मित्रों,भारतीय राजनीति के सबसे बड़े मशखरे लालू प्रसाद यादव को पाँच
साल के कैद की कजा हो गई। कुछ लोग इसे ईंसाफ मान रहे हैं तो कुछ लोग साजिश
लेकिन मैं समझता हूँ कि लालू को मात्र 5 साल की कैद और 25 लाख के जुर्माने
की सजा होना न तो ईंसाफ है और न ही साजिश। अगर यह किसी साजिश का नतीजा होता
तो घोटाले से संबंधित कई ट्रक कागजात पर उनके हस्ताक्षर कहाँ से आ गए?
क्या वो हस्ताक्षर असली नहीं हैं? अगर वे सारे हस्ताक्षर असली हैं तो क्या
लालूजी ने इन सब पर पूरे होशोहवाश में हस्ताक्षर नहीं किए हैं?
मित्रों,लालूजी के समय सिर्फ पशुपालन विभाग में ही घोटाला हुआ हो ऐसा भी नहीं है। अलकतरा,मेधा,रजिस्ट्री,पुलिसवर्दी और बाढ़ राहत समेत लगभग सारे महकमों में जमकर घोटाले किए गए। क्या ये सारे घोटाले भी किसी विपक्षी दल की साजिश के परिणाम थे? क्या लालूजी के शासन में विपक्ष सरकार चला रहा था? लालूजी के शासनकाल में अपहरण उद्योग बिहार का एकमात्र उद्योग रह गया था और उनके साधू यादव वगैरह रिश्तेदारों की गुंडागर्दी भी चरम पर थी। उनके हाथों कब कौन आईएएस पिट जाएगा तब कोई नहीं जानता था। तो क्या उन अपहरणों और गुंडागर्दी के पीछे भी किसी की साजिश थी? लालू जी की बड़ी बिटिया मीसा भारती की शादी के समय साधू यादव के गुर्गों ने टाटा मोटर्स के शोरूम से सारी गाड़ियाँ और नाला रोड की फर्निचर दुकानों से सारे सोफे जबर्दस्ती उठा लिए थे। तो क्या इस जोर-जबर्दस्ती के पीछे भी किसी शत्रु का षड्यंत्र काम कर रहा था? जब लालूजी रेल मंत्री थे तब इसी साधू यादव ने पटना जंक्शन पर जबरन राजधानी एक्सप्रेस का प्लेटफॉर्म बदलवा दिया था। क्या शिल्पी-गौतम की हत्या भी विपक्ष की साजिश थी? फिर स्वनामधन्य साधू यादव ने सीबीआई को अपने खून का नमूना क्यों नहीं दिया? क्या साधू सिर्फ इसलिए कांग्रेस में शामिल नहीं हुए ताकि वे सोनिया से कहकर इस मामले की फाईल हमेशा-हमेशा के लिए बंद करवा सकें?
मित्रों,अगर इन सारी गड़बड़ियों के पीछे कोई-न-कोई राजनैतिक साजिश थी तो यकीनन भारत के सारे नेता और सारे अपराधी निर्दोष हैं और वे सबके सब किसी-न-किसी गंदी साजिश की शिकार हुए हैं फिर चाहे वो टुंडा हो या भटकल या कोई और विनय शर्मा या राम सिंह। हद हो गई बेईमानी और बेशर्मी की। पहले एक राज्य के समस्त संसाधनों को खा गए और जब उसके लिए मामूली सजा हुई तो लगे साजिश का राग अलापने। उस दिन लालू जी की बुद्धि कौन-सा चारा चरने में लगी थी जब मोहरा फिल्म के निर्माण में चारा घोटाले का पैसा लगाया जा रहा था और जब उनकी आँखों के तारे डॉ. आरके राणा चारा घोटाले के पैसों से अपनी प्रेमिका को बॉलीबुड की स्टार नायिका बनाने का प्रयास कर रहे थे?
मित्रों,लालू के मामले में न्याय हुआ ही नहीं है सरासर अन्याय हुआ है। किसी भी भ्रष्टाचारी को जिसने सरकारी खजाने से भारी गबन किया हो सिर्फ जेल भेज देने भर से न्याय नहीं हो जाता। न्याय तो तब होता जब पूरे लालू परिवार की समस्त चल-अचल संपत्ति जब्त करके घोटाले की क्षतिपूर्ति की जाती। ये भी कोई बात हुई कि पहले दस-बीस पुश्तों के राज भोगने लायक माल खजाने से उड़ा लो और जीवन के अंतकाल में कुछ समय के लिए जेल खट लो। सवाल उठता है कि इससे भ्रष्टाचारी का बिगड़ा क्या? वो तो अकूत धन लूटने के अपने मूल उद्देश्य में कामयाब तो हो ही गया न? इसलिए मैं कहता हूँ कि लालू को और बिहार को न्याय तभी मिलेगा जब अन्य अभियुक्तों सहित उनकी और उनके परिवार की सारी चल-अचल संपत्ति उनसे छीन ली जाएगी और तत्कालीन भारत के सबसे बड़े घोटाले की क्षतिपूर्ति उससे की जाएगी।
मित्रों,लालूजी के समय सिर्फ पशुपालन विभाग में ही घोटाला हुआ हो ऐसा भी नहीं है। अलकतरा,मेधा,रजिस्ट्री,पुलिसवर्दी और बाढ़ राहत समेत लगभग सारे महकमों में जमकर घोटाले किए गए। क्या ये सारे घोटाले भी किसी विपक्षी दल की साजिश के परिणाम थे? क्या लालूजी के शासन में विपक्ष सरकार चला रहा था? लालूजी के शासनकाल में अपहरण उद्योग बिहार का एकमात्र उद्योग रह गया था और उनके साधू यादव वगैरह रिश्तेदारों की गुंडागर्दी भी चरम पर थी। उनके हाथों कब कौन आईएएस पिट जाएगा तब कोई नहीं जानता था। तो क्या उन अपहरणों और गुंडागर्दी के पीछे भी किसी की साजिश थी? लालू जी की बड़ी बिटिया मीसा भारती की शादी के समय साधू यादव के गुर्गों ने टाटा मोटर्स के शोरूम से सारी गाड़ियाँ और नाला रोड की फर्निचर दुकानों से सारे सोफे जबर्दस्ती उठा लिए थे। तो क्या इस जोर-जबर्दस्ती के पीछे भी किसी शत्रु का षड्यंत्र काम कर रहा था? जब लालूजी रेल मंत्री थे तब इसी साधू यादव ने पटना जंक्शन पर जबरन राजधानी एक्सप्रेस का प्लेटफॉर्म बदलवा दिया था। क्या शिल्पी-गौतम की हत्या भी विपक्ष की साजिश थी? फिर स्वनामधन्य साधू यादव ने सीबीआई को अपने खून का नमूना क्यों नहीं दिया? क्या साधू सिर्फ इसलिए कांग्रेस में शामिल नहीं हुए ताकि वे सोनिया से कहकर इस मामले की फाईल हमेशा-हमेशा के लिए बंद करवा सकें?
मित्रों,अगर इन सारी गड़बड़ियों के पीछे कोई-न-कोई राजनैतिक साजिश थी तो यकीनन भारत के सारे नेता और सारे अपराधी निर्दोष हैं और वे सबके सब किसी-न-किसी गंदी साजिश की शिकार हुए हैं फिर चाहे वो टुंडा हो या भटकल या कोई और विनय शर्मा या राम सिंह। हद हो गई बेईमानी और बेशर्मी की। पहले एक राज्य के समस्त संसाधनों को खा गए और जब उसके लिए मामूली सजा हुई तो लगे साजिश का राग अलापने। उस दिन लालू जी की बुद्धि कौन-सा चारा चरने में लगी थी जब मोहरा फिल्म के निर्माण में चारा घोटाले का पैसा लगाया जा रहा था और जब उनकी आँखों के तारे डॉ. आरके राणा चारा घोटाले के पैसों से अपनी प्रेमिका को बॉलीबुड की स्टार नायिका बनाने का प्रयास कर रहे थे?
मित्रों,लालू के मामले में न्याय हुआ ही नहीं है सरासर अन्याय हुआ है। किसी भी भ्रष्टाचारी को जिसने सरकारी खजाने से भारी गबन किया हो सिर्फ जेल भेज देने भर से न्याय नहीं हो जाता। न्याय तो तब होता जब पूरे लालू परिवार की समस्त चल-अचल संपत्ति जब्त करके घोटाले की क्षतिपूर्ति की जाती। ये भी कोई बात हुई कि पहले दस-बीस पुश्तों के राज भोगने लायक माल खजाने से उड़ा लो और जीवन के अंतकाल में कुछ समय के लिए जेल खट लो। सवाल उठता है कि इससे भ्रष्टाचारी का बिगड़ा क्या? वो तो अकूत धन लूटने के अपने मूल उद्देश्य में कामयाब तो हो ही गया न? इसलिए मैं कहता हूँ कि लालू को और बिहार को न्याय तभी मिलेगा जब अन्य अभियुक्तों सहित उनकी और उनके परिवार की सारी चल-अचल संपत्ति उनसे छीन ली जाएगी और तत्कालीन भारत के सबसे बड़े घोटाले की क्षतिपूर्ति उससे की जाएगी।
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