वाराणसी: महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के शारीरिक शिक्षा विभाग एवं योग के विभागाध्यक्ष एवम् शिक्षा संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो0 सुशील कुमार गौतम की नियुक्ति महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ द्वारा निर्गत विज्ञापन संख्या- 1/2002 के माध्यम से शारीरिक शिक्षा विभाग एवम् योग में प्राध्यापक पद पर की गई।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी की परिनियमावली के अनुसार प्राध्यापक पद पर नियुक्ति हेतु न्यूनतम अर्हता द्विवर्षीय परास्नातक पाठ्यक्रम का होना अनिवार्य था।
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 से हुआ खुलासा -
शारीरिक शिक्षा विभाग काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के विभागाध्यक्ष द्वारा प्रदत सूचना में स्पष्ट किया गया है कि "सुशील कुमार गौतम ने वर्ष 1996 में एम0पी0एड0 की परीक्षा उत्तीर्ण की एवम् यह एक वर्षीय पाठ्यक्रम था।"
जिससे स्वत: स्पष्ट है कि सुशील कुमार गौतम एक वर्षीय परास्नातक उपाधि के आधार पर नियुक्त हुए जो सरासर विश्वविद्यालय परिनियमावली के विपरीत है।
इस संदर्भ में विशेष रूप से उल्लेखनीय है की शासन की एक टीम ने 2020 में विश्वविद्यालयों/ महाविद्यालयों में नियुक्त अध्यापकों की जांच की थी, तत्सम यह तथ्य सामने आया था कि यूजीसी के एक्ट 1956, जिसे 20 दिसंबर 1985 में मॉडिफाइड किया गया, उसके अनुसार लेक्चरर के पद पर नियुक्ति के लिए दो साल की मास्टर डिग्री की अनिवार्य है। कोई भी व्यक्ति दो साल की मास्टर डिग्री के बिना नियुक्त नहीं किया जा सकता है।
शासनादेश के नियमों/अर्हता को शिथिल करने का अधिकार विश्वविद्यालय में निहित नहीं है।
प्रो० सुशील कुमार गौतम प्राध्यापक पद हेतु न्यूनतम अर्हता ही नहीं प्राप्त करते थे।
संदर्भगत प्रकरण की शिकायत कुलाधिपति/राज्यपाल उत्तर प्रदेश से की गई, जिसपर कुलाधिपति के उप सचिव ने कुलपति महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी को परीक्षणोंपरांत कार्यवाही करने हेतु पत्र जारी किया है।
No comments:
Post a Comment