अक्सर बीजेपी और संघ परिवार में गाहे -बगाहे यह चर्चा अफवाह उड़ती है कि शायद अब संजय जोशी की वापसी बीजेपी में होने जा रही है ,फिर दूसरे ही पल उनके और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच की मनमुटाव की खबरों को ज्यादा बल मिलता है ,कभी सुनने में आता है कि मोदी शाह की जोड़ी उनकी लोकप्रिय जननेता की छबि से खुद की कुर्सी को खतरा मानते हुए उनकी वापसी नहीं होने दे रही ,तो कभी सुनने में आता है संघ परिवार नहीं चाहता उनकी वापसी।
उपरोक्त तमाम अटकलों के बीच एक निर्विवाद फैक्ट यह भी है कि संजय जोशी के चाहने वाले बीजेपी व संघ परिवार में लाखों की तादाद में है ,उनके दिल्ली स्थित निवास पर रोजाना सैकड़ों कार्यकर्त्ता उनसे मिलने आते है ,उनका खुला दरबार रोजाना जमता है जहां कई कई दिन तो हजार से दो हजार लोग भी उनसे मिलने को आते है।
संजय जोशी की यही लोकप्रियता मोदी शाह की जोड़ी को खटकती है और यह जोड़ी हर सम्भव प्रयास करती है कि इनको दिल्ली से दूर रखा जाए ,ऐसे में जब उनसे नार्थ एवेन्यू की कोठी खाली करवाई गई थी तब यही मैसेज आम कार्यकर्ताओं में गया था ,लेकिन अब भी संजय जोशी अपने कार्यकर्ताओं -समर्थकों के दम पर दिल्ली में टिके हुए हैं।
अक्सर उनके समर्थकों में यह रोष देखा गया है जब वो कहते है बीजेपी की गंगोत्री में हर विपक्षी पार्टी का नेता आ घुसता है और यहां पवित्र बन जाता है ,ऐसे सैकड़ो उदाहरण है जो लोग बाहर से आए और अब विधायक सांसद मंत्री बन बैठे हैं वही दूसरी तरफ कद्दावर नेता संजय जोशी को क्यों नहीं लिया जा रहा ? इस क्यों का ईमानदारी से जवाब ढूंढने की कोशिश यदि की जाए तो सीधे सीधे मोदी -शाह के आंतरिक भय की तरफ इशारा करता है।
सुनने में यह भी आया है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल के अधिकांश नेता मंत्री जिनमें राजनाथ ,सुषमा ,गडकरी और अन्य कई सांसद प्रधानमंत्री मोदी और शाह की हिटलरशाही मिजाज से अंदर ही अंदर दुखी है और वो सब एक मौके की तलाश में है, ऐसे में 2019 की चुनावी भविष्यवाणी जब कई सर्वे में देखने सुनने को आ रही है वो मोदी शाह के नेतृत्व में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत से काफी दूर 200 सीट अधिकतम तक समेट रहा है.
अब गठबंधन में शायद ही कोई मूर्ख होगा जो मोदी को पीएम कैंडिडेट स्वीकार करेगा ,खुद बीजेपी के कई नेता सांसद इस मौके पर उनकी हिटलरशाही को दुबारा मौका नहीं देंगे , इस परिस्थति को देखते हुए आरएसएस पहले से ही एक रणनीति पर जुटा हुआ है कि मोदी को यदि पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो सर्वमान्य नेता कौन हो सकता है , इस गणित में संजय जोशी एकलौते वह नाम हो सकते है जिस पर बीजेपी के साथ साथ अन्य सहयोगी दल भी अपनी सहमति दे सकते हैं।
इस राजनितिक गुणा -भाग की पड़ताल करते हुए एक पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक के नाते जब संजय जोशी से अनौपचारिक वार्ता में कुछ इधर -उधर की बात हुई तब यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि संजय जोशी जल्द ही अब बीजेपी व आरएसएस में मोदी -शाह की जोड़ी को चुनौती पेश करते हुए अपनी दावेदारी रखेंगे.
कुछ विश्वस्त सूत्र यहां तक बता रहे हैं कि किसी खोजी पत्रकार द्वारा संजय जोशी को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किए गए एक बड़े करीब डेढ़ लाख करोड़ रूपये के घोटाले से जुड़े अहम दस्तावेज सौंपे गए है. पिछले कुछ दिनों में संजय जोशी की गुपचुप मुलाकात जिस खोजी पत्रकार से हुई है वह इंटेलिजेंस की नजर में है , यह भी सुनने में आ रहा है कि महागठबंधन से जुड़े छोटे क्षेत्रीय दल संजय जोशी की वापसी की अटकलों से खुश गदगद है और एक प्रमुख क्षेत्रीय दल के विपक्षी नेता ने मोदी शाह की जोड़ी को संजय जोशी से बदलने के कयासों पर प्रसन्नता जाहिर तो की लेकिन साथ साथ उनकी सुरक्षा की भी चिंता व्यक्त की.
इन दिनों संजय जोशी के पास कोई सुरक्षा नहीं है अब यदि उनकी वापसी की अटकलें तेज होती जा रही है तो यह एक चिंता का विषय होगा कि संजय जोशी की सुरक्षा कैसे हो पायेगी क्यूंकि उनके समर्थकों को मोदी शाह से ही खतरा दिखाई दे रहा है।
Navneet Chaturvedi
Journalist
navneetc2010@gmail.com
26.6.18
संजय जोशी की बीजेपी में दूसरी पारी धमाकेदार तरीके से शुरू होने जा रही है!
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