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14.8.17

एक और मां का बेटा हुआ एक औरत का शिकार

2012 बैच के आईएएस ऑफिसर और बक्सर के डीएम की अचानक आत्महत्या से उनके घर-परिवार सहित पूरा देश सदमे में है. ऐसा क्या हुआ जो देश की सबसे बड़ी परीक्षा पास करने वाला शख्स घर की परीक्षा में फेल हो गया और उसे आत्महत्या की तरफ मुड़ना पड़ा। सुसाइड करने से पहले मुकेश पांडेय ने अपने कई दोस्तों और रिश्तेदारों को एसएमएस कर सुसाइड करने की जानकारी दी। दोस्त उन्हें दिल्ली पुलिस की मदद से दिल्ली के मॉल्स में ढूंढ रहे थे लेकिन वो आईएएस को 'जिसकी' तलाश थी वो अभी तक उसके अकेलेपन और उसके दिमागी दबाव से अनजान थी ऐसी क्या परेशानी थी उस नौजवान अधिकारी को?.. ऐसी क्या टेंशन थी उसकी जो इतने उच्च पद पर बैठे होने के बाद भी उसे खाई जा रही थी। हम आम जिंदगी में आत्महत्या करने वाले को कायर, निकम्मा जाने क्या क्या कहते है लेकिन ये भी सच है हम कभी उस प्रेशर को नहीं माप सकते जो आत्महत्या वाले शख्स के दिलोदिमाग में होता है। हां, वो कायर ही था जिसने अपनी तीन माह की दुधमुंही बेटी तक का ख्याल नहीं आया। लाजमी है वो एक मर्द था इसीलिए उसके पास दिल नहीं था उसे प्यार,मोहब्बत,इंसानियत जैसे शब्दो से अनजान था हमारे समाज में एक आदमी को कुछ ऐसी ही परिभाषाओ से नवाजा जाता है।


हालांकि सवाल अभी भी वही खड़ा है की एक आईएएस अधिकारी ने आत्महत्या क्यों की आत्महत्या से पहले मुकेश पांडेय ने एक सुसाइड नोट भी लिखा था जिसमे सुसाइड का कारण पारिवारिक विवाद बताया जा रहा है। इस नोट के अनुसार मुकेश की पत्नी और उसके माता पिता की आपस में नहीं बनती थी जिसकी वजह से मुकेश पांडेय काफी परेशान थे जिसका जिक्र उन्होंने सुसाइड करने से पहले बनी एक वीडियो में भी किया है और इसके बाद मुकेश गाजियाबाद के एक रेलवे ट्रैक पर दो टुकड़ो में मिले। देर रात घटनास्थल पर पहुंची मुकेश की पत्नी, सास, ससुर और साला बेसुध दिखे घटनास्थल पर मुकेश की सास-ससुर और पत्नी उन्हें कोसते दिखाई दिए। ससुर ने रोते हुए कहा कि सुसाइड के समय मुकेश को तीन माह की दुधमुंही बेटी तक का ख्याल नहीं आया। अगर पता होता कि दामाद इतना कायर है तो उससे कभी बेटी की शादी नहीं करते। रो-रोकर बेहाल पत्नी ने कहा कि मुकेश उन्हें धोखा देकर चले गए। लेकिन वो कहावत है न अब पछताए क्या होत जब चिड़िया चुग गयी खेत। उधर, अधिकारियों ने भी दबे शब्दों में बताया कि सुसाइड के पीछे पारिवारिक विवाद सामने आ रहा है। लेकिन अब वो विवाद सब ख़त्म हो गए होंगे कुछ समय बाद सब अपनी अपनी जिंदगी में व्यस्त हो जाएगे लेकिन एक माँ बाप को उसके बेटे की जरुरत और एक बच्ची को बाप की जरुरत का अंदाज़ा दुनिया की कोई ताकत नहीं लगा सकती। ये आईएएस अधिकारी बहुत बड़ा मैसेज हमारे लिए और हमारे समाज के लिए छोड़ गया है. . हम कैसे समाज का निर्माण कर रहे है? हम अपने बच्चो को क्या शिक्षा दे रहे है? ये कहानी किसी एक मुकेश की नहीं है ऐसे मुकेश की संख्या लाखो या कहे करोड़ो में भी हो सकती है  इस बारे ने आप सोचियेगा जरूर।

written by:
Anshul kaushik
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ansh.kaushik007@gmail.com

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