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2.10.13

श्री मोदी चालीसा-ब्रज की दुनिया

मित्रों, मैंने यह चालीसा देशहित में लिखा है क्योंकि मैं समझता हूँ कि नरेंद्र मोदी इस समय भारत की जरुरत बन गए हैं। इस चालीसा को रचने का यह मतलब कतई नहीं है कि मैं नरेंद्र मोदी का अंधभक्त या अंधसमर्थक हो गया हूँ। जब-जब उन्होंने या उनकी पार्टी ने गलती की है और देशविरोधी कदम उठाया है मैंने विरोध किया है और आगे भी ऐसा करता रहूंगा परन्तु इस समय तो मेरा लक्ष्य मोदी जी को भारत का प्रधानमंत्री बनते हुए देखना है। तो आईए आप भी आनंद लीजिए श्री मोदी चालीसा का
       ***श्री मोदी चालीसा***
जय गणेश गिरिजासुवन,मंगल-मूल सुजान।
कहत ब्रजकिशोर सिंह तुम,देउ मोदी को वरदान।।
जय नरेन्द्र ज्ञान गुन सागर।
जय मोदी तिहुँ लोक उजागर।।
विकासदूत अतुलित साहस धामा।
हीराबेनपुत्र दामोदर सुतनामा।।
महावीर तुम पुराने संघी।
कुराज निवाड़ सुराज के संगी।।
गौर वर्ण विराज सुवेसा।
आँखन चश्मा कुंचित केसा।।
जनप्रदत्त विजयी ध्वजा विराजै।
कांधे भाजपाई अंगोछा साजै।।
अति ओजस्वी दामोदरनंदन।
तेज विकास हेतुजगवंदन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
जनदुःखभार हरन को आतुर।।
प्रगति चरित्र सुनिबै को रसिया।
देशभक्त भारतीय जनता मनबसिया।।
स्वयंसेवक रूप धरि जनबीच जावा।
मुख्यमंत्री रूप धरि कच्छ बनावा।।
भीम रूप धरि दंगाई संहारे।
भारत माँ के काज संवारे।।
लाये सुराज जनविश्वास जियाये।
भारतजन हरषि उर लाये।।
देशभक्त सब कीन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम सर्वप्रिय सब कर भाई।।
सहस वतन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि जनमत कंठ लगावैं।।
भागवतादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
राजनाथ जेटली सहित अहीसा।।
उद्योगपति कुबेर जहाँ ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।।
सबपर तुम तपस्वी राजा।
जनता के सकल काज तुम साजा।।
तुम उपकार टाटा पर कीन्हा।
भूमि दिलाय जग को नैनो दीन्हा।।
तुम्हरी भक्ति करें अंबानी।
महिमा अमित न जाय बखानी।।
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूँ लोक फैली उजियारी।।
गांधीनगर में तुम्हीं विराजत।
तिहूँ लोक में डंका बाजत।।
दंगा नियंत्रण कीन्हीं क्षण माहीं।
की शांति स्थापना अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
सब सुख लहै तुम्हारी शरना।
तुम शासक काहूँ को डरना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
छद्मधर्मनिरपेक्ष हाँकते काँपै।।
अल्पसंख्यकवादी निकट न आवै।
नरेन्द्र मोदी जब नाम सुनाबै।।
साधु संत के तुम रखवारे।
जेहाद निकंदन भारत दुलारे।।
मनमोहन राहुल नृप अति अभिमानी।
सोनिया अघभार भारत अकुलानी।।
तुमपर आशा टिकी भारत को।
दस प्रतिशत पर लाओ विकास दर को।।
तुम बिन और न कोई सहाई।
विनती करत है भारत भाई।।
तिहुँ लोक में तिरंगा जब फहरी।
विश्वगुरू भारत को भविष्य तब सम्हरी।।
आशा तरंग उठि रहि भारत मन पावन।
बरस रहि मन में आशा को सावन।।
कांग्रेस बेच रही भारत को।
कोऊ न सुनै पुकार आरत को।।
हाहाकार मच्यो जग भारी।
सक्यो न जब कोउ संकट टारी।।
शत्रुनाश कीजौ तुम आकर।
देश निहाल होई तुमको पीएम पाकर।।
पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना।
तुम सम अधिक न जग में जाना।।
दियो आडवाणी तुमको सन्माना।
जग में छायो सुयश महाना।।
महिमा भूतल पर छाई है।
देशभक्तों ने लीला गाई है।।
गुजरात को तुमने कियो विकास।
मुख्यमंत्री बने चौथी बार।।
बनकर पीएम सम्हारो भारत को।
तुम बिन और सूझत नहिं हमको।।
जो कोई पढ़े मोदी चालीसा।
भारत को विकास को देवे दिशा।।
ब्रजकिशोर ने देशहित में रच्यो यह चालीसा।
देशरक्षा हेतु मोदी की होय जय-जय चहुँ दिशा।।

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