श्री पी.सी.रामपुरियाजी,अमित द्विवेदी,रजनीश के.झा और मनीषा दीदी का हार्दिक आभार,.जिन्होंने मेरी हास्य गजल को पसंद किया। इनकी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया की अपेक्षा में एक गजल और प्रस्तुत कर रहा हूं...
इश्क में हम हैं गिरफ्तार खुदा खैर करे
डैडी उनके हैं हवलदार खुदा खैर करे
इतनी गरमी पड़ी इस बार खुदा खैर करे
मेढ़की तक पड़ी बीमार खुदा खैर करे
काम होता नहीं आजकल दफ्तर में कहीं
हो गये दिन सभी रविवार खुदा खैर करे
ढ़ूंढने आदमी निकला था जमाने में वफा
वक्त खुद हो गया गद्दार खुदा खैर करे
मेंहरबा मीडिया कुबड़ों पे हुआ है ऐसा
बौनी लगने लगी मीनार खुदा खैर करे
देखते-देखते इस दौर के मेकअप का कमाल
हुस्न लगने लगा खूंखार खुदा खैर करे
शेखचिल्ली न मिला एक भी नीरव-सा यहां
इश्क में खो दिया घर-बार खुदा खैर करे।
पं.सुरेश नीरव
10.7.07
खुदा खैर करे
Posted by
Unknown
0
comments
Labels: हास्य गजल
9.7.07
दीवाने हजारों हैं
हास्य-गजल-
इक पिद्दी-सी लड़की के दीवाने हजारों हैं
है उम्र फक़त सोलह अफसाने हजारों हैं
रिश्वत पे यहां कोई सरचार्ज नहीं लगता
हम जैसों की इनकम पर जुर्माने हजारों हैं
ढूंढे से नहीं मिलता नमकीन यहां अच्छा
बस्ती में मगर अपनी मयखाने हजारों हैं
आंसू की नुमाइश तो आंखों में लगी देखी
हंसने की खताओं पर हर्जाने हजारों हैं
बीवी को सजावट का सामान नहीं मिलता
मेकअप के खुले घर-घर बुतखाने हजारों हैं
कल ही तो शपथ लेकर सालेजी बने मंत्री
अब केस दरोगा पर चलवाने हजारों हैं
इंपोर्ट विदेशों से करना है हमें गोबर
गोबर की जगह नेता तुलवाने हजारों हैं
मुद्दत से खड़े नीरव बस्ती में यहां तन्हा
अपना ना मिला कोई बेगाने हजारों हैं।
पं. सुरेश नीरव
Posted by
Unknown
5
comments
Labels: हास्य-गजल
Subscribe to:
Posts (Atom)