-नितिन शर्मा ‘सबरंगी’
पाकिस्तान के पेशावर स्थित आर्मी स्कूल में जिस क्रूर अंदाज में बेरहम आतंकवादियों ने मासूम बच्चों को छलनी किया उससे इंसानियत शर्मसार है। चार घंटे में आतंकियों ने लाशों का अंबार लगा दिया। जो सामने आया उसे भून डाला। पूरी दुनिया में घटना की निंदा हो रही है। सबसे बड़ा सवाल यह कि पाकिस्तान में ऐसी नौबत आयी क्यों? आतंकियों को पाला किसने? दरअसल हकीकत यह है कि पाकिस्तान अब खुद अपनी ही आग में झुलस रहा है। आतंक की हांडी में जिन कीड़ों को उसने पाला वही अब कुलबुला रहे हैं। कांटों के पेड़ लगाकर कभी फूल नहीं खिला करते। उम्मीद है पाकिस्तान को समझ आ रहा होगा कि आतंकियों का कोई मजहब नहीं होता। कांटों के पेड़ लगाकर उस पर कभी फूल नहीं खिला करते। अब पाकिस्तान खुद आतंक की आग में झुलस रहा है। आतंक का एक ही मजहब होता है नफरत, तबाही, हिंसा और मौत। मिया नवाज शरीफ कहतें हैं कि अब आतंकवाद से लड़ेंगे और पहले पूरी दुनिया बोल रही थी तब समझ नहीं आया? आतंक के खिलाफ पाकिस्तान ने आवाज उठाई होती, तो मासूमों की जान नहीं जाती। दर्जनों परिवारों के पास अब दर्द और आंसुओं के सैलाब हैं। उनका क्या गुनाह था? मासूमों की कब्रों परा चढ़कर पता नहीं आतंकी कौन सी जन्नत में जाएंगे? चरमपंथी हमले पाकिस्तान में होते रहे हैं। आतंक का जड़ से सफाया जरूरी है वरना यह आग ओर भी झुलसायेगी। इंसानियत का वजूद भी पूरी तरह खो जायेगा।
पाकिस्तान के पेशावर स्थित आर्मी स्कूल में जिस क्रूर अंदाज में बेरहम आतंकवादियों ने मासूम बच्चों को छलनी किया उससे इंसानियत शर्मसार है। चार घंटे में आतंकियों ने लाशों का अंबार लगा दिया। जो सामने आया उसे भून डाला। पूरी दुनिया में घटना की निंदा हो रही है। सबसे बड़ा सवाल यह कि पाकिस्तान में ऐसी नौबत आयी क्यों? आतंकियों को पाला किसने? दरअसल हकीकत यह है कि पाकिस्तान अब खुद अपनी ही आग में झुलस रहा है। आतंक की हांडी में जिन कीड़ों को उसने पाला वही अब कुलबुला रहे हैं। कांटों के पेड़ लगाकर कभी फूल नहीं खिला करते। उम्मीद है पाकिस्तान को समझ आ रहा होगा कि आतंकियों का कोई मजहब नहीं होता। कांटों के पेड़ लगाकर उस पर कभी फूल नहीं खिला करते। अब पाकिस्तान खुद आतंक की आग में झुलस रहा है। आतंक का एक ही मजहब होता है नफरत, तबाही, हिंसा और मौत। मिया नवाज शरीफ कहतें हैं कि अब आतंकवाद से लड़ेंगे और पहले पूरी दुनिया बोल रही थी तब समझ नहीं आया? आतंक के खिलाफ पाकिस्तान ने आवाज उठाई होती, तो मासूमों की जान नहीं जाती। दर्जनों परिवारों के पास अब दर्द और आंसुओं के सैलाब हैं। उनका क्या गुनाह था? मासूमों की कब्रों परा चढ़कर पता नहीं आतंकी कौन सी जन्नत में जाएंगे? चरमपंथी हमले पाकिस्तान में होते रहे हैं। आतंक का जड़ से सफाया जरूरी है वरना यह आग ओर भी झुलसायेगी। इंसानियत का वजूद भी पूरी तरह खो जायेगा।
2 comments:
क्या कोई धर्म मासूम बच्चों की हत्याएँ करने, स्कूलों को तबाह करने की इजाज़त दे सकता है?
मिया शरीफ कहतें हैं कि अब आतंकवाद से लड़ेंगे और पहले पूरी दुनिया बोल रही थी तब समझ नहीं आया?पाकिस्तानी मीडिया ने माना है कि जो फसल बोई थी अब वही काट रहे हैं।http://nitinsabrangi.wordpress.com/2014/12/17/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%86%E0%A4%A4%E0%A4%82%E0%A4%95/
Post a Comment