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8.4.14

हैरानी होती है जब यह सुनता हूँ कि किस प्रकार से नरेंद्र मोदी के द्वारा कहे किसी भी वक्तव्य को विपक्ष लपक लेता है मानो इसी का इन्तजार कर रहा था । अपने घोषणा पत्र के उद्घोषणा के दिन नरेंद्र मोदी जी ने तीन वाक्य कहे - मैं मेहनत से काम करूंगा । अपने लिए कुछ नहीं करूंगा । बद  इरादे से कोई काम नै करूंगा नहीं करूंगा ।
विपक्ष को इंतजार था कि कुछ तो ऐसा निकले जिसे वे लपक सकें । सो लपक लिया । सिर्फ तीसरा वाक्य । क्या जो व्यक्ति यह कहता है कि वह ईमानदारी से काम करेगा । उस पर हम यह आरोप लगाते हैं कि अरे देखो यह ईमानदारी की  बात कर रहा है इसलिए इसके मन में बेईमानी थी । इसीलिए इसने ईमानदारी का जिक्र किया । इसके मन में चोर है । यह सफाई दे रहा है । क्या जब कोई संविधान के अनुसार काम करने की  शपथ लेता है तो हम उस पर यह आरोप लगाते  हैं कि देखो यह संविधान के अनुसार काम करने की  शपथ ले रहा है यानि इसके मन में चोर था । यह संविधान के विपरीत जाकर काम करने का विचार रखता था । सफाई दे रहा है । तो फिर मोदी पर शक क्यों ?
शक इसलिए कि उन्होंने यह नहीं कहा कि मैं सही इरादे से काम करूंगा ? यह कहा कि मैं बद इरादे से कोई काम नहीं करूंगा । बद इरादे से काम नहीं करने का मतलब भी तो यही है । तो फिर मोदी को यह कहने की  क्या जरूरत पड़  गई । इस देश के तथाकथित धर्म निरपेक्ष दल लम्बे समय से यह हल्ला मचाते रहे हैं कि मोदी आ गया तो यह हो जाएगा , मोदी आ गया तो देश टूट जाएगा , मोदी आ गया तो खून की  होली खेली जायेगी । अब इस तरह की  बातों से एक वर्ग पर भय का भूत बैठा दिया गया है सिर्फ वोटों के लिए । यह वर्ग इतना पिछड़ा है कि समझ ही नहीं पाता  कि यही मोदी को गाली देने वाले लोग अचानक मोदी की  शरण में क्यों चले जाते हैं? यह वर्ग समझ नहीं पाता  कि आखिर कोई अचानक धर्म निरपेक्ष होते होते मोदी के साथ कैसे हो जाता है ? मतलब साफ़ है कि यह सब सिर्फ बेवकूफ बनाने के लिए है ।इसलिए जब मोदी ने यह कहा कि बाद इरादे से कोई काम नहीं करूंगा तो खलबली मच गयी । अब ये दल क्या कहना चाहते हैं ? क्या मोदी को यह कहना चाहिए था कि मैं बद  इरादे से काम करूंगा ? तब यह सब खुश हो जाते । लेकिन मोदी ने यदि यह कहा होता कि मैं नेक इरादे से काम करूंगा तो भी आरोप लगता कि देखो नेक इरादे की  बात कर रहा है । इसके मन में चोर है । वरना  ऐसी बात क्यों करता ?
साफ़ सी बात है मोदी उस वर्ग को भी समझाना चाहते हैं कि वे अपने मन में कोई भ्रम न पालें । और बाकि दल परेशान हैं कि कहीं मोदी सत्ता में आ गए तो इन सबकी पोल न खुल जाए ।  याद होना चाहिए कि वाजपेयी सरकार के आने से पहले भी यह कहा जाता था कि बीजेपी आयी तो देश टूट जाएगा । लेकिन बीजेपी तो आयी पर देश नहीं टूटा पर भ्रम टूट गया । लेकिन उस वर्ग को आज तक भरमाया जा रहा है । ईश्वर उस वर्ग को सदबुद्धि दे । और हाँ , मोदी सम्भवतः यह भी कहना चाहते हैं कि कोई दल भी यह न सोचे कि कहीं मोदी आ गए तो वे सी बी आई का दुरूपयोग करेंगे जैसा कि कांग्रेस पिछले बारह साल से मोदी के खिलाफ सी बी आई का दुरुपयोग करती रही है । 

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