सघं सतना, बस आनर्स एसोसिएशन, मोटर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन, राजनैतिक दल, आटो रिक्शा चालक संघ, समाजसेवी सस्थान, कर्मचारी संघठन, श्रमिक संघठन, एवं सतना जिले की आम जन मानस का रामपुर बाघेलान जन संघर्ष समिति को लिखित रूप में समर्थन हासिल हुआ।

स्थिति को भॉपकर सांसद ने उठाया संसद में मुद्दा
सड़क के प्रति जनता में बढते आक्रोश को देखकर लगातार 3 बार से संसद पहॅूच रहे तथा पिछले लोकसभ चुनाव में मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल को पराजित करने वाले श्री गणेश सिंह ने 11 अगस्त 2016 को संसद मंे मुद्दा उठाते हुए कहा कि खजुराहो के विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल, पन्ना टाइगर रिजर्व, व्हाइट टाइगर सफारी मुकुन्दपुर सतना, राम की तपोस्थली चित्रकूट, मॉ शारदा मैहर, प्रयागराज संगम जैसे पवित्र स्थलो को जोडने वाले इन राजमार्गो की हालत बहुत दयनीय बनी हुई है आवश्यकता इस बात की है इन राजमार्गो का निर्माण कार्य अविलम्ब पूरा किया जाय। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि आजतक इन मार्गो का निर्माण कार्य प्रारम्भ नही हो पाया है।

जमीन राजमार्ग 7 पर मुआवजा राजमार्ग 75 का
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण एवं एमपीआरडीसी की अंधेरगर्दी का आलम यह कि किसान अनिल कुमार तनय श्री केदार मिश्रा की जमीन राष्ट्रीय राजमार्ग 7 पर स्थित है लेकिन भू-अर्जन अधिकारी अमरपाटन ने प्रकरण क्रमांक 7/अ-82/2011-2012 आदेश दिनांक 08/01/2014 को राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 एवं संशोधित अधिनियम 1997 की धारा 3जी(5) के तहत एन.एच 7 पर स्थित जमीन ग्राम रूहिया में है लेकिन नजूल अधिकारी ने उनका मुआवजा एन.एच.75 का बना दिया है। अब उन्होने रीवा कमिश्नर के यहॉ प्रकरण की सुनवाई हेतु अपील दायर की है।

चेम्बर व्यवसायिओं को मिला झूठा आष्वासन
व्यापारियों ने सोचा था कि इस कदम से हमें बदहाल राजमार्ग से छुटकारा मिल जायेगा लेकिन जब राजमार्ग का निर्माण कार्य प्रारम्भ नही हुआ तो उनके सब्र का बॉध टूट गया। उन्होने आंदोलन की चेतावनी दी तब जाकर जिला प्रशासन तथा एमपीआरडीसी के बीच व्यापारियों की बैठक हुई इस बैठक का नतीजा वही ढांक के तीन पात निकला जब अधिकारियो ने यह घोषणा की कि इस राजमार्ग के गड्डे भरे जायेगें तथा इसका मेन्टीनेन्स होगा। एसडीएम इसकी निगरानी करेगें तथा प्रगति के बारे में मीडिया को प्रतिदिन जानकारी दी जायेगी तथा उनका दौरा भी करवाया जायेगा। यह धोखा देने वाला तथा जनता के साथ छलावा करने वाला कदम है क्योंकि आंदोलन राजमार्ग निर्माण के लिए किया गया न की गड्डे भरने और मेन्टीनेन्स के लिए। इस बैठक के बाद यह स्पष्ट हो गया कि सरकार अपने वादे से मुकर गई है।

कमीशन का खेल
इस राजमार्ग के निर्माण का ढेका लेने वाली टापबर्थ कम्पनी और उसके सहयोगी संस्थान केन्द्र में सत्तारूढ़ सरकार के संरक्षण वाली कम्पनी है। इसीलिए इस कम्पनी को फायदा पहुचॉने के उद्देश से इस राजमार्ग के निर्माण में देरी हो रही है। सरकार का और सत्तारूढ़ दल के नेताओं का यह कुटिल प्रयास है कि इस राजमार्ग के निर्माण का समय बढता रहे जिससे इसके निर्माण की आर्थिक लागत भी बढती रहे। और घर बैठे नेताओ और प्रशाासनिक अधिकारियों को बतौर कमीशन मोटी रकम मिलती रहे।

जनता की आवाज उठाने पर हुई एफआईआर
लोकतंत्र में जनता के लिए आवाज उठाना कोई गुनाह नही है लेकिन सतना में ऐसा करना गुनाह हो गया है। रामपुर बाघेलान जन संघर्ष समिति ने जब जनता के हक आवाज उठाई तो उस आवाज को दबाने के लिए रामपुर बाघेलान जनसंघर्ष समिति के संयोजक कमलेन्द्र सिंह ‘‘ कमलू’’ उनके प्रमुख सहयोगी डा.अमित सिंह, रावेन्द्र सिंह तथा 50 साथियो के खिलाफ धारा 341, 34 आईपीसी एक्ट के तहत प्रकरण पंजीबद्व कर लिया गया। बावजूद इसके हमारे साथ जनता के लिए संघर्ष करने वाले युवाओं, व्यापारियों तथा अन्नदाता किसानो का मनोबल नीचा नही हुआ।

अब व्यापारियों को छापे के माध्यम से डराने का प्रयास
राजमार्ग निर्माण के लिए आवाज उठाने वाले विंध्य चेम्बर ऑफ कामर्स के बैनर तले सडक पर उतरने की तैयारी कर रहे व्यापारियों को भाजपा के नेताओ द्वारा आयकर विभाग तथा वाणिज्यकर विभाग के छापो के नाम पर डराया धमकाया जा रहा है। उन्हे मुॅह बन्द करने हेतु कहा जा रहा है जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।

हमारे ज्ञापन पर नहीं हुई एफआईआर
संघर्ष समिति ने पुलिस अधीक्षक सतना को एक ज्ञापन सौंपकर यह मॉग की थी कि राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण न करने पर इसके लिए जिम्मेदार टापवर्थ कम्पनी तथा एमपीआरडीसी के महाप्रंबधंक मनीष रस्तोगी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाय। लेकिन आज दिनांक तक एफआईआर दर्ज नही की गई। अभी भी समय है जब जिम्मेदारो के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो अन्यथा संघर्ष समिति को न्यायालय में वाद प्रस्तुत करने हेतु मजबूर होना पडेगा।

विवेक तन्खा से मिले कमलू
राजमार्गो की कानूनी लडाई लडने के उद्देश्य से रामपुर बाघेलान जनसंघर्ष समिति के संयोजक कमलेन्द्र सिंह ‘‘कमलू’’ देश के ख्याति नाम वकील व राजसभा सांसद विवेक तन्खा से किसानो को साथ लेकर मुलाकात की और उनसे किसानो के हित में लडाई लडने का आग्रह किया। श्री तन्खा ने संघर्ष समिति को आश्वस्त किया है कि वे किसानो के हित की लडाई कानूनी रूप से लडेगें।
इनका कहना है

रामपुर बाघेलान जनसंघर्ष समिति के संयोजक कमलेन्द्र सिंह‘‘कमलू’’ ने कहा कि जनहित के इस मुद्दे के लिए संघर्ष करने वाले हर व्यापारी तथा आम जनता के लिए रामपुर बाघेलाना जनसंघर्ष समिति सदैव तत्पर है और हर कदम पर उनके साथ है। संघर्ष समिति के साथियो को इसके लिए अगर कोई भी कुर्बानी देनी पडी तो वह इसके लिए भी तैयार है।
                                               
Shivbhanusingh Baghel
baghelnewsservice@gmail.com

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