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21.8.19

बेपटरी होती यूपी की कानून व्यवस्था

अपराध मुक्त प्रदेश के नारे के साथ सत्ता में आई बीजेपी की योगी सरकार ने अपने कार्यकाल का आधा समय पूरा कर लिया है। इस दौरान योगी सरकार अपराधियों पर नकेल कसने की पूरी कोशिश की है। मगर समय-समय पर अपराधी कानून व्यवस्था को बेपटरी करते रहे हैं। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट यूपी की तर्ज पर कड़ा कानून बनाकर अपराधियों को उखाड़ फेकने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि छह महीने के भीतर दोनों राज्यों से गैंगेस्टर की सफाई शुरू हो जानी चाहिए। गैंगेस्टर के बीच एरिया में दबदबा बनाने के लिए होने वाला संघर्ष समाज व कानून व्यवस्था दोनों के लिए घातक है। यह सच है कि योगी सरकार अपराधियों पर कहर बन कर टूटी है। ढाई साल के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में पुलिस ने 3599 एनकाउन्टर किये है। जिसमें 73 अपराधी ढेर हुए है जबकि चार पुलिसकर्मी शहीद भी हुए है। इस दौरान पुलिस ने 8251अपराधी गिरफ्तार किये है, इसके अलावा मुठभेड़ में 1059 अपराधी घायल हुये है। आंकड़ों के मुताबिक मुठभेड़ में 1 लाख के तीन और 50 हजार के 28 ईनामी मारे गये है। ऑपरेशन क्लीन के खौफ से कुल 13866 अपराधी अपनी जमानत निरस्त कराकर जेल चले गये। 13602 आरोपियों के खिलाफ गैंगेस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई हुई। गैंगेस्टर आरोपियों की 67 करोड़ की सम्पत्ति जब्त की गयी बावजूद इसके पुलिस अभी भी अपराध और अपराधियों की कमर नहीं तोड़ पायी है।
एक पहलू यह भी है कि प्रदेश में हुए डकैती, चोरी, बलात्कार, हत्या और नरसंहार जैसे जघन्य अपराध भी हुए है। बीते रविवार से सोमवार 24 घंटे के भीतर प्रदेश 12 हत्याओं से दहल उठा। जो प्रदेश की कानून व्यवस्था का माखौल उड़ाता है, भले ही कड़ी कार्रवाई करते हुए अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने 24 घंटे के भीतर अकेले प्रयागराज में हुए 6 हत्याओं के लिये तत्कालीन एसएसपी अतुल शर्मा को सस्पेंड कर दिया जो पर्याप्त है। वहीं सहारनपुर में पत्रकार आशीष कुमार और  उसके भाई की हत्या भी पुलिस कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल है। आनर कीलिंग के शक में बुलंदशहर में लड़की की हत्या, सुल्तानपुर में हुई हत्याएं और हाल ही में सोनभद्र के उम्भा गांव में हुआ नरसंहार सरकार के वादों के विपरित है। सम्भल में पिछले दिनों जो हुआ वह खतरनाक रहा। दो पुलिसवालों की हत्या कर गुण्डे तीन कैदियों को छुड़ा ले गए जो साफ जाहिर करता है कि कड़ाई के बावजूद अपराधी पुलिस से दो-दो हाथ करने को तैयार है। यह अपने आप में खतरनाक संकेत है।

गौरतलब है कि बदमाशों का एनकाउंटर कर देने से ही अपराध नहीं रूकने वाला। नये अपराधी पैदा न हो इसके मूल में जाना होगा और इसके कारणों को तलाशना होगा। पुलिस मुखिया और सरकार को नये सीरे से यह सोचना होगा कि अपराधियों को पकड़ने के लिए इतनी छूट भी न दे दी जाए की वर्दी  बेलगाम हो जाय। कुछ जगहों से पुलिस का अमानवीय चेहरा भी सामने आया है, जिसे नाकारा नहीं जा सकता। मानवाधिकार का उल्लंघन कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। यदि पहले चरण में ही बदलाव कर सुधार नही होता है तो अगले ढाई साल का सफर सरकार को चुभन दे सकता है।


अवनिन्द्र कुमार सिंह
दुर्गाकुंड, वाराणसी
संपर्क सूत्र- 9450089691


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