राहुल अवस्थी:- उन्नाव उत्तर प्रदेश
उन्नाव:-
शिक्षा के सार्वभौमिक विकास का सपना देखने वाले भारत के पूर्व
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी यदि आज जीवित होते तो सरकारी स्कूलों में
कक्षा ६ में पढ़ाई जाने वाली इस इतिहास की किताब को देखकर अवश्य रो रहे होते
२००१ में सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत हुई थी, जिसमें भारत भर में व्यापक
पैमाने पर प्राथमिक विद्यालय और उच्च प्रथमिक विद्यालय खोले गए थे
उद्देश्य था भारत में जन्म लेने वाले हर बच्चे को शिक्षित बनाना इसलिए
संविधान में 86 वां संशोधन भी किया गया.....लेकिन आज की मौजूदा स्थिति कुछ
और ही बयां कर रही हैं.
कक्षा ६ के लिए छपी किताब " हमारा इतिहास और नागरिक
जीवन" जिसमे ऊपर लिखा हैं "उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद" तथा उत्तर
प्रदेश सरकार का लोगो भी छपा हुआ है नीचे एक कोष्ठक बना हुआ हैं जिसमे लिखा
हैं "बाजार बिक्री हेतु" किताब के बिल्कुल बगल में छापा हुआ है "कोड नंबर
68सिंघल एजेंसीज लखनऊ सत्र 2019-2020" शायद आप अब ये सोच राहे होंगें की हम
आप को ये क्यो बता रहे हैं ये हम आप को इस लिए बता रहे हैं क्यो की अगर आप
इस क़िताब का पहला पृष्ठ खोलेंगे तो उसमें संविधान की "कुंजी" कही जाने
वाली प्रस्तावना छपी हुई हैं जिसको आप पढ़ कर हैरान और परेशान हो जाएंगे और
ये सोचने को मजबूर हो जायेगे कही इस क़िताब से आप के बच्चे ने तो शिक्षा नही
ली, अगर ली हैं तो आप के बच्चे का भविष्य खतरे से खाली नही क्योंकि इस
क़िताब के पहले पृष्ठ पर छपी भारतीय संविधान की प्रस्तावना में दर्जनों
अशुद्धियां हैं अब सोचने वाली बात ये हैं की, क़िताब छपने से पहले और छपने
के बात क्या? किसी प्रकार की कोई समीक्षा नही की जाती हैं अगर क़िताब की
समीक्षा हुई तो संदेह उन लोगो पर अवश्य जाता हैं जिन्होंने इस किताब की
समीक्षा की हैं।
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