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22.6.16

आजमगढ़ में हुई सांप्रदायिक हिंसा में घायल लोग इलाज के अभाव में तड़प रहे

पुलिस ने घरों में घुसकर उत्पीड़न किया, प्रशासन के दबाव में पीड़ितों का न तो मेडिकल किया गया और न ही एफआईआर 

लखनऊ 22 जून 2016। रिहाई मंच ने कहा कि जिस तरह रमजान के महीने में सूबे में जगह-जगह से छिटपुट सांप्रदायिक तनाव की खबरें आ रही हैं ऐसे में इसपर प्रदेश सरकार सख्ती से कार्रवाई करे। मंच ने responseinsafmuhim@gmail.com मेल जारी करते हुए कहा कि अगर कहीं भी तनाव होता है तो आप इस मेल पर सूचित करें। रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि पिछले दिनों आजमगढ़ के खुदादातपुर में हुई सांप्रदायिक हिंसा में घायल हुए लोग आज भी चिकित्सा के अभाव में पीड़ा सह रहे हैं, उन्हें कोई मुआवजा अब तक नहीं दिया गया या फिर खुदादातपुर जहां पुलिस ने घरों में घुसकर जो उत्पीड़न किया वो सरकार की मानसिकता को उजागर करता है कि प्रशासन के दबाव में न तो उनका मेडिकल किया गया और न ही एफआईआर।


उन्होंने कहा कि मई माह में हुई घटना थाना निजामाबाद के सीमा पर स्थित गांव खुदादातपुर में हुई जिसके बाद निजामाबाद के दर्जन से अधिक गांवों में 107/116/111 के तहत नोटिस जारी की गई। सवाल है कि अगर इस सांप्रदायिक तनाव से पूरे इलाके में तनाव हुआ तो ऐसे में सिर्फ निजामाबाद थाने के ही गांवों को नोटिस जारी करना दर्शाता है कि पुलिस प्रशासन अपनी नाकामी को छुपाने के लिए इस तरह से नोटिस जारी कर अपनी भूमिका पर उठ रहे सवालों को दबाना चाहता है। क्यों कि खुदादातपुर गांव निजामाबाद थाने की सीमा पर स्थित है और उसके बाद सरायमीर थाना शुरु हो जाता है। जबकि थाना सरायमीर में किसी गांव में किसी तरह की नोटिस नहीं जारी हुई है। वहीं जिस तरह से जमानत के तौर पर दो चार पहिया गाड़ी को आधार बनाया गया है उससे भी गांवों के लोग बहुत परेशान हैं। क्योंकि एक-एक गांव से सैकड़ों लोगों को नोटिस किया गया है। ऐसे में यह संभव ही नहीं है कि हर गांव में 200-300 चार पहिया गाड़ी हों जिससे स्थानीय लोग काफी परेशान हैं। मंच नेता ने कहा कि जिस तरह आजमगढ़ में पहली बार राहगीरों को रोककर सांप्रदायिक आधार पर पहचान कर उनपर हिंसक हमले व लूटपाट की गई यह घटनाएं साफ करती हैं कि इस सांप्रदायिक तनाव में पूर्वनियोजित थी जिसमें हमलावर प्रशिक्षित सांप्रदायिक तत्व थे।

दौरे में शामिल इलाहाबाद हाईकोर्ट अधिवक्ता संतोष सिंह ने कहा कि दौरे के दौरान दाऊदपूर गांव में जहां चार ऐसे लोग मिले जो विकलांग हैं जिनकों शांतिभंग करने के नाम पर नोटिस किया गया है तो वहीं चकिया गांव में ऐसे कई लोगों को 107/116/111 के तहत नोटिस किया गया है जो विदेश में हैं या फिर कई लोगों की मृत्यु तक हो चुकी है। निजामाबाद पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल करते हुए कहा कि जिस तरह थोक के भाव में ग्राम वासियों को नोटिस किया गया वह बताता है कि पुलिस ने ऐसी कोई तफ्तीश करके नहीं बल्कि वोटर लिस्ट से नाम निकाल नोटिस जारी कर दिया है। जो कि पुलिस की गैर जिम्मेदाराना कार्यप्रणाली को सामने लाता है। होली के दौरान भी निजामाबाद थाने क्षेत्र के ही फरीदाबाद गांव में तनाव हुआ था पर सिर्फ थानेदार का स्थानांतरण कर जिला प्रशासन मामले को निपटाने की बात करता है।

मंच नेता ने कहा कि खुदादातपुर सांप्रदायिक तनाव में 14 मई की रात तकरीबन 10 बजे के बाद की घटना को शाम को तकरीबन 6 बजे की घटना बताना, आईजी जोन वाराणसी द्वारा खुदादातपुर के गांव वालों से वार्ता के नाम पर धमकी देना और शाम को गांव को तीन ओर से घेर कर हजारों की हमलावर भीड़ का इकट्ठा होने जैसे बहुत से महत्वपूर्ण सवाल हैं जिसे मंच जल्द अपनी जारी होने वाली रिपोर्ट के माध्यम से विस्तार में लाएगा। जिससे आजमगढ़ को सांप्रदायिकता की आग में झोकने वाली राजनीति और शासन-प्रशासन का चेहरा न सिर्फ बेनकाब होगा बल्कि ऐसी घटनाओं की सच्चाई सामने लाकर आम जनता को सांप्रदायिकता के इस खेल के खिलाफ जागरुक किया जा सके।

द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम
(प्रवक्ता, रिहाई मंच)
09415254919

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