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10.9.19

जैकलीन आई एम कमिंग : पीटर मेंडलिस बनकर 'मुगेऱीलाल' के साथ साकार हुए 'हसीन सपने'

अमर आनंदरघुवीरलाल को छोटे पर्दे पर देखकर हमेशा उस नायक की छवि मन में रही जो निम्न मध्यम वर्ग की दबी-कुचली ख्वाहिशों का प्रतिनिधित्व करता है और जिंदगी में तमाम अवरोधों के बावजूद सपने देखने और उसे पूरा करन की कोशिश करने के लिए प्रेरित करता है। मुंगेरीलाल के हसीन सपने के अलावा अगर फिल्मों की बात करें तो , मैसे साहब, पीपली लाइव न्यूटन से लेकर सुई धागा तक अनेक ऐसी फिल्में रही हैं जिसमें रघुवीर यादव को जीवन संघर्ष के नायक के तौर पर स्थापित करने में कोई कमी नहीं रखी।  अपनी 6 फिल्मों को अपने अभिनय के दम पर ऑस्कर तक पहुंचाने वाले रघुवीर यादव की नई फिल्म जैकलीन आई एम कमिंग भी उनके इसी अंदाज का हिस्सा है और मेरा सौभाग्य है कि मैं उनकी इस फिल्म का हिस्सा हूं। रखुवीर यादव यानी फिल्म में होसंगाबाद किनारे के काशीनाथ तिवारी की भूमिका कर कर रहे रखुवीर के साथ मेरा किरदार पीटर मेंडलिस का है, जो एक सरकारी विभाग में उनका सीनियर है और परेशानी के दौरान उनका हौसला बढ़ाता है और उन्हें प्रसन्न रखने की कोशिश करता है।
ढाई साल पहले भोपाल के एक होटल में जब हमारी फिल्म की टीम ने रधुवीर यादव से हमारी मुलाकात कराई तो मेरे मुंह से बरबस ही निकल पड़ा। बहारेचमन से मिलकर बहार हो गए, आज मेरे सपने साकार हो गए। रघुवीर यादव जैसे बड़े कलाकार के ऑपोजिट काम करना बड़े ही साहस और चुनौती का काम माना जाता रहा है लेकिन शायद मेरे पत्रकार होने ने मेरा काम थोड़ा आसान कर दिया और बातचीत करने के लहजे ने रास्ता दिखा दिया।  शूटिंग के दौरान मेरी बातचीत का तरीका रघुवीर यादव को बेहद पसंद आता था और इसी वजह से हमारी ट्यूनिंग बन गई थी। होसंबाद में नर्मदा किनारे अलग-अलग दृश्यों की शूटिंग से दौरान हम इतने करीब आ गए थे, जैसे वर्षों पुराना जुड़ाव रहा हो।  रघुवीर यादव के साथ काम करने का अवसर मेरे सपने के साकार होने जैसा है। हमारी फिल्म जैकलीन आई एम कमिंग हमारी पहली फिल्म है। आगे भी सोशल कॉज दो फिल्में कतार में हैं, जिनमें से एक काम हो चुका है और दूसरी पर होने वाला है, लेकिन जैकलीन आई एम कमिंग मेरे लिए वो फिल्म है जिसने मेंरी पुरानी ख्वाहिशों और अरमानों को उड़ान दी है।

23 साल पहले जब झारखंड के डालटनगंज से दिल्ली आया था तो पत्रकारिता के अलावा ये भी ख्वाब था की सीरियलों में एक्टिंग की जाए। उन दिनों छोटे पर्दे पर डीडी और डीडी मेट्रो के सीरियलों का बोलबाला था, तो मेरी जिंदगी के पर्दे पर संघर्ष का। रुचि और रोटी में हमेशा टकराव होता रहा आखिरकार रुचि को अवसर मिल गया और फिल्म के लिए रास्ता साफ हो गया। पत्रकारिता का मुख्य धारा से हटर ईवेंट जर्नलिज्म के अपने अभियान के साथ फिल्मों में अभिनय के साथ-साथ संवाद और निर्देशन जैसी बारीकियों को भी देखते-समझते हुए आगे बढ़ने का संकल्प है और इस काम के लिए बनाई जाने वाली टीम में उन लोगों को साथ लेकर चलने का संकल्प है, जिनमें हुनर तो है लेकिन काम नहीं। मेरे लिए फिल्में देश और समाज खास तौर से संघर्षरत लोगों के लिए कुछ करने का ज़रिया और नज़रिया दोनों साबित होंगी ऐसी कोशिश और उम्मीद दोनों हैं।



18 अक्टूबर को रिलीज हो रही जैकलीन आई एम कमिंग के निर्देशक मूल रूप से झारखंड के रहने वाले मुंबई के युवा डायरेक्टर बंटी दुबे हैं, जिन्होंने इससे पहले कुछ एड फिल्में म्युजिक एल्बम डायेरेक्ट किए हैं। इस फिल्म के क्रिएटिव डायरेक्टर और लेखक पिंकू दुबे हैं जिन्होंने हॉट नहीं कूल हैं हम में बतौर क्रिएटिड डायरेक्टर काम किया है।  एमडी  प्रोडक्शन की ओर से बनाई गई इस फिल्म के निर्माता मनीष गिरी है हैं। फिल्म की शूटिंग  भोपाल और होसंगाबाद में नर्मदा के किनारे हुई है। फिल्म में निम्न मध्यम वर्ग के कठिन संघर्ष और सिस्टम के खिलाफ लड़ाई को बाखूबी दिखाया गया है।

(लेखक अमर आनंद ईवेंट जर्नलिज्म की अवधारणा पर काम कर रहे टीवी और अखबारों के वरिष्ठ पत्रकार हैं जैकलीन आई एम कमिंग उनकी पहली पिल्म हैं जिसमें वो बड़े पर्दे पर रघुवीर यादव के साथ नजर आएंगे)

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