15.10.16
डॉ. वीरेन्द्र आज़म का उत्तराखंड में सम्मान
देहरादून। अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति अमेरिका (भारत चैप्टर) एवं उत्तर भारत श्रमजीवी पत्रकार परिषद द्वारा हिन्दी दिवस के उपलक्ष में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में आयोजित एक भव्य समारोह में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वीरेन्द्र आज़म को उनकी साहित्यिक पत्रकारिता तथा करीब चार दशक की स्वस्थ पत्रकारिता के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सम्मानित किया। डॉ.वीरेन्द्र आज़म प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘‘शीतलवाणी’’ के संपादक हैं। उल्लेखनीय है कि डॉ.वीरेन्द्र आज़म गत चार दशक में नवभारत टाइम्स दिल्ली, अमर उजाला मेरठ, राष्ट्रीय सहारा दिल्ली, दैनिक जागरण देहरादून, जनवाणी मेरठ, नेशनल दुनिया दिल्ली व आकाशवाणी लखनऊ से जुड़े रहे है।
इसके अलावा भी दैनिक ट्रिब्यून चंडीगढ़, साप्ताहिक आउटलुक, शुक्रवार, चौथी दुनिया, पायनियर हिन्दी, योजना, उत्तर पाक्षिक सहित देश की अनेक पत्र पत्रिकाओं में लिखते रहे है। वर्ष 1981 में पत्रकारों की अखिल भारतीय निबंध प्रतियोगिता में तत्कालीन उपराष्ट्रपति श्री एम हिदायतुल्ला तथा वर्ष 2007 में स्वस्थ पत्रकारिता के लिए तत्कालीन उपराष्ट्रपति श्री भैरोसिंह शेखावत के कर कमलों द्वारा भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है। वह कृषि व बागवानी पर आधारित पत्रकारिता ‘कृषि मंगल’ मासिक दिल्ली का भी कई वर्ष तक संपादन कर चुके हैं। वर्ष 2013 में देशभर के कृषि वैज्ञानिकों की संस्था ‘सोसायटी फॉर प्लांट रिसर्च’ द्वारा भी ‘‘किसान चक्र एवार्ड 2013’’ से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त भी देशभर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा सौ से अधिक पुरस्कार व सम्मान उन्हें प्राप्त हो चुके हैं।
इस अवसर पर उन्होंने मुख्यमंत्री हरीश रावत से कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं के विकास के बिना हिन्दी को समृद्ध नहीं किया जा सकता, अतः उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की तर्ज पर उत्तराखंड में भी हिन्दी की विभिन्न विधाओं में लेखकों व रचनाकारों को प्रतिवर्ष पुरस्कार देने की शुरुआत की जानी चाहिए। हर्ष का विषय यह रहा कि मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि उत्तराखंड की स्थानीय भाषाओं और कला व संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने उत्तराखंड में एक संस्थान बनाने का मन बनाया है, इसका क्या स्वरुप हो इसके लिए उन्होंने साहित्यकारों, रचनाकारों व कलाकारों से सुझाव देने आह्वान किया।
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