Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

3.10.13

शिवराज को जनता से नहीं वरन भाजपा नेताओं से केवलारी विस क्षेत्र में वनवास समाप्त करने की अपील करना चाहिये
अति उत्साही भाजपा कार्यकर्त्ता केवलारी में नारा लगाते समय उसे बदलना भी गये या वो ऐसा ही चाहते जैसा नारा लगा रहे थे। यदि भाजपा नेता ऐसा चाहते थे कि केवलारी क्षेत्र से इस बार भाजपा चुनाव जीते और यदि उनका यह मानना था कि ढ़ाल सिंह चुनाव नहीं जीत सकते हैं तो उन्हें कम से कम नारा तो बदल कर ऐसा कर लेना था कि ढ़ाल सिंह हटाओ, केवलारी लाओ। इसके बावजूद भाजपा की राष्ट्रीय सचिव सुधा मलैया ने यह कहा कि ढ़ाल सिंह प्रदेश के वरिष्ठ नेता हैं और वे ही केवलारी की ढ़ाल बनेंगें। उनका इस कथन का भाजपा नेता अपने अपने तरीके से अर्थ लगा रहें हैं। ़जिला मुख्यालय की सिवनी सीट के लिये भाजपा और कांग्रेस में भारी खींचतान मची हुयी है। एक तरफ भाजपा में वर्तमान विधायक नीता पटेरिया और पूर्व विधायक नरेश दिवाकर के खिलाफ कार्यकर्त्ताओं में भारी आक्रोश दिखायी दे रहा है। भाजपा यदि सुजीत जैन को अपना उम्मीदवार बनाती है तो जिले के चारों विस क्षेत्रों में आदिवासियों की नाराजगी का सामना उसे करना पड़ सकता है। वैसे कांग्रेसी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश चुनाव समिति ने छः नेंताओं के नाम स्क्रीनिंग कमेटी को भेजे है। इनमें हाजी सुहैल पाशा, राजकुमार पप्पू खुराना, नेहा सिंह, राजा बघेल, मोहन चंदेल और असलम भाई के नाम शामिल हैं। केवलारी में भाजपा का वनवास सामप्करने की अपील शिवराज ने जनता से की है जबकि वे भी यह भली भांति जानते है कि भाजपा नेताओं कारण वनवास मिल रहा है।
केवलारी मे नारा बदलना भूले भाजपायी-़अति उत्साही भाजपा कार्यकर्त्ता केवलारी में नारा लगाते समय उसे बदलना भी गये या वो ऐसा ही चाहते जैसा नारा लगा रहे थे। पलारी में आयोजित केवलारी विस क्षेत्र के कार्यकर्त्ता सम्मेलन में भाजपा नेताओं ने सिवनी में लगाये गये नीता नरेश हटाओ सिवनी बचाओ की तर्ज पर ही यह नारा लगाया कि ढ़ालसिंह हटाओ केवलारी बचाओ। अब सवाल यह उठता है कि ढ़ालसिंह को हटाकर ये नेता केवलारी किसके पास बचाये रखना चाहते थे। आजादी के बाद से 1962 में रामराज्य परिषद के दादू योगेन्द्रनाथ सिंह और 1990 में उनकी पुत्र वधू श्रीमती नेहा सिंह भाजपा से जीती थीं। इसके अलावा वहां से कांग्रेस के प्रत्याशी ही चुनाव जीतते रहें है। केवलारी विस क्षेत्र से 1957 में कांग्रेस के एम.पी.जठार, 1967 से 1985 तक के पांच चुनाव कांग्रेस की कु. विमला वर्मा तथा 1993 से 2008 तक के चार चुनाव कांग्रेस के हरवंश सिंह ने जीते थे। ये नारा लगाने वाले भाजपा नेता क्या यह बताना चाह रहे थे कि ढ़ाल सिंह को हटाकर केवलारी क्षेत्र को कांग्रेस के लिये बचाना है। यदि भाजपा नेता ऐसा चाहते थे कि केवलारी क्षेत्र से इस बार भाजपा चुनाव जीते और यदि उनका यह मानना था कि ढ़ाल सिंह चुनाव नहीं जीत सकते हैं तो उन्हें कम से कम नारा तो बदल कर ऐसा कर लेना था कि ढ़ाल सिंह हटाओ, केवलारी लाओ। वैसे भी पिछले बीस सालों से कांग्रेस के स्व. हरवंश सिंह और भाजपा नेताओं की नूरा कुश्ती के किस्से कमो बेश दोनों ही पार्टियों के सभी नेता जानते थे। केवलारी क्षेत्र के भाजपा के कार्यकर्त्ता सम्मेलन में ऐसे नारे लगना क्या इस बात की ओर इशारा कर रहें हैं कि नूरा कुश्ती का दौर आगे भी जारी रहेगा। कार्यकर्त्ताओं में डॉ. बिसेन को लेकर कितना असंतोष है और स्थानीय उम्मीदवार की बात करने वाले इसके पहले स्थानीय को टिकिट मिलने पर कितने एक दूसरे के साथ रहें हैं?नारे बाजी को लेकर जिला भाजपा के महामंत्री श्रीराम ठाकुर और टिकिट मांगने वाले हरिसिंह ठाकुर के बीच हुयी हाथापायी के किस्से भी अखबारों की सुर्खी बने थे। यह तो एक अलग बात है। लेकिन अखबारों में प्रकाशित समाचारों के अनुसार सम्मेलन में पधारी भाजपा की राष्ट्रीय सचिव सुधा मलैया ने यह कहा कि ढ़ाल सिंह प्रदेश के वरिष्ठ नेता हैं और वे ही केवलारी की ढ़ाल बनेंगें। उनके इस कथन का भाजपा नेता अपने अपने तरीके से अर्थ लगा रहें हैं।
कांग्रेस और भाजपा में मची है घमासान सीट पर-़जिला मुख्यालय की सिवनी सीट के लिये भाजपा और कांग्रेस में भारी खींचतान मची हुयी है। एक तरफ भाजपा में वर्तमान विधायक नीता पटेरिया और पूर्व विधायक नरेश दिवाकर के खिलाफ कार्यकर्त्ताओं में भारी आक्रोश दिखायी दे रहा है। पार्टी के विभिन्न मंचों पर कार्यकर्त्ता अपना आक्रोश नारे लगाकर जता दिखा चुके हैं। बताया जा रहा है कि रायशुमारी में सबसे ज्यादा वोट पूर्व जिला अध्यक्ष सुजीत जैन को मिले थे। लेकिन भाजपा के ही सूत्रों के हवाले से यह भी पता चला है कि लखनादौन के एक जमीन खरीदी के सौदे में आदिवासियों के साथ और मारपीट की घटना इनके गले की घंटी बन गयी है। वैसे वह मामला तो जिले के आदिवासी नेता की मध्यस्थता से पुलिस में निपट गया है लेकिन उसकी चिनगारी आदिवायिों के बीच में अभी भी सुलग रही है। सुजीत विरोधियों का दावा है कि भाजपा यदि सुजीत जैन को अपना उम्मीदवार बनाती है तो जिले के चारों विस क्षेत्रों में आदिवासियों की नाराजगी का सामना उसे करना पड़ सकता है।वैसे भाजपा के अंदरूनी हल्कों में यही चर्चा है कि नीता पटेरिया के पार्टी के आलाकमान से संपंर्क उन्हें टिकिट दिलाने में सहायक हो सकते हैं। वहीं भाजपा के प्रादेशिक सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में भाजपा के चारों विस क्षेत्रों से वही नेता चुनाव लड़ेंगें जिन्होंने पिछला चुनाव लड़ा था। यदि ऐसा होता है तो सिवनी से नीता पटेरिया, केवलारी से डॉ. ढ़ालसिंह बिसेन, लखनादौन से शशि ठाकुर और बरघाट से कमल मर्सकोले ही पार्टी के उम्मीदवार होंगें। दूसरी तरफ कांग्रेस में भी जिला मुख्यालय की सीट के लिये भारी खींचतान मची हुयी है।  अल्पयंख्यकों सहित पार्टी के कई नेता इस बात की पैरवी कर रहें हैं कि इस बार अल्पसंख्यक वर्ग को टिकिट दे दी जाये। वैसे सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश चुनाव समिति ने छः नेंताओं के नाम स्क्रीनिंग कमेटी को भेजे है। इनमें हाजी सुहैल पाशा, राजकुमार पप्पू खुराना, नेहा सिंह, राजा बघेल, मोहन चंदेल और असलम भाई के नाम शामिल हैं। अभी स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक हुयी नहीं है। इस बैठक में एक नाम तय होता है या यहां भी पैनल बनाकर कांग्रेस की सी.ई.सी. में भेजा जाता है यह तो अभी भविष्य की गर्त में ही हैं। लेकिन कांग्रेसी सूत्रों का ऐसा मानना है कि टिकिट इन्हीं में से किसी एक नेता को मिलेगी। 
जनता के बजाय भाजपा नेताओं से शिवराज वनवास समाप्त करने की अपील-़मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केवलारी विधानसभा क्षेत्र में जनता से भाजपा का वनवास समाप्त करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि भगवान राम का वनवास भी 14 सालों में समाप्त हो गया था लेकिन इस क्षेत्र में तो भाजपा के वनवास के बीस साल हो गये हैं। शिवराज की इस अपील का यदि जिले में असर हुआ तो पिछले 23 सालों से सिवनी और बरघाट में कांग्रेस का जो वनवास चल रहा है वह भी भगवान राम के वनवास को ध्यान में रख कर समाप्त हो सकता है। वैसे भी शिवराज को केवलारी में भाजपा का वनवास समाप्त करने के लिये जनता के बजाय भाजपा के नेताओं से ही अपील करना चाहिये था। यह बात जिले में एक ओपन सीक्रेट की तरह है कि केवलारी में भाजपा कांग्रेस और भाजपा नेताओं की नूरा कुश्ती के चलते ही हारती रही है। यदि मुख्यमंत्री वास्तव में ऐसा चाहते है तो कि केवलारी में भाजपा का वनवास समाप्त हो तो उन्हें क्षेत्र के भाजपा नेताओं की लगाम खींचनी होगी और नूरा कुश्ती के लोकप्रिय हो चुके खेल को समाप्त करना होगा। यदि ऐसा नहीं होगा तो  वनवास समाप्त होना तो दूर उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। “मुसाफिर”
साप्ताहिक दर्पण झूठ ना बोले,सिवनी
1 अक्टूबर 2013 से साभार

No comments: