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14.6.16

आखिर क्या होगा जी पुरवईया का?

जी मीडिया समूह यूँ तो 90 के दशक में ही अस्तित्व में आया लेकिन शुरूआती समय में मीडिया जगत में कैसे उसे जगह और पहचान मिले,यह चुनौती उसके सामने मुंह बाए खड़ी थी।बड़ी मिहनत और जद्दोजहद से जी समूह की मजबूत टीम बनी और धीरे--धीरे जी मीडिया लोगों के दिल में उतरता चला गया।हांलांकि इस दौर में समय--समय पर इस समूह के सामने कई तरह की मुश्किलें और पेचीदगियां भी आईं लेकिन सभी से पार पाते हुए बदस्तूर इस समूह का सितारा बुलंद रहा।पुरानी बातों पर ज्यादा चर्चा से बेहतर है की हम कुछ हालिया घटनाक्रम पर ध्यान दें जिससे हमारे पाठकों के लिए रोचकता भी बनी रहेगी और वे मौलिकता से सने सच से रूबरू भी होंगे।


जी समूह कई रिजिनल चैनल का विस्तार कर रहा था। शुरूआती समय से ही श्रीकांत प्रत्युष ने जी न्यूज़ में बिहार ब्यूरो के रूप में कमान सम्भाल रखी थी। श्रीकांत और उनके कुछ मीडियाकर्मी दोस्तों की विगत कई वर्षों से यह दिली इच्छा थी की जी समूह का बिहार--झारखंड का अपना एक रिजिनल चैनल अलग से हो।इसके लिए श्रीकांत प्रत्युष काफी प्रयत्नशील भी थे। काफी कोशिशों के बाद वर्ष 2013 में जी समूह ने बिहार--झारखंड का एक चैनल अलग से लाने का फैसला लिया।यहां बताना बेहद लाजिमी है की श्रीकांत प्रत्युष ने बिहार में जी बेहतर परिणाम दे इसके लिए जी मैनेजमेंट के आदेश से अपने बेहद करीबी ब्रजेश मिश्रा को अलग से बिहार का संवाददाता बनवा रखा था।बिहार में श्रीकांत प्रत्युष की पहचान मीडिया शोमैन की बन गयी थी।इस दौरान ब्रजेश मिश्रा ने भी अपने काम और अपनी चतुराई के दम पर बिहार में अपनी अलग पहचान बना ली।राज्य मुख्यालय में बैठे अधिकारियों से लेकर मंत्री और बड़ी हस्तियों से ब्रजेश के अच्छे और मधुर सम्बन्ध बन चुके थे।अब शुरू करते हैं "अथ श्री जी मीडिया शर्मनाक कथा" ।जी समूह श्रीकांत प्रत्युष के नेतृत्व में बिहार--झारखंड का एक नया चैनल जी पुरवईया लाने की जुगत शुरू कर चुका था।

इसी क्रम में श्रीकांत प्रत्युष ने मौर्य टीवी के मालिक फिल्म निर्देशक प्रकाश झा से संपर्क किया। प्रकाश झा बिहार के ही रहने वाले हैं। बिहार में मौर्य टीवी के बुरे दिन चल रहे थे।श्रीकांत ने जी मैनेजमेंट और प्रकाश झा के बीच एक कड़ी की भूमिका निभायी और जी समूह ने मौर्य टीवी के घर सहित सारे तंत्र को खरीद लिया।अब जी समूह के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी की जी पुरवईया चैनल को लॉन्च करने से पहले बिहार और झारखंड में ब्यूरो सहित स्ट्रिंगर की मजबूत टीम कैसे बनायी जाए।इसके लिए श्रीकांत प्रत्युष ने कोसी इलाके से आने वाले मुकेश कुमार सिंह से सम्पर्क साधा।बिहार और झारखंड में मुकेश कुमार सिंह की ना केवल जबरदस्त पहचान थी बल्कि पत्रकारिता को लेकर मजबूत हस्तक्षेप भी था।मुकेश कुमार सिंह ने जी पुरवईया के लिए बिहार के अड़तीस जिले में पहले अपने स्तर से स्ट्रिंगर रखे फिर झारखंड के चौबीस जिलों में से नौ स्ट्रिंगर रखे।इनमें से कुछ और बाँकी श्रीकांत प्रत्युष,ब्रजेश मिश्रा के अलावे मौर्य टीवी के कुछ ओहदेदारों के कहने पर भी स्ट्रिंगर रखे गए।

लेकिन जी पुरवईया चैनल के लॉन्च होने से पहले ही श्रीकांत प्रत्युष की जी समूह से छुट्टी कर दी गयी।सूत्रों से मिली जानकारी और उपलब्ध साक्ष्य के मुताबिक़ जिस ब्रजेश मिश्रा को श्रीकांत प्रत्युष ने जी मीडिया में लाया था उसी ब्रजेश मिश्रा ने श्रीकांत की जी से विदाई की पटकथा लिखी थी।31 दिसम्बर 2013 को श्रीकांत प्रत्युष ने जी समूह से रिजाइन कर दिया और रातो रात बाबानगरी झारखंड के देवघर पूजा के लिए चले गए। इधर ब्रजेश मिश्रा की बल्ले--बल्ले हो रही थी।जी समूह के ऊपर के लोगों से भी ब्रजेश का हाय--हलो और दोस्ताना भी था।इसी बीच ब्रजेश मिश्रा ने शिवपूजन झा से सम्पर्क साधा। शिवपूजन झा रिपोर्टर के रूप बिहार से आने वाले एक कद्दावर चेहरा थे। कई अंग्रेजी चैनल में अपनी सेवा दे चुके शिवपूजन उस वक्त न्यूज एक्स में कार्यरत थे।जी न्यूज़ के एडिटर और धांसू एंकर सुधीर चौधरी से भी शिवपूजन झा की निकटता थी। फिर क्या था शिवपूजन झा जी पुरवईया के पहले रेजीडेंट एडिटर बनाकर बिहार के पटना भेजे गए और 16 जनवरी 2014 को जी पुरवईया चैनल लॉन्च किया गया।ब्रजेश और शिवपूजन की जोड़ी कुछ दिनों तक दमदार रही। चैनल चलेगा कैसे और रेवेन्यू कैसे जेनरेट होगा,इसको लेकर ब्रजेश और शिवपूजन की एक गोपनीय मीटिंग हुयी।कैसे बिहार और कैसे झारखंड से रेवेन्यू जेनरेट होगा इसपर काम शुरू हुआ।

झारखंड में दूसरे खबरिया चैनल में कार्यरत मनीष मेहता को रेवेन्यू जेनरेट करने वाली मशीन के तौर पर हायर कर के जी पुरवईया में प्रिंसीपल कॉरेस्पॉन्डेंट बनाया गया।फिर रेवेन्यू जेनरेट करने का खेल अलग तरीके से शुरू हुआ।बिहार के कुछ रिपोर्टर मसलन आनंद अमृतराज और अमित झा को बड़े नेताओं से वसूली का जिम्मा सौंपा गया।खेल बदस्तूर जारी था।लेकिन नोटों की खुशबू अक्सर सम्बन्ध खराब करती है।शराब-कबाब और शबाब के साथ-साथ रुपयों की हनक के सामने रिश्ते दरकने लगे।ब्रजेश का शिवपूजन के साथ रिश्ते की गर्माहट ना केवल कम हुयी बल्कि रिश्ते में पूरी तरह से खटास भी आ गयी।जी मैनेजमेंट को दोनों एक--दूसरे की शिकायत करने लगे।इधर ब्रजेश,शिवपूजन और शिवपूजन,ब्रजेश पर नजर रख रहे थे।बिहार--झारखंड से रेवेन्यू जेनरेट हो रहे थे लेकिन जी समूह के हिस्से रेवेन्यू ऊंट मुंह में जीरा की तर्ज पर जा रहा था। मोटी रकम बीच में ही इधर से उधर हो रहा था।इसी क्रम में ब्रजेश के खबरीलाल होने के शक में जी पुरवईया से कुछ लोगों को नन परफॉरमर बताकर बाहर निकाला गया। इधर ब्रजेश की नौकरी भी फंसी थी। ब्रजेश भी कम गेम्ब्लर नहीं थे।वे भी फ्रंट फुट पर आकर बल्लेबाजी कर रहे थे।आखिरकार छक्का लगाकर ब्रजेश ने शिवपूजन झा को जी पुरवईया से बाहर करवा कर दम लिया।दिसंबर 2015 को अनुभव खंडूरी जी पुरवईया का डिप्टी रेजिडेंट एडीटर बनकर दिल्ली से पटना आये।लेकिन जी पुरवईया के दिन बहुरने के लक्षण कहीं से भी नजर नहीं आ रहे थे।कहते हैं की पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं।अनुभव खंडूरी चैनल संभालने की जगह कृष्ण बनकर पटना में रासलीला रचाने लगे।सूत्रों की मानें तो मैनेजमेंट को अनुभव खंडूरी का काला चिट्ठा हाथ लग चुका है और जल्द ही उनके भाग्य का फैसला भी हो जाएगा।

इधर मई 2016 में जी राजस्थान के एडीटर पुरुषोत्तम वैष्णव को जी पुरवईया के एडीटर का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया।और देखते ही देखते जी पुरवईया का बोरिया--बिस्तर समेटकर नोएडा ले जाया गया।सात जून से अब जी पुरवईया का प्रसारण पटना की जगह नोएडा से हो रहा है।चैनल ग्राफिक्स में काफी बदलाव हुए हैं।नए एंकर जंच रहे हैं और स्टोरी का भ्वाइस ओवर भी दमदार हुआ है।कुल मिलाकर पुरुषोत्तम वैष्णव की पहल और महती कोशिश से चैनल में धार आई है।बिहार में ब्रजेश मिश्रा करीबी धीरज ठाकुर शुरू से ही जी पुरवईया के इनपुट हेड बनकर बैठे थे।ब्रजेश की कृपा पर इनपुट हेड बने ही उन्हें नोएडा ले जाया गया है लेकिन इनपुट की समझ ना के बराबर रखने वाले धीरज से नोएडा में हल्के--फुल्के काम लिए जा रहे हैं। यानि उनकी नौकरी बस बची हुयी है।जी पुरवईया से कुछ और बड़े चेहरों ने इस्तीफा देकर अपना नाता तोड़ा है।इसमें कोई शक नहीं है की पुरुषोत्तम वैष्णव खबरिया चैनल की नब्ज पहचानते हैं और भीड़ से अलग चैनल को काबिज करने का उनमें हुनर के साथ--साथ दम भी है।लेकिन पुरुषोत्तम वैष्णव को अँधेरे में रखा गया जिस कारण ब्यूरो चीफ मुकेश कुमार सिंह ने इस्तीफा दे दिया।

मुकेश कुमार सिंह के जी समूह से इस्तीफा देने का सबसे अधिक फायदा ईटीवी को है। ब्रेकिंग्स,टिकर--फ्लैश से लेकर बेहतरीन ख़बरों के प्रवाह में कमी का दौर जारी है।नए सिरे से रेवेन्यू जेनरेट होने के भी दूर--दूर तक कहीं आसार नजर नहीं आ रहे हैं। कयास का बाजार गर्म है की जी समूह से ब्रजेश मिश्रा को भी बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।कहीं मुकेश कुमार सिंह ईटीवी के साथ हो गए तो फिर जी पुरवईया के दिन बहुरने की सम्भावना पर ही ब्रेक लग जाएगा। वैसे अभीतक यह साफ़ नहीं हो पा रहा है की आखिर मुकेश कुमार सिंह अपनी नयी पारी का आगाज किस समूह के साथ करेंगे।वैसे मुकेश कुमार सिंह के जी समूह में फिर से वापसी हो जाए, इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता है। आखिर क्या होगा जी पुरवईया का? आने वाले दिनों में जी पुरवईया का शटर पूरी तरह से बंद भी हो सकता है। वैसे बड़ी सच्चाई यह है की फिलवक्त पुरे जी समूह के ही बुरे दिन चल रहे हैं।

बिहार से एक पत्रकार द्वारा भेजा गया पत्र.

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