Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

13.10.19

गृह मंत्री संविधान और अपनी शपथ का ध्यान रखें, एक वर्ग को भय-अनिश्चितता में रखना उचित नहीं

उबैद उल्लाह नासिर

गृह मंत्री अमित शाह यह भूल जाते हैं कि  अब वह केवल भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष नहीं बल्कि देश के गृह मंत्री भी हैं, यही नहीं वह शायद यह भी भूल जाते हैं कि सांसद और फिर केंद्रीय मंत्री के तौर पर उन्होंने क्या शपथ लिया था अन्यथा नागरिकता और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर के सिलसले में वह ऐसे बयान न देते जो हमारे संविधान के शब्दों और उसकी आत्मा के खिलाफ है। गृह मंत्री जानते हैं की संविधान की धारा 14  और 15  के तहत इस देश में सभी नागरिकों को सामान अधिकार प्राप्त हैं और सरकार धर्म जाति  क्षेत्र और लिंग के आधार पर किसी से किसी प्रकार का भेद भाव नहीं कर सकती उन्होंने सांसद और मंत्री के तौर पर जो शपथ ली है उस में भी यही कहा गया है कि वह  उक्त आधारों पर देश के किसी नागरिक से किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करेंगे फिर वह ऐसे बयान कैसे दे सकते हैं की सरकार नागरिकता का जो क़ानून बनाने जा रही है उस से हिन्दुओं सिखों जैनियों बौद्धों ईसाईयों आदि को डरने की ज़रूरत नहीं क्योंकि सरकार उन सबको भारत की नागरिकता दे देगी उनके इस बयान से स्पष्ट है कि केवल मुसलमानों को घुसपैठिया बता कर उन्हें देश से निकाल दिया जाएगा। यह तो सम्भव है की सरकार लोक सभा में अपने बहुमत और राज्य सभा में अपने मैनेजमेंट से उक्त क़ानून पास करा ले और राष्ट्रपति जिस प्रकार आँख बंद कर के सरकार के हर क़ानून को मंज़ूरी दे रहे हैं उसी प्रकार इस क़ानून को भी मंज़ूरी दे दें लेकिन गृह मंत्री को जान्ना चाहिए की उक्त क़ानून को ठीक उसी तरह सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जायेगी जैसे धारा ३७० को समाप्त करने के लिए दी गयी है और संविधान की उक्त धाराओं के चलते सुप्रीम कोर्ट इस क़ानून को निष्क्रय कर देगा क्योंकि संविधान इस सिलसले में बिलकुल स्पष्ट है।



गृह मंत्री  और संघ परिवार के अन्य नेताओं का कहना है की चूँकि पड़ोस के मुस्लिम देशों बंगला देश और पाकिस्तान में हिन्दू सिख और अन्य गैर मुस्लिमों  को प्रताड़ित किया जाता है इस  लिए वह भाग कर भारत आते हैं और चूँकि हिन्दुओं आदि के लिए भारत के अलावा और कोई देश नहीं है इस लिए भारत उन्हें नागरिकता देगा। मानवीय आधार पर यह नागरिकता देने पर किसी को एतराज़ नहीं हो सकता लेकिन क्या माननीय  गृह मंत्री और संघ परिवार के अन्य नेता यह बताएँगे की दुनिया में कौन सा ऐसा देश है जहां हिन्दू सिख या अन्य धर्मावलम्बी न रहते बस्ते हों या उन्हें गुण दोष के आधार पर नागरिकता न मिलती हो, कनाडा अमरीका ब्रिटैन समेत कई देशों में तो हिन्दू सिख आदि सरकार में बड़े बड़े ओहदों पर बैठे हैं कई हिन्दू मंत्री है और अमरीका की राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने की एक हिन्दू महिला तैयारी भी कर रही है यह बात अलग है की मोदी जी उसके मुक़ाबले ट्रम्प का चुनाव प्रचार कर आये हैं।

गृह मंत्री यह भी स्पष्ट नहीं कर रहे हैं की घुसपैठिया बता कर जिन मुसलमानों को भारत से निकाला जायगा उन्हें कसी देश में भेजा जायगा और क्या वह देश उन्हें स्वीकार कर लेगा अब तक के रिकॉर्ड के अनुसार एक दर्जन से भी कम लोगों को बंगला देश वापस भेजा जा सका है कोई भी पडोसी देश आपके द्वारा  निकाले गए नागरिकों को लेने पर तैयार नहीं होगा तो क्या उन सबको बंगाल की खाड़ी या हिन्द महासागर में ढकेल दिया जायगा। गृह मंत्री के अनुसार देश में क़रीब 100 करोड़ घुसपैठिये हैं ( भारत की कुल आबादी 130  करोड़ है ), मान भी लिया जाए की गृह मंत्री ने जोश में आ कर उक्त संख्या बता दी और देश में केवल एक करोड़ ही घुसपैठिये हैं तो इन एक करोड़ का आप क्या करेंगे यह तो सरकार को विशेष कर गृह मंत्री को स्पष्ट करना चाहिए।

हो सकता है गृह मंत्री के दिमाग में आसाम के डिटेंशन कैंप बनाने जैसा कोई मंसूबा हो तो क्या इतने लोगों को डिटेंशन कैंप में रख कर उनके खाने पीने और जीवन की अन्य मूलभूत सुविधाओं का खर्च सरकार उठाएगी इस पर कितना खर्च आएगा और अर्थव्यवस्था पर इसका क्या बोझ होगा यह भी  सोचा गया या नहीं।  कटु सत्य यह है कि  गृह मंत्री का केवल एक ही मक़सद है मुसलमानों को डराना और कटटर हिन्दुओं को मुसलमानो के इस डर से प्रसन्न कर के बीजेपी को थोक भाव में उनका वोट दिलवाना क्योंकि उग्र राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के बल पर ही अब तक बीजेपी चुनावी समर पार करती रही है और आगे भी यही सिलसिला जारी रखेगी।

NRC  को ले कर केंद्र का रवय्या  तो और भी हास्यपाद है।  सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह रजिस्टर केवल आसाम के लिए  तैयार किया गया है किसी और राज्य के लिए नहीं तो फिर अन्य राज्यों में इसे कैसे लागू करेंगे उसका आधार क्या होगा क्या गैर भाजपाई दलों की राज्य सरकारें इसे लागू करेंगी क्या इसके खिलाफ कोई सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगा ? साफ़ ज़ाहिर है की गृह मंत्री यह कार्ड भी मुसलमानो को भयभीत करने के लिए खेल रहे हैं। उत्तर प्रदेश में इसे लागू करने का बड़ा शोर उठा अंततः पुलिस अधिकारीयों को ही स्पष्ट करना पड़ा की केवल गैर क़ानूनी तौर से रह रहे बंगला देशियों को जिन्हें आम बोलचाल में आसामी कहा जाता ही उनकी ही जांच पड़ताल हो रही है और यह कोई नयी बात नहीं है ऐसी जांच पड़ताल अक्सर होती रही है हर शहर में ऐसे आसामियों की बड़ी संख्या झुग्गी झोंपड़ी में रहती है और प्लास्टिक व कूड़ा  बीन  कर अपना जीवन यापन करती है एक प्रकार से देखा जाए तो यह प्रधान मंत्री की स्वछता अभियान में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं लेकिन चूँकि आँखों पर मसुलमानों से नफरत का चश्मा लगा हुआ है इस लिए उन्हें अवांछनीय बना दिया जाता है लेकिन प्रशासन की ऐसी जांच पड़ताल से आम मुसलमानो को भयभीत होने की ज़रूरत है

गृह मंत्री के तौर पर अमित शाह जी की पहली ज़िम्मेदारी देश के प्रत्येक नागरिक को बेखौफ ज़िंदगी जीना निश्चित कराना है लेकिन सियासी ज़रूरतों के चलते वह खुद ही भय और अनिश्चितता का माहौल पैदा करते है।

Obaid Nasir
obaidnasir@yahoo.com

No comments: