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10.11.19

और ये सही जवाब...!

#मुझे_फ़क्र_है_कि_मैं_इस_मुल्क़_का_सुन्नी_मुसलमान_हूँ
मैं भी तुम जैसा हूँ अपने से जुदा मत समझो,
आदमी ही रहने दो ख़ुदा मत समझो!

अज़ीज़ाने गिरामी-ए-मिल्लत और मेरे मुल्क़ के गयूर नौजवानों,
 राम मंदिर और बाबरी मस्जिद हक़-ए-मिल्कियत मुतालबे पर अदालते अज़मीया का आज का फ़ैसला बाइस-ए-मसर्रत तो है ही, हिंदुस्तान की क़ौमी यकजहती के वक़ार को बुलंद-ओ-बाला रखने का पैग़ाम भी आलमी दुनिया को देता है।
 फैसले पर तमाम तरह की राय शुमारी हुई, मुल्क़ के आईन के एतबार से अवाम की अपनी अपनी मुख़्तलिफ़ राय भी थीं मगर मैं जो लिख रहा हूँ वो थोड़ा लीक से हटकर है...
         मुख़्तलिफ़ सियासी जमातों और नामनेहाद क़ौमी रहनुमाओं ने जिस तरह पिछले 75 साला जम्हूरी निज़ाम में मुसलमानों ख़ास कर सुन्नी मुसलमानों का "ब्रेन-ड्रेन" कर मुल्क़ की मुख्य-धारा से काटने का एक घिनोना खेल खेला था।आज अदालत-ए-अज़मीया ने उस मंसूबे को  पामाल कर दिया।
आज ईद मिलादुन्नबी के मुबारक मौक़े पर हिंदुस्तान के सुन्नी मुसलमानों ने जिस नज़्मों-ज़ब्त से काम लिया और अदालत के फ़ैसले को सर-माथे लगाकर मुल्क़ के आईन का इक़बाल बुलंद किया उससे ये साबित हो गया कि नानक,कबीर,रहीम,रसखान,
ख़्वाजा,आला हज़रत,अमीर ख़ुसरो, निज़ामुद्दीन औलिया की इस रूहानी मिट्टी में कोई शरपसंद अब मट्ठा नही डाल सकता।
क्या इत्तेफ़ाक़ है! आज अल्लामा इकबाल की यौमे पैदाइश भी है। इस इंक़लाबी शायर ने श्रीराम को "इमाम-ए-हिंद" की पदवी से नवाज़ा था। आज भी उनकी तहरीर- "सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा" हमारी रूह की गहराईयों में बसी है। आज हमारा हिन्दुस्तान, हमारा प्यारा मुल्क़ सारे जहां से अच्छा बनने की सिम्त में आगे बढ़ा है और मुझे कहते हुए बड़ा फक़्र है कि इसकी नींव हिंदुस्तान के सुन्नी मुसलमानों ने आज अदालत-ए-अज़मीया के फैसले पर अपनी मोहर लगा कर रखी है।और जवाब दिया है उन फ़िरक़ा परस्त ताक़तों को जो अपने सियासी मफाद के लिये इस क़ौम के मुस्तक़बिल से अब तक खेलते आ रहे थे।
बचा के रखियेगा नफ़रत से,
दिल की बसती को,
ये आग ख़ुद नहीं लगती,
लगाई जाती है!

जय-हिंद जय भारत!
डॉ. सयैद एहतेशाम-उल-हुदा
प्रखर वक्ता एवं राष्ट्रवादी चिंतक
माइनॉरिटी सोशल रिफॉर्मिस्ट
9837357723

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